CAA और NRC का विरोध करने वाली क्षमा सावंत का वीजा हुआ खारिज, जानें क्या बोला भारतीय दूतावास

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Kshama Sawant VISA: विदेशों में भारत विरोधी प्रोपगेंडा फैलाने वाली क्षमा सावंत को भारत आने की इजाजत नहीं दी गई है. उनका वीजा खारिज कर दिया गया. सिएटल स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास ने शुक्रवार (07 फरवरी, 2025) को कहा कि वाणिज्य दूतावास में कुछ लोगों ने ऑफिस टाइम के बाद बिना इजाजत घुसने की कोशिश की. यह घटना भारतीय-अमेरिकी राजनीतिज्ञ क्षमा सावंत को वीजा देने से इनकार करने के मामले में हुई.

सिएटल में भारतीय महावाणिज्य दूतावास ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “आज, वाणिज्य दूतावास को कार्यालय समय के बाद वाणिज्य दूतावास परिसर में कुछ लोगों की ओर से अनधिकृत प्रवेश से उत्पन्न कानून और व्यवस्था की स्थिति से निपटने के लिए मजबूर होना पड़ा. बार-बार अनुरोध के बावजूद, इन व्यक्तियों ने वाणिज्य दूतावास परिसर छोड़ने से इनकार कर दिया और वाणिज्य दूतावास के कर्मचारियों के साथ आक्रामक और धमकी भरा व्यवहार किया.”

क्षमा सावंत ने क्या लगाया आरोप

क्षमा सावंत ने दावा किया कि उनका भारतीय वीजा तीन बार रिजेक्ट कर दिया गया, जबकि उनके पति कैल्विन प्रीस्ट को भारत में अपनी बीमार मां को देखने के लिए आपातकालीन वीजा दे दिया गया. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कई पोस्ट किए, जिसमें सावंत ने कहा कि उन्होंने और वर्कर्स स्ट्राइक बैक के सदस्यों ने भारतीय वाणिज्य दूतावास पर शांतिपूर्ण सविनय अवज्ञा की और इस बात की स्पष्टीकरण की मांग की कि उनका वीजा तीन बार क्यों खारिज किया गया.

उन्होंने कहा, “मैं और मेरे पति सिएटल भारतीय वाणिज्य दूतावास में हैं. उन्होंने मेरी मां के बहुत बीमार होने के कारण उन्हें आपातकालीन वीजा दिया लेकिन मेरा वीजा अस्वीकार कर दिया, सचमुच यह कहते हुए कि मेरा नाम अस्वीकार सूची में है और इसका कारण बताने से इनकार कर दिया. हम जाने से इनकार कर रहे हैं. वे हमें पुलिस बुलाने की धमकी दे रहे हैं.” एक वीडियो में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है, “हम बस स्पष्टीकरण मांग रहे हैं. मैं अस्वीकृत सूची में क्यों हूं? मेरा वीजा क्यों अस्वीकार किया गया है?”

सीएए और एनआरसी का विरोध कर चुकी हैं क्षमा सावंत

नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की मुखर आलोचक रही क्षमा सावंत ने कहा कि वीजा अस्वीकृति राजनीति से प्रेरित थी. ये वही क्षमा सावंत हैं जिन्होंने सिएटल में जाति-आधारित भेदभाव को गैरकानूनी घोषित करने वाला प्रस्ताव पेश किया था.

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