डोनाल्ड ट्रंप धमकी के बाद इस छोटे देश ने अमेरिका को ललकारा, जानिए क्या कहा

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US-Panama canal Controversy:  अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पनामा नहर पर नियंत्रण वापस लेने की टिप्पणी से अंतरराष्ट्रीय विवाद खड़ा हो गया है. ट्रंप ने हाल ही में कहा कि अमेरिका ने पनामा नहर अपने मध्य अमेरिकी सहयोगी को सौंपकर गलती की. पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने इसे अपने देश की संप्रभुता का अपमान बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया, जबकि कोलंबियाई राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने भी पनामा की संप्रभुता का समर्थन किया.

ट्रंप ने अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाली नहर पर “अनुचित” शुल्क का हवाला देते हुए कब्जे की संभावना पर विचार करने की बात कही. उन्होंने यह बयान अपनी चुनावी जीत के बाद एरिजोना में आयोजित रैली के दौरान दिया. उन्होंने अमेरिकी अर्थव्यवस्था के तेज विकास और पश्चिम एशिया एवं यूक्रेन में युद्ध रोकने जैसे वादों के साथ नहर पर नियंत्रण का मुद्दा उठाया.

ट्रंप के विचार: अमेरिका का स्वर्णिम युग
ट्रंप ने अपने संबोधन में कहा, “अमेरिका का स्वर्णिम युग हमारे सामने है.” उन्होंने सभी नागरिकों को एकजुट करने का प्रयास करने की बात कही और डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं को भी इस पहल में शामिल होने का आह्वान किया.

पनामा नहर का ऐतिहासिक महत्व
पनामा नहर का निर्माण अमेरिका ने 1900 के दशक की शुरुआत में किया था, ताकि अटलांटिक और प्रशांत महासागरों के बीच वाणिज्यिक और सैन्य जहाजों की आवाजाही को सुगम बनाया जा सके. 1977 में राष्ट्रपति जिमी कार्टर द्वारा हस्ताक्षरित एक संधि के तहत अमेरिका ने 1999 में इस नहर का नियंत्रण पनामा को सौंप दिया.

पनामा नहर से जुड़ी चुनौतियां
पनामा नहर की कार्यक्षमता जलाशयों पर निर्भर करती है. 2023 में सूखे के कारण जहाजों की संख्या सीमित करनी पड़ी, जिससे नहर पर दबाव बढ़ा. इसके अलावा, पनामा ने पारगमन शुल्क में वृद्धि की, जो अगले वर्ष भी लागू रहने की संभावना है.

पनामा के राष्ट्रपति की सख्त प्रतिक्रिया
पनामा के राष्ट्रपति मुलिनो ने ट्रंप की टिप्पणी को खारिज करते हुए इसे देश की संप्रभुता पर हमला बताया. उन्होंने कहा, “पनामा नहर का प्रत्येक वर्ग मीटर हमारे देश का है और रहेगा.” मुलिनो ने पनामा की एकजुटता पर जोर दिया और नहर शुल्क के बारे में सफाई दी कि इसे सुधारों के लिए उपयोग किया जाता है. कोलंबियाई राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने पनामा की संप्रभुता का समर्थन करते हुए कहा, “हम व्यापार पर बात करने के लिए तैयार हैं, लेकिन सम्मान और गरिमा पर कभी समझौता नहीं करेंगे.”

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