Pakistan News: पाकिस्तान इस समय भारी महंगाई और कर्ज़ के संकट में फंसा हुआ है. आम जनता दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रही है, लेकिन सरकार अपने मंत्रियों और अधिकारियों की सैलरी में भारी बढ़ोतरी कर रही है. हाल ही में पाकिस्तान की कैबिनेट ने मंत्रियों, राज्य मंत्रियों और सलाहकारों के वेतन में 188% तक की वृद्धि को मंजूरी दी है.
इस फैसले के बाद अब इनकी मासिक तनख्वाह 5,19,000 पाकिस्तानी रुपये हो जाएगी. यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है, जब पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से कर्ज़ की दूसरी किस्त मिली है.
आर्थिक संकट के बावजूद नेताओं पर मेहरबानी
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था दिवालिया होने के कगार पर है. महंगाई दर रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच चुकी है और विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घट रहा है. हाल ही में IMF ने पाकिस्तान को 7 अरब डॉलर के कर्ज पैकेज की दूसरी किस्त के रूप में 1 अरब डॉलर जारी किया था. लेकिन इस आर्थिक मदद के बावजूद सरकार की प्राथमिकता आम जनता को राहत देने की बजाय अपने नेताओं और मंत्रियों की सुविधाएं बढ़ाना लगती है.
कैबिनेट ने दी मंजूरी
शुक्रवार को पाकिस्तान की कैबिनेट ने मंत्रियों, राज्य मंत्रियों और सलाहकारों के वेतन में 188% की बढ़ोतरी को हरी झंडी दे दी. इस बढ़ोतरी के बाद उनकी मासिक सैलरी 5,19,000 पाकिस्तानी रुपये हो गई है. यह तब हुआ है, जब पाकिस्तान की जनता आटा, चीनी, दूध, पेट्रोल और बिजली की बढ़ती कीमतों से बुरी तरह परेशान है. बुनियादी जरूरतों को पूरा करना भी मुश्किल हो गया है, लेकिन सरकार अपने नेताओं को और अधिक सुविधाएं देने में व्यस्त है.
सांसदों के वेतन में भी हुई बढ़ोत्तरी
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान सरकार ने अपने अधिकारियों के वेतन में बढ़ोतरी की हो. दो महीने पहले ही नेशनल असेंबली की वित्त समिति ने सांसदों और सीनेटर्स के वेतन को संघीय सचिवों के वेतन के बराबर करने का प्रस्ताव पारित किया था. स्पीकर राजा परवेज अशरफ की अध्यक्षता में इसे सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई थी. इससे साफ जाहिर होता है कि पाकिस्तान सरकार की प्राथमिकता आम जनता की मदद करने से ज्यादा अपने नेताओं को सुविधाएं देना है.
महंगाई से जनता परेशान
पाकिस्तान की आम जनता पहले से ही तेजी से बढ़ती महंगाई की मार झेल रही है. आटा, दाल, चीनी और दूध जैसी बुनियादी चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं. पेट्रोल और बिजली की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे आम लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है. IMF की सख्त शर्तों के कारण भारी टैक्स और महंगाई और बढ़ने की आशंका है, जिससे जनता की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं.
सरकार पर खड़े हुए सवाल
इस फैसले के बाद पाकिस्तान सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. क्या यह IMF की शर्तों को तोड़ने की कोशिश है? क्या पाकिस्तान सरकार आम जनता को राहत देने के बजाय केवल अपने नेताओं को फायदा पहुंचा रही है? ये सवाल पाकिस्तान की जनता और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के लिए चिंता का विषय बन चुके हैं. अगर पाकिस्तान को आर्थिक संकट से बाहर निकलना है, तो उसे कठोर वित्तीय अनुशासन अपनाने की जरूरत होगी, न कि मंत्रियों की सैलरी बढ़ाने जैसे गैर-जरूरी फैसले लेने की.
world news, world news today, latest world news, latest news, hindi world news, hindi news today, oxbig news, oxbig news network, oxbig hindi, oxbig hindi news, hindi oxbig, oxbig
English News