Operation Sindoor: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 6-7 मई की रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और PoK में नौ आतंकी ठिकानों पर हमले किए. अमेरिका, इजरायल और फ्रांस जैसे देशों ने इस सटीक कार्रवाई का समर्थन किया, वहीं तुर्किए, अजरबैजान और कतर ने पाकिस्तान के पक्ष में बयान जारी किए.
तुर्किए ने पाकिस्तान के प्रति हमदर्दी जताते हुए भारत के कदम को युद्ध का खतरा बताया. मामले पर तुर्किए के विदेश मंत्रालय ने ‘एक्स’ पर कहा ”हम भारत की तरफ से 6-7 मई की रात को किए गए हमले से पैदा हुए युद्ध के खतरे को लेकर चिंतित हैं. हम भड़काऊ कदमों और नागरिक ठिकानों को निशाना बनाने जैसी कार्रवाइयों की निंदा करते हैं.” उन्होंने दोनों पक्षों से संयम बरतने और कूटनीतिक समाधान की वकालत की. भारत ने साफ कहा कि उसने ऑपरेशन सिंदूर में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, जिसमें पाकिस्तानी सैन्य या नागरिक ठिकाने पर किसी तरह का कोई हमला नहीं किया गया.
अज़रबैजान ने सैन्य हमलों की निंदा की
अज़रबैजान ने भी भारत की कार्रवाई पर नकारात्मक प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, ”हम भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव से चिंतित हैं. हम पाकिस्तान पर हुए सैन्य हमलों की निंदा करते हैं, जिसमें नागरिक मारे गए.” अजरबैजान ने इस घटना को एकतरफा आक्रामकता बताया और पाकिस्तान के पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की. हालांकि भारत की तरफ से स्पष्ट किया गया था कि सभी हमले आतंकी प्रशिक्षण केंद्रों पर हुए थे.
कतर की कूटनीति की पैरवी और तनाव घटाने की अपील
कतर का बयान थोड़ा संतुलित था, लेकिन दोनों देशों से संयम बरतने और तनाव घटाने की बात उसने स्पष्ट रूप से कही. कतर के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा,”हम भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव पर गहरी चिंता के साथ नजर रख रहे है. दोनों देशों से संयम, अच्छे पड़ोसी सिद्धांतों का पालन और कूटनीतिक माध्यमों से विवाद सुलझाने की अपील करता है.”
वैश्विक समर्थन और विरोध
भारत के एक्शन पर अमेरिका, इजरायल और यूरोपीय देशों ने घटना को सटीक और संयमित कदम बताया और सराहना की. भारत ने यह स्पष्ट किया कि हमले किसी पाकिस्तानी नागरिक, सैन्य या आर्थिक प्रतिष्ठान पर नहीं हुए.केवल जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के गढ़ों को निशाना बनाया गया.
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान ने इस हमले को “युद्ध का एलान” बताया और जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी. साथ ही उसने इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र और ओआईसी में उठाने की कोशिश की.
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