बांग्लादेश में होगी ISI की एंट्री! पूर्वोत्तर भारत के लिए खड़ी हो सकती हैं मुश्किलें

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Bangladesh News: बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के बाद से पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) यहां पर अपनी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश में लगी हुई है. ISI बांग्लादेश के कुछ रणनीतिक क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति स्थापित करने की कोशिश में लगी हुई है. इससे भारत के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं. 

1971 में बांग्लादेश के गठन से पहले यहां के कुछ रणनीतिक क्षेत्रों में पाकिस्तानी सेना की मौजूदगी थी, जो उस समय पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा थे. इससे भारत के लिए काफी चुनौतियां पैदा हो गई थी क्योंकि पाकिस्तानी सेना नागालैंड और मिजोरम जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय विद्रोही समूहों का समर्थन कर रही थी. 

ढाका यात्रा के दौरान की बात

The Economic Times की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सप्ताह ISI प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल असीम मलिक की ढाका यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने कॉक्स बाजार , उखिया, टेकनाफ, मौलवीबाजार, हबीगंज और शेरपुर में ISI की मौजूदगी की संभावना पर चर्चा की थी. 1971 में बांग्लादेश के गठन से पहले इन इलाकों में पाकिस्तानी सेना की मौजूदगी थी. यहां से पाकिस्तानी सेना पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय विद्रोही समूहों को समर्थन देती थी.  ISI एक बार फिर से भारत की पूर्वोत्तर और पूर्वी सीमाओं पर ISI के नेटवर्क का विस्तार को लेकर योजना बना रहा है.

विशेषज्ञों ने जताई चिंता

The Economic Times की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश मामलों के विशेषज्ञ ढाका में पाकिस्तानी सेना की तीव्र घुसपैठ से चिंतित हैं. ISI कथित तौर पर बांग्लादेश सेना के इस्लामवादी और जमात समर्थक गुट को समर्थन दे रहा है.

बांग्लादेश सेना के क्वार्टर मास्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर रहमान के अलावा, बांग्लादेश सेना के 24 डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल मीर मुशफिक रहमान के बारे में भी पता चला है कि उनके घरेलू कट्टरपंथियों और ISI के साथ करीबी संबंध हैं.

‘बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतों के निशाने पर अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय’

कट्टरपंथ को बढ़ावा देने वाले समूह बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदू और अहमदिया समुदायों पर हमला कर रहे हैं. ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में यह खुलासा किया है.

रिपोर्ट में पिछले साल अगस्त में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद से हटाए जाने के बाद देश में सुरक्षा बलों के गलत इस्तेमाल के एक परेशान करने वाले पैटर्न को भी उजागर किया गया, जिसमें अवामी लीग के समर्थकों और पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है.

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