पाकिस्तान पहुंचे तुर्की के खलीफा, नतमस्तक हुई शहबाज सरकार, क्या भारत के खिलाफ है साजिश?

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Turkey Khalifa in Pakistan : भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार (13 फरवरी) की सुबह संयुक्त राज्य अमेरिका पहुंचे तो पड़ोसी देश पाकिस्तान में तुर्की के खलीफा का काफिला पहुंचा. गुरुवार (13 फरवरी) की तड़के सुबह तुर्की के खलीफा राष्ट्रपति रेचेप तैयब एर्दोगन रावलपिंडी के नूर खान एयरबेस पर पहुंचे. इस दौरान तुर्की के खलीफा के स्वागत के लिए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की लगभग पूरी सरकार नतमस्तक दिखी.

खलीफा एर्दोगन के स्वागत के लिए राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, फर्स्ट लेडी आसीफा भुट्टो, उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार, रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ, सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार समेत कई सीनियर सरकारी अधिकारी मौजूद रहे. वहीं, खलीफा का स्वागत 21 तोपों की सलामी के साथ हुआ. बता दें कि तुर्की के खलीफा राष्ट्रपति रेचेप तैयब एर्दोगन चार दिवसीय एशिया दौरे पर हैं. मलेशिया और इंडोनेशिया के बाद खलीफा एर्दोगन का आखिरी पड़ाव पाकिस्तान है. वहीं, उनकी इस यात्रा पर भारत भी अपनी नजर टिकाए हुए है.

पाकिस्तान के साथ रक्षा सहयोग बढ़ा रहा तुर्की

तुर्की के राष्ट्रपति का यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब तुर्की और पाकिस्तान रक्षा समेत कई क्षेत्रों में अपने सहयोग को बढ़ा रहे हैं. हाल ही में पाकिस्तान ने तुर्की से नौसेना के जहाज खरीदने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किया है. इसके अलावा दोनों देशों ने जनवरी महीने में पूर्वी भूमध्य सागर में नौसैनिक अभ्यास आयोजित किया था, यह उनके पिछले भाषणों से एक बड़ा बदलाव दिखाता है.

उल्लेखनीय है कि तुर्की लगातार पाकिस्तान की सेना को मजबूत कर रहा है. तुर्की ने पाकिस्तान को T129 ATAK हेलीकॉप्टर, MILGEM-श्रेणी के कोरवेट समेत कई अन्य रक्षा प्रणालियों की आपूर्ति की है.

आतंकवाद से जूझ रहे हैं दोनों देश

पाकिस्तान और तुर्की दोनों देश आतंकवाद की समस्या से जूझ रहे हैं. जहां, पाकिस्तान बलूच विद्रोहियों और टीटीपी आतंकियों से परेशान है, वहीं तुर्की कुर्द अलगाववादियों से दो-चार हो रहा है. ऐसे में ये दोनों देशों के बीच बढ़ते सुरक्षा सहयोग के अलावा पाकिस्तान-तुर्की आतंकवाद विरोधी परामर्श का दूसरा दौर है, जो करीब 6 साल के बाद इस्लामाबाद में आयोजित हुआ है. इसमें आतंकवाद की फंडिंग को रोकने, उग्रवाद को रोकने और ऑनलाइन चरमपंथ को नियंत्रित करने जैसे कई मुद्दों पर चर्चा हुई.

तुर्की की विदेश नीति में दिखा बड़ा बदलाव

हाल ही में तुर्की की विदेश नीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है. जहां एक तरफ तुर्की पाकिस्तान के साथ अपने रक्षा सहयोग को लगातार बढ़ा रहा है, वहीं वह भारत के साथ भी अपने संबंधों को खराब नहीं करना चाहता है. इसके उदाहरण के तौर पर, 2024 के सितंबर महीने में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में खलीफा एर्दोगन के दिए गए भाषण में कश्मीर का जिक्र न करना है, जो उनके पिछले भाषणों से एक बड़ा बदलाव दिखाता है. हालांकि, इसके पीछे तुर्की की मंशा साफ है. असल में तुर्की ब्रिक्स संगठन में शामिल होने की इच्छा रखता है, इसलिए वह भारत से पंगा नहीं लेना चाहता है.

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