मालदीव के साथ मिलकर चीन हिंद महासागर में रच रहा साजिश, भारत के लिए हो सकता है खतरा!

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Maldives and China in Indian Ocean : भारत के पड़ोसी देश मालदीव की सरकार ने चीन के साथ हिंद महासागर में मछलियों को इकट्ठा करने वाले उपकरणों (FADs) को इंस्टॉल करने को लेकर चर्चा कर रही है. हिंद महासागर में इस तरह का रिसर्च रणनीतिक प्रभावों को लेकर चिंता को बढ़ाता है.

इंडिया टूडे के रिपोर्ट के मुताबिक, हिंद महासागर में लगाए जाने वाले ये उपकरण मछलियों को गतिविधि को ट्रैक करने के साथ-साथ महासागर की केमिकल और फिजिकल डेटा भी इकट्ठा कर लेगी.

मालदीव ने क्यों लिया ये फैसला?

मालदीव की सरकार ने यह पहल देश के फिशिंग इंडस्ट्री में सुस्ती को देखते हुए की है. जिसके तहत मालदीव के मत्स्य पालन मंत्री अहमद शियाम ने चीन के सेकेंड इंस्टिट्यूट ऑफ ओशियनोग्राफी के सीनियर डेलीगेशन के साथ बातचीत शुरू की.

वहीं, दोनों के बैठक के बाद, मालदीव की मत्स्य मंत्री ने कहा, “यह चर्चा दोनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने के उद्देश्य से की गई है, हालांकि, इस दौरान उन्होंने इसके बारे में अधिक जानकारी नहीं दी.” इसके अलावा चीनी इंस्टिट्यूट के अधिकारियों ने मालदीव के पर्यटन और पर्यावरण के साथ मेटिरियोलॉजी विभाग के अधिकारियों के साथ भी मुलाकात की.

इंडिया टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन हिंद महासागर में इन उपकरण को तैनात करने के लिए मेटिरियोलॉजी विभाग के साथ काम कर रहा है, लेकिन अब तक सरकार ने इस प्रोजेक्ट के नेचर के बारे में आधिकारिक तौर पर कोई पुष्टि नहीं की है. वहीं, यह घटनाक्रम मालदीव के जलक्षेत्र में चीन की बढ़ रही सक्रियता के बाद शुरू हुआ है. इसमें विशेष रूप से साल 2024 की शुरुआत में चीनी रिसर्च वेसल शियांग यांग होंग 03 की उपस्थिति भी इस सक्रियता का हिस्सा है.

चीनी बेड़े का सबसे एडवांस वेसल है शियांग यांग होंग

शियांग यांग होंग 03 चीनी बेड़े सबसे एडवांस वेसल है, जिसने मालदीव के जलक्षेत्र में एक महीना बिताया था. इससे भारतीय अधिकारियों की चिंताएं बढ़ गई हैं. हालांकि, मालदीव की विदेश मंत्री ने एक बयान में कहा था कि यह जहाज रिसप्लाई और क्रू रोटेशन के लिए मालदीव जलक्षेत्र में डॉक कर रहा था. लेकिन भारतीय विशेषज्ञों ने इसके सैन्य इस्तेमाल होने की संभावना जताई.

वहीं, ऐसी भी अटकलें जताई गई है कि मालदीव में चीन की रिसर्च गतिविधि सिर्फ पर्यावरणीय उद्देश्यों के लिए नहीं है, बल्कि इसके जरिए जलक्षेत्र में जासूसी उपकरणों को भी इंस्टॉल किया जा सकता है.

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