एस. जयशंकर का ट्रंप पर बड़ा बयान, बोले- ‘पाकिस्तान को खामियाजा भुगतना पड़ेगा’

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S Jaishankar Netherlands Visit: भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर के बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर इन दिनों नीदलैंड्स के दौरे पर हैं. उन्होंने आतंकवाद के मुद्दे, ऑपरेशन सिंदूर, पाकिस्तान में पनप रहे आतंकी और कश्मीर के मुद्दे पर खुलकर चर्चा की. विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की सैन्य कार्रवाई की दुनिया को तारीफ करनी चाहिए, उसकी पीठ थपथपाई जानी चीहिए.

नीदरलैंड के एक अखबार को दिए इंटरव्यू में पाकिस्तान के साथ सीजफायर को लेकर उन्होंने साफ शब्दों में कहा, “ये अस्थाई है. पाकिस्तान के साथ संघर्ष का स्थाई समाधान और इसका रास्ता कैसा होगा… हम आतंकवाद का अंत चाहते हैं. सीजफायर की वजह से दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ सैन्य कार्रवाई नहीं कर रहे हैं लेकिन पाकिस्तान ने अगर आतंकवादी हमला इसी तरह से जारी रखा तो इसका भुगतान तो करना होगा. पाकिस्तान और उसके लोगों को ये अच्छी तरह से समझने की जरूरत है.”

एस. जयशंकर ने उदाहरण देकर समझाई पाकिस्तान की करतूत

इस दौरान उनसे सवाल किया गया कि क्या आपने पहले भी कहा है कि पाकिस्तान आतंकवाद का केंद्र है और वहां पर एक्टिव आतंकी संगठनों को पाकिस्तान की सरकार का समर्थन मिल रहा है. इसके जवाब में उन्होंने कहा, “हां मैंने ये कहा है और अभी भी कह रहा हूं.” उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “मान लीजिए… एम्सटर्डम जैसे शहर के बीच में बड़े सैन्य केंद्र हों, जहां हजारों लोग मिलिट्री ट्रेनिंग के इकट्ठा हुए हों. तो क्या आपकी सरकार ये कहेगी कि हम इसके बारे में कुछ नहीं जानते? नहीं बिल्कुल नहीं.”

विदेश मंत्री ने आगे कहा, “हमें ये नैरेटिव नहीं अपनाना है कि पाकिस्तान कुछ नहीं जानता है. यूनाइडेट नेशन की ओर से प्रतिबंधित सबसे कुख्यात आतकियों की लिस्ट में पाकिस्तान के आतंकवादी हैं. ये आतंकी बड़े-बड़े शहरों से दिनदहाड़े बड़े आराम से ऑपरेट करते हैं और उनकी गतिविधियां सभी को पता हैं. तो ये नहीं समझें कि पाकिस्तान इसमें शामिल नहीं है और उसे कुछ नहीं पता है. पाकिस्तान की सरकार इसमें शामिल है. उसकी सेना सिर से लेकर पैर तक इसमें डूबी हुई है.”

कश्मीर के मुद्दे पर क्या बोले जयशंकर?

उन्होंने कहा, “जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद आंशिक रूप से पूरे कश्मीर में विवाद का मुद्दा है. हम आतंकवाद को कतई स्वीकार नहीं करते, ये अतर्राष्ट्रीय अपराध है और इसे किसी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता. आतंकी जम्मू-कश्मीर के टूरिज्म को टारगेट कर रहे हैं. जाबूझकर हमले को धार्मिक रंग दे रहे हैं. ग्लोबल लेवल पर इसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए. जहां तक जम्मू-कश्मीर का सवाल है तो ये एक ऐतिहासिक तथ्य है कि 1947 में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद कश्मीर ने भारत के साथ रहना चुना. हमारा रुख है कि अवैध रूप से कब्जा किए गए क्षेत्रों को हमें दिया जाना चाहिए.”

कश्मीर पर मध्यस्था पर जयशंकर ने साफ कर दिया रुख

उनसे पूछा गया कि क्या अतंर्राष्ट्रीय समुदाय कश्मीर विवाद पर मध्यस्थता कर सकता है? इसके जवाब में जयशंकर ने कहा, “नहीं… ये दो देशों के बीच द्विपक्षी मामला है.” इस पर उनसे पूछा गया कि तो क्या कश्मीर मामले पर डोनाल्ड ट्रंप के ऑफर को भारत स्वीकार नहीं करेगा? जयशंकर ने जवाब देते हुए कहा, “जैसा कि मैंने अभी कहा कि ये हम पाकिस्तान के साथ मिलकर ही सुलझाएंगे.”

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