Bangladesh News: बांग्लादेश में ऑपरेशन ‘डेविल हंट’ के तहत लोगों की गिरफ्तारियां हो रही हैं. इस ऑपरेशन के शुरू होने के बाद से 26 फरवरी तक 9000 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
इस ऑपरेशन से लोगों में डर हैं. आइये जानते हैं कि ऑपरेशन डेविल हंट की कहानी क्या है और क्यों यूनुस की अंतरिम सरकार ने ये कदम उठाया है?
जानें क्यों हुई ऑपरेशन की शुरुआत
हसीना सरकार में मंत्री रहे एके एम मोज़म्मेल हक के गाज़ीपुर स्थित घर पर सात फरवरी को हमला हुआ. पुलिस के अनुसार, हिंसक झड़पों में 17 लोग जख्मी हुए और एक की मौत हो गई. घायलों में ज्यादातर छात्र थे. इस हिंसा के जवाब में हुई कार्रवाई के लिए अवामी लीग को ज़िम्मेदार ठहराया गया था. इसके बाद मार्च टू गाज़ीपुर की शुरुआत हुई थी. छात्रों की मांग पर ही बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने 8 फरवरी को ऑपरेशन ‘डेविल हंट’ की घोषणा कर दी.
परिजनों में भय का माहौल
इस ऑपरेशन शुरू होने के बाद लगातार गिरफ्तारी शुरू हो रही है. गिरफ्तार किए गए लोगों के परिजनों में डर हैं. वो किसी से भी बात करने के लिए तैयार नहीं है. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, गाजीपुर निवासी 24 वर्षीय अतिकुर रहमान के परिवार ने बताया ने इन आरोपों से इंकार किया है. उनकी पत्नी अफ़रजा अख़्तर मीम ने बताया, ‘मेरे पति पर गैरकानूनी गतिविधियों में हिस्सा लेने और कॉकटेल बम फेंकने के आरोप लगाए गए हैं.’
उन्होंने आगे कहा, “सितंबर 2023 में रहमान को बाइक दुर्घटना में चोट लगी थी. जिस वजह से उनका जबड़ा पूरी तरह टूट गया था. उनके मेटल प्लेट और पिन डालकर जोड़ा गया है. वो खाना नहीं चबा सकते हैं. हम चाहते हैं कि सरकार हमारी मदद करें. उनके परिवार ने कहा है कि वो किसी भी पार्टी से जुड़े नहीं हुए हैं.
शफ़ीक़ूल आलम ने कही ये बात
वहीं, हिंसक वारदातों के मामलों में कार्रवाई न होने के आरोपों पर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रेस सचिव शफ़ीक़ूल आलम ने कहा, ‘हर जगह हमने लगभग पुलिस भेजू है. हमने 32 धानमोंडी में सेना भेजी थी. ये तोड़फोड़ गलत है, लेकिन ये बात गलत है कि सुरक्षाकर्मी वहां हजारों की भीड़ के सामने कुछ करने की हालत में नहीं थे
बीबीसी ने सरकार के प्रेस सचिव से स्पष्ट पूछा कि यदि तोड़फोड़ अपराध है तो जिन लोगों ने अलग अलग इलाकों में ऐसा किया, उनकी गिरफ़्तारी या अन्य कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
नहीं दोहरानी चाहिए पुरानी गलतियां
शेख हसीना के शासन की याद दिलाकर अंतरराष्ट्रीय माननाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि प्रशासन को वो गलतियां दोहरानी नहीं चाहिए, बल्कि कानून को निष्पक्ष रूप से लागू करना चाहिए.
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