Nimisha Priya Row: निमिषा प्रिया एक भारतीय महिला, जिसे यमन में हत्या के आरोप में मौत की सज़ा सुनाई गई है. निमिषा प्रिया केरल की वो नर्स जो यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या के आरोप में साल 2017 से यमन की जेल में बंद है. निमिषा प्रिया, जिसके पास जिंदगी के महज 30 दिन से भी कम समय बचे हैं, क्योंकि यमन के राष्ट्रपति रशद मुहम्मद अल अलीमी ने उसकी मौत की सजा को मंजूरी दे दी है. निमिषा प्रिया, जो अपने छोटे से सपनों की दुनिया को साकार करने साल 2008 में भारत से यमन की राजधानी सना पहुंची थी, वो आज उसी यमन में जिंदगी बचाने की जंग लड़ रही है.
केरल के पलक्कड़ की रहने वाली निमिषा का परिवार उसे बचाने की कानूनी लड़ाई लड़ रहा है. निमिषा की मां प्रेमा कुमारी इस वक्त सना में मौजूद हैं और लगातार अपनी बेटी को बचाने के लिए अभियान चला रही हैं. निमिषा के पति टॉमी थॉमस अपनी पत्नी को मौत की सजा से बचाने के लिए भारत सरकार से मदद की अपील कर रहे हैं. निमिषा प्रिया की 13 वर्षीय बेटी ने जबसे होश संभाला है, अपनी मां को नहीं देख पाई है, क्योंकि निमिषा 8 सालों से यमन की जेल में बंद है. निमिषा के पति टॉमी थॉमस और उनकी मां प्रेमा कुमारी का कहना है कि निमिषा ने जो अपराध किया ही नहीं, उसकी सजा भी उसे भुगतनी पड़ रही है. ऐसे में पूरा परिवार अब सदमे में है और निमिषा को बचाने के लिए पीड़ित परिवार के साथ समझौते के आखिरी विकल्प ब्लड मनी को तलाशने में जुटा है, जिसको लेकर कई दौर की बातचीत हो चुकी है.
विदेश मंत्रालय का बयान
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने निमिषा प्रिया के केस पर कहा कि भारत सरकार को यमन में निमिषा प्रिया को मौत की सज़ा की जानकारी है और परिवार सभी मौजूद विकल्पों को तलाश रहा है, भारत सरकार इस विषय पर हर संभव मदद कर रही है.
कम यमन पहुंची थी निमिषा प्रिया?
निमिषा प्रिया साल 2008 में जब यमन पहुंची तो वहां पर एक अस्पताल में नर्स की नौकरी करने लगीं और 2011 में निमिषा की शादी केरल के टॉमी थॉमस हुई. इस दौरान निमिषा ने यमन में एक क्लीनिक खोलने का प्लान किया लेकिन इसके लिए उसे एक स्थानीय नागरिक की जरूरत थी. इस वजह से निमिषा ने यमनी नागरिक महदी के साथ पार्टनरशिप में अपना क्लीनिक खोला. कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि निमिषा का बिजनेस पार्टनर केरल आया और उसके बाद से उसने निमिषा की तस्वीरों का गलत प्रयोग कर खुद को उसका पति होने का दावा करने लगा.
निमिषा ने इसका विरोध भी किया और शिकायत भी की. लेकिन 2014-15 में यमन में शुरू हुए गृहयुद्ध ने वहां के हालात बहुत ही खराब कर दिए, जिसकी बाद से निमिषा कभी भारत वापस नहीं आ पाई. इसी बीच यमन में निमिषा पर महदी की हत्या का आरोप लगता है और उसे जेल में बंद कर दिया जाता है और साल 2020 में उसे मौत की सजा सुनाई गई है.
ब्लड मनी से बच सकती है निमिषा की जान
निमिषा और उसके परिवार के पास अब मात्र एक विकल्प बचा है और वो है- ब्लड मनी. यमन में शरिया कानून चलता है, ऐसे हालात में अगर पीड़ित परिवार निमिषा को माफ़ कर दे, तो निमिषा को बचाया जा सकता है. ब्लड मनी उसे कहते हैं जो किसी पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद दी जाती है. ब्लड मनी के तौर पर पीड़ित परिवार को पैसे देने के लिए बातचीत अभी भी जारी है, इसके लिए यमन के वकील के माध्यम से निमिषा का परिवार संपर्क में है. अब देखना यही होगा कि क्या ब्लड मनी से बात बन पाएगी और निमिषा प्रिया की जिंदगी को बचाया जा सकेगा. निमिषा का परिवार और वकील इस मुहिम में तेजी से लगे हुए हैं और समय बेहद कम बचा है.
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