बलूचिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ लड़ने वाली महिला नोबेल पुरस्कार के लिए हुई नोमिनेट

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Mahrang baloch Nominated For Nobel Prize: महरंग बलूच ने सोशल मीडिया पर खुलासा किया कि उन्हें पत्रकारों से इस नामांकन के बारे में बहुत से सवाल मिल रहे हैं, और वह इस बात की पुष्टि कर सकती हैं कि यह सच है. उन्होंने इस अवसर पर कहा कि वह इस नामांकन से बहुत सम्मानित महसूस कर रही हैं, लेकिन यह उनके बारे में नहीं है. बलूचिस्तान के जबरन गायब किए गए हजारों व्यक्तियों और उनके परिवारों के लिए यह लड़ाई है, जो अभी भी न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

बलूचिस्तान लंबे समय से मानवाधिकार उल्लंघनों और राज्य के दमन का शिकार रहा है. महरंग बलूच ने विशेष रूप से बलूच समुदाय के सदस्यों की जबरन गुमशुदगी के मुद्दे को उठाया है. बलूचिस्तान में जबरन गुमशुदगी, राज्य की आलोचना करने वालों को हिरासत में लेना, और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर हमले जैसे गंभीर आरोप लंबे समय से लगाए जा रहे हैं. महरंग बलूच का नामांकन उन लोगों की आवाज़ को एक मंच प्रदान करता है जो इन घटनाओं से प्रताड़ित हैं और जिन्होंने न्याय की मांग की है.

वैश्विक नागरिक समाज और सभ्य देशों के लिए संदेश
महरंग बलूच का मानना है कि बलूचिस्तान के लोगों के संघर्ष को वैश्विक नागरिक समाज और सभ्य देशों द्वारा नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने अपने ट्वीट में यह स्पष्ट किया कि उनका यह नामांकन बलूचिस्तान के उन हज़ारों परिवारों के लिए एक प्रतीक है, जो आज भी अपने प्रियजनों की वापसी और न्याय की आशा कर रहे हैं. उन्होंने मानवाधिकारों की इस लड़ाई को वैश्विक मंच पर ले जाने की आवश्यकता पर जोर दिया.

महरंग बलूच के लिए यह लड़ाई व्यक्तिगत नहीं
महरंग बलूच ने इस नामांकन को अपने व्यक्तिगत प्रयासों की पहचान के रूप में देखने से इंकार किया है. उन्होंने कहा कि यह सम्मान उन लोगों का है जो दशकों से अन्याय का सामना कर रहे हैं. यह नामांकन दुनिया भर में बलूच लोगों के साथ हो रहे दमन की ओर ध्यान आकर्षित करने का एक प्रयास है और इस दिशा में वह यह मानती हैं कि उनके नाम का उपयोग इस संघर्ष को उजागर करने के लिए किया जाना चाहिए.

महरंग बलूच का नोबेल पुरस्कार
महरंग बलूच का नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकन बलूचिस्तान में मानवाधिकारों की लड़ाई को एक वैश्विक मंच पर ले जाने का प्रयास है. यह उन हजारों लोगों के संघर्ष का प्रतीक है जो जबरन गायब कर दिए गए हैं और उनके परिवार न्याय की उम्मीद कर रहे हैं. बलूचिस्तान के लोगों के लिए यह नामांकन अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित करने का एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है.

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