Last Updated:March 04, 2025, 11:41 IST
ईरान के IRGC ने नया बॉम्बर ड्रोन जास 313 तैयार किया है, जो रनवे और कैरियर प्लेटफॉर्म से उड़ान भर सकता है. यह एक घंटे तक उड़ान में सक्षम है और फरवरी में सफल परीक्षण हुआ. पश्चिमी देश ईरान की बढ़ती क्षमता से चिंति…और पढ़ें
ईरान ने ड्रोन से अपनी ताकत दिखाई है.
हाइलाइट्स
- ईरान ने नया बॉम्बर ड्रोन जास 313 तैयार किया
- जास 313 एक घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम है
- पश्चिमी देशों को ईरान की बढ़ती ड्रोन क्षमता से चिंता
तेहरान: ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) अमेरिका के खिलाफ अपनी ताकत बढ़ाने लगा है. IRGC का कहना है कि उसका नया बॉम्बर ड्रोन रनवे से टेकऑफ और कैरियर प्लेटफॉर्म से उड़ान टेस्टिंग से गुजर रहा है. ईरान को उम्मीद है कि जल्द ही यह ड्रोन संचालित होगा. IRGC से जुड़ी तस्नीम वेबसाइट के मुताबिक IRGC नेवी कमांडर अलीरेजा तंगसिरी ने कहा, ‘जास 313 अपनी हाई स्पीड और उन्नत विशेषताओं के साथ अपने मिशनों को प्रभावी ढंग से अंजाम दे सकता है.’ इसमें टर्बोफैन इंजन लगा है. उन्होंने बताया कि ड्रोन एक घंटे तक उड़ान भर सकता है और इसे फरवरी की शुरुआत में ड्रोन कैरियर जहाज शाहिद बघेरी पर सफलतापूर्वक टेस्ट किया गया था.
पिछले सप्ताह अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने हांगकांग और चीन की छह संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाए, जो ईरान की ओर से बनाए गए ड्रोन के लिए आवश्यक उपकरणों की खरीद में मदद कर रहे थे. अमेरिका की ओर से यह ईरान पर ‘अधिकतम दबाव’ बढ़ाने वाले अभियान का हिस्सा है. नए प्रतिबंधों वाली ये संस्थाएं ईरान के ड्रोन प्रोग्राम के लिए पश्चिमी तकनीक की करोड़ों डॉलर की खरीद में मदद कर रही थीं. अमेरिकी दबाव के बावजूद ईरान ड्रोन बनाने में कामयाब रहा. तंगसिरी ने कहा कि जास-313 ड्रोन को दोहरी भूमिकाओं के लिए डिजाइन किया गया है. टोही अभियानों के साथ यह सटीक हमला करने के लिए है.
ईरान का ड्रोन क्यों है पश्चिमी देशों की टेंशन
ईरान अपने ड्रोन बेड़े का लगातार विस्तार कर रहा है. ईरानी अधिकारियों का कहना है कि ड्रोन डेवलपमेंट देश की रक्षा रणनीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, लेकिन ईरान की बढ़ती ड्रोन क्षमता से पश्चिमी देशों की चिंता बढ़ी हुई है. इससे मिडिल ईस्ट की स्थिरता को खतरा है. जास 313 का नाम ईरान के काहेर 313 फाइटर जेट प्रोजेक्ट से मिलता-जुलता है. ईरान इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक ईरानी सूत्रों ने कहा कि यह एक अलग प्रोग्राम है, जिसका उद्देश्य नौसैनिक विमानन को मजबूत करना है. पश्चिमी ताकतें ईरान पर रूस को ड्रोन और मिसाइलें देने का आरोप लगाती हैं, जिसका इस्तेमाल यूक्रेन पर हमले के लिए किया जाता है. इसीलिए यह ड्रोन डेवलपमेंट अमेरिका और पश्चिमी देशों की चिंता बढ़ा रहा है.
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March 04, 2025, 11:41 IST
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