Last Updated:February 13, 2025, 13:31 IST
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आधिकारिक विमान इंडिया वन वाशिंगटन में जिस एय़रबेस पर उतरा है, वह बहुत खास है. अमेरिकी प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप का आधिकारिक विमान एयरफोर्स वन भी यहीं खड़ा रहता है.
हाइलाइट्स
- मोदी का विमान एंड्रयूज एयरफोर्स बेस पर उतरा
- अमेरिकी राष्ट्रपति का विमान भी यहीं खड़ा होता है
- एंड्रयूज बेस का इतिहास गृहयुद्ध से जुड़ा है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की दो दिवसीय यात्रा पर हैं. अमेरिका पहुंचने के बाद उनका विशेष विमान इंडिया वन उस ज्वाइंट बेस एंड्रयूज नेवल एयर फैसिलिटी पर खड़ा किया गया है, जहां केवल अमेरिकी प्रेसीडेंट का विशेष विमान एयरफोर्स वन और उनका हेलिकॉप्टर ही खड़ा होता है. जानते हैं कि ये बेस कितना खास है?
एंड्रयूज एयरफोर्स बेस पर अमेरिका के राष्ट्रपति के दो एयरफोर्स वन विमान खड़े ही नहीं होते बल्कि कहीं भी जाने के लिए यूएस प्रेसिडेंट यहीं से उड़ान भी भरते हैं. अमेरिका जब भी किसी राष्ट्र प्रमुख को बहुत ज्यादा अहमियत देता है तो उनका विशेष विमान भी एंड्रयूज एयरफोर्स बेस पर ही खड़ा किया जाता है.
इस एयर बेस का इतिहास गृहयुद्ध से जुड़ा है. तब यूएस फेडरल ने पास में ही डेरा डाले हुए सैनिकों के लिए मुख्यालय के तौर पर एक छोटे से देश के चर्च पर कब्जा कर लिया था. अब उस चर्च को चैपल-टू के नाम से पहचाना जाता है. बेस कम्युनिटी धार्मिक कामों के लिए इसका इस्तेमाल करती है.
क्या था इस एयर फील्ड का मकसद?
राष्ट्रपति फैंकलिन डी. रूजवेल्ट ने अगस्त 1942 में युद्ध सचिव को भूमि अधिग्रहण कर सैन्य हवाई क्षेत्र बनाने का आदेश दिया था. इसी साल के अंत में एंड्रयूज एयरफोर्स बेस का निर्माण कार्य शुरू हुआ. वेस्टओवर फील्ड से पहली स्थायी यूनिट 463वां बेस हेडक्वार्टर और एयर बेस स्कवाड्रन 105 सैनकिों व पांच अधिकारियों के साथ 19 अप्रैल 1943 को यहां पहुंची.
तब इसका नाम कैंप स्प्रिंग्स आर्मी एयर फील्ड था, जो 2 मई 1943 को चालू हुआ था. उस समय यहां पहला रिपब्लिक पी-47 थंडरबोल्ड पहुंचा था. इसके बाद पहले महीने में ही यहां 75 पी-47 की तैनाती कर दी गई. इस एयर फील्ड का शुरुआती मकसद यहां फाइटर पायलट्स को विदेश में युद्ध के लिए प्रशिक्षित करना था.

अमेरिकी वायुसेना के संस्थापकों में एक लेफ्टिनेंट जनरल फ्रैंक एम. एंड्रयूज के सम्मान में एंड्रयूज फील्ड का नाम रखा गया. (Image: Wikipedia)
कैसे पड़ा एंड्रयूज एयरफोर्स बेस नाम?
दूसरे विश्व युद्ध के बाद के वर्षों में एंड्रयूज का इस्तेमाल कॉन्टिनेंटल एयर कमांड, स्ट्रैटजिक एयर कमांड और मिलिट्री एयर ट्रांसपोर्ट सर्विस के मुख्यालय के तौर पर किया गया. साल 1950 से 1992 तक ये एयर फील्ड एयर रिसर्च एंड डेवलपमेंट कमांड और एयरफोर्स सिस्टम कमांड के मुख्यालय भी रहा.
अमेरिकी वायुसेना के संस्थापकों में से एक लेफ्टिनेंट जनरल फ्रैंक एम. एंड्रयूज के सम्मान में कैंप स्प्रिंग्स को 31 मई 1945 को एंड्रयूज फील्ड का नाम दिया गया. दरअसल, 3 मई 1943 को एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी. वायु सेना के 1947 में एक अलग सेवा बनने के कुछ ही समय बाद बेस का नाम बदलकर एंड्रयूज एयर फोर्स बेस कर दिया गया.
किस राष्ट्रपति ने पहली बार भरी उड़ान?
एंड्रयूज एयरफोर्स बेस पर 1947 में पहला स्थायी रूप से सौंपा गया जेट संचालित विमान एफ-80 शूटिंग स्टार पहुंचा. कोरियाई युद्ध की शुरुआत के साथ जून 1950 में एंड्रयूज एयरफोर्स बेस पर बी-25 बमवर्षक दल को प्रशिक्षण दिया गया. एंड्रयूज एयरफोर्स बेस को वरिष्ठ सरकारी और सैन्य अधिकारियों के परिवहन के विशेष हवाई अभियानों के लिए जाना जाता है.
इस एयरफोर्स बेस से पहली बार राष्ट्रपति हैरी एस.ट्रूमैन ने 24 नवंबर 1946 को उड़ान भरी थी. बेस को बेहतर बनाने के लिए 1.4 करोड़ डॉलर का खर्च किया गया. इसमें पुराने रनवे को बेहतर किया गया और एक नया रनवे बनाया गया. इसके बाद 1959 में एंड्रयूज एयरफोर्स बेस का अमेरिका के गणमान्य व्यक्तियों के प्रवेश व प्रस्थान के लिए इस्तेमाल शुरू हुआ.
कई बार युद्धबंदियों का स्वागत किया
अमेरिका के 1254वें एयर ट्रांसपोर्ट ग्रुप डिटेचमेंट-1 को 1959 में अपना पहला जेट एयरक्राफ्ट वीसी-137 मिला. हालांकि, इस समय तक राष्ट्रपति का आधिकारिक विमान सी-121 वाशिंगटन नेशनल एयरपोर्ट पर ही रहा. राष्ट्रपति अक्सर लंबी यात्राओं के दौरान वीसी-137 का इस्तेमाल करते थे.
जॉन एफ. कैनेडी का आधिकारिक विमान सी-118 मार्च, 1962 में स्थायी तौर पर वाशिंगटन नेशन एयरपोर्ट से एंड्रयूज एयरफोर्स बेस पर ट्रांसफर कर दिया गया. ये बेस तब से कई सुखद वापसी और पुनर्मिलन का केंद्र रहा है. एंड्रयूज ने 1973 में वियतनाम से लौटे युद्धबंदियों का स्वागत किया. इसके बाद 1981 में ईरान से अमेरिकी बंधकों की वापसी देखी और पूर्व यूद्धबंदियों पीएफसी का स्वागत भी किया.

ज्वाइंट एंड्रयूज बेस अमेरिका के अतिविशिष्ट लोगों के परिवहन के साथ ही दूसरे देशों के अतिविशिष्ट राजकीय अतिथियों का अमेरिका में पहला पड़ाव होता है.
अतिविशिष्ट लोगों का है पहला पड़ाव
‘द प्रेसिडेंट विंग’ के तौर पर पहचाना जाने वाला 89वां एयरलिफ्ट विंग दुनियाभर में अतिविशिष्ट लोगों के परिवहन के लिए विशिष्ट एयर मोबिलिटी कमांड विंग के रूप में एंड्रयूज के समृद्ध इतिहास में योगदान देना जारी रखता है. एंड्रयूज न केवल अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए सेवा प्रदान करता है, बल्कि राजाओं, रानियों, राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों, पोप, स्थानीय तथा विदेशी सैन्य नेताओं के लिए भी अमेरिका में पहला पड़ाव है.
कब ज्वाइंट बेस में बदला एंड्रयूज बेस
एंड्रयूज एयर फोर्स बेस नेवल एयर फैसिलिटी वाशिंगटन के साथ 1 अक्टूबर 2009 को एक संयुक्त बेस बन गया. अब इसे ज्वाइंट बेस एंड्रयूज नेवल एयर फैसिलिटी वाशिंगटन या ज्वाइंट बेस एंड्रयूज के नाम से जाना जाता है. अक्टूबर 2010 में 316वीं विंग को निष्क्रिय कर दिया गया और बोलिंग एयर फोर्स बेस पर मेजबान 11वीं विंग को सक्रिय किया गया.
इसने जून 2020 तक एंड्रयूज में मेजबान विंग के रूप में कार्य किया. इसके बाद 316वीं विंग को यहां फिर से सक्रिय कर दिया गया. ज्वाइंट बेस एंड्रयूज अमेरिका की रक्षा में सक्रिय और अहम भूमिका निभाता है. यह 1940 के दशक के पी-47 थंडरबोल्ट व एफ-80 शूटिंग स्टार के लिए कीचड़ भरे खेतों तथा लकड़ी की इमारतों से विकसित होते हुए आत एयर फोर्स वन, एफ-16 फाइटिंग फाल्कन समेत कई राष्ट्रीय स्तर पर अहम मिशन के लिए अहम आधुनिक हवाई क्षेत्र में तब्दील हो गया है.
कहां पर है एंड्रयूज एयरफोर्स बेस
ज्वाइंट बेस एंड्रयूज मैरीलैंड राज्य में प्रिंस जॉर्ज काउंटी में स्थित है, जो वाशिंगटन डीसी की सीमा से लगभग 10 मील और वर्जीनिया से 15 मील दूर है. आधार भौतिक रूप से कैंप स्प्रिंग्स एमडी शहर में स्थित है और इसकी सीमा चार कस्बों क्लिंटन, अपर मार्लबोरो, टाउन ऑफ मॉर्निंगसाइड और फॉरेस्टविले से लगती है.
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
February 13, 2025, 13:31 IST
कितना खास है वाशिंगटन का एंड्रयूज एयरफोर्स बेस, जहां उतरा मोदी का विमान
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