क्या फंस गए हैं जेलेंस्की, ट्रंप के साथ खराब बातचीत के बाद उनके सामने अब क्या विकल्प

Must Read

Last Updated:March 01, 2025, 17:33 IST

व्हाइट हाउस में जिस तरह अमेरिकी प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की के बीच बातचीत खराब रही, उससे जेलेंस्की अजीब सी स्थिति में फंस गए हैं. अब उनके सामने बहुत ज्यादा विकल्प नहीं …और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • ट्रंप और जेलेंस्की की बातचीत बहुत खराब रही, ये उम्मीद किसी को नहीं थी
  • व्हाइट हाउस में ऐसी बातचीत हाल के बरसों में तो नहीं देखी गई
  • जेलेंस्की के लिए अमेरिका के दरवाजे तो बंद तो यूरोप साथ देगा

मोटे तौर पर तो यही लग रहा है कि व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और आक्रामक उप राष्ट्रपति वेंस के साथ यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमीर जेलेंस्की की बातचीत जिस तरह पटरी से उतरकर खराब बहस और कटुता के बीच खत्म हुई, उसके बाद अमेरिका के दरवाजे फिलहाल यूक्रेन के लिए बंद हो चुके हैं. रिपोर्ट है ट्रंप इस बातचीत में पुतिन का पक्ष ले रहे थे. बातचीत का नतीजा इतना खराब रहा कि ट्रंप और जेंलेस्की के बीच पहले से तय प्रेस कांफ्रेंस रद्द हो गई. जेलेंस्की यूक्रेन रवाना हो गए.

क्या इसका मतलब ये निकाला जाए कि जेलेंस्की फंस गए हैं. उनके सामने ज्यादा विकल्प नहीं रह गए हैं. उन्हें अमेरिका से हथियार और किसी भी सहायता नहीं मिलेगी. पूरा यूरोप भी इस खराब बातचीत से स्तब्ध है. सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या अब यूरोप अमेरिका की नाराजगी झेलत हुए यूक्रेन की मदद करेगा. और अगर करता है तो कब तक कर पाएगा.

हालांकि फिलहाल जेलेंस्की के लिए संतोष की बात यही है कि यूरोप उनके साथ आकर खड़ा हो गया है. व्हाइट हाउस में ट्रंप द्वारा की गई तीखी आलोचना के बाद यूरोपीय नेताओं ने यूक्रेन को निरंतर समर्थन देने का वचन दिया. यूरोप में उनके समर्थन में रैली निकलने की भी खबरें आई हैं.

यूरोप का रुख समर्थन का
यूरोप के नेताओं ने पहले यूक्रेन और उसके संकटग्रस्त राष्ट्रपति की प्रशंसा की. एक के बाद एक बयान आने लगे: फ्रांस, जर्मनी, पोलैंड, स्पेन, डेनमार्क, नीदरलैंड, पुर्तगाल, चेक गणराज्य, नॉर्वे, फिनलैंड, क्रोएशिया, एस्टोनिया, लातविया, स्लोवेनिया, बेल्जियम, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग और आयरलैंड ने पहले साथ खड़े होने की बात कही. फिर कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के नेताओं ने भी यूरोपीय लोगों के सुर में सुर मिलाया.

क्या फंस गए हैं जेलेंस्की
लिहाजा ये कहना है कि वोलोदिमीर जेलेंस्की फंस गए हैं, ये कहना जल्दबाजी होगी. बेशक जेलेंस्की संकट की स्थिति में तो आ गए हैं. व्हाइट हाउस में ट्रंप के साथ उनकी असफल मुलाकात ने उनकी कूटनीतिक स्थिति को कमजोर जरूर किया है.

अब जेलेंस्की के सामने मुख्य चुनौतियां क्या हैं

अमेरिका के बगैर आगे का रास्ता
अब जेलेंस्की को तय करना होगा कि आगे का रास्ता वो कैसे तय करते हैं. क्योंकि अमेरिका से किसी भी तरह की मदद वो खत्म समझें. हालांकि ट्रंप का व्यवहार खुद उनके देशवासियों को रास नहीं आया होगा. क्योंकि ज्यादातर अमेरिकी मानते हैं कि यूक्रेन में युद्ध की शुरुआत पुतिन की ओर से हुई. इसलिए वो यूक्रेन का नैतिक समर्थन करते रहे हैं. यदि अमेरिका से सहायता नहीं मिलती, तो यूक्रेन के लिए रूस के खिलाफ जंग जारी रखना कठिन होगा.

क्या यूरोप से मदद मिलेगी
अमेरिका से दूरी के बाद यूरोपीय देशों (जैसे जर्मनी, फ्रांस, और ब्रिटेन) से मदद मांगनी पड़ेगी. हालांकि यूरोप के सभी देशों ने पिछले 24 घंटों में उन्हें मदद और साथ खड़े रहने का भरोसा दिया है. लेकिन यूरोपीय सहयोगी भी आर्थिक और राजनीतिक कारणों से सीमित समर्थन ही दे सकते हैं.

अब रूस के साथ शांति वार्ता का दबाव
अगर पश्चिमी मदद कम होती है, तो जेलेंस्की पर रूस के साथ वार्ता करने का दबाव बढ़ेगा. ऐसा लगता है कि अब जेलेंस्की के दिमाग में सबसे पहली बात यही होगी कि वो रूस के साथ कैसे शांति प्रस्ताव करें और युद्ध रोक सकें. यूक्रेनी जनता का दबाव भी उन पर शांति वार्ता के लिए बढ़ेगा. देश में विपक्षी पहले ही उनकी आलोचना करने लगे थे

आंतरिक अस्थिरता और विपक्ष का बढ़ता दबाव
यूक्रेन की स्थिति लंबा युद्ध खींचने की नहीं है. अगर युद्ध करीब तीन साल खींच गया है तो ये अमेरिकी मदद की वजह से ही था लेकिन अब इसका लंबा चलना मुश्किल है. राजनीति के चतुर खिलाड़ी पुतिन फिलहाल फायदे की स्थिति में देखना होगा कि जेलेंस्की की इस कमजोर स्थिति के बाद वह कौन सी कीमत लेकर युद्ध खत्म करते हैं.
ये तो तय है कि अब यूक्रेन के भीतर भी असंतोष बढ़ सकता है. उनकी नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठ सकते हैं, जिससे उनकी राजनीतिक स्थिति कमजोर होगी.

क्या जेलेंस्की के पास कोई रास्ता बचा है?
हां, उनके पास अब भी कुछ विकल्प हैं
– अमेरिका में अन्य प्रभावशाली नेताओं और कांग्रेस को अपने पक्ष में करना।
– यूरोपीय देशों से रक्षा और वित्तीय सहायता बढ़ाने की कोशिश।
– यूक्रेनी जनता और सेना के मनोबल को बनाए रखना।
– अगर युद्ध में रणनीतिक बढ़त नहीं मिलती, तो रूस के साथ बातचीत का एक नया रास्ता तलाशना.
जेलेंस्की की स्थिति नाजुक है, लेकिन वे पूरी तरह फंसे नहीं हैं. ये इस बात पर निर्भर करेगा कि वे आने वाले हफ्तों में क्या कूटनीतिक और सैन्य कदम उठाते हैं. यदि वे पश्चिमी समर्थन बनाए रखने में असफल रहते हैं, तो उनके पास रूस से बातचीत करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा.

homeknowledge

क्या फंस गए जेलेंस्की, ट्रंप के साथ खराब बातचीत के बाद उनके सामने क्या विकल्प

world news, world news today, latest world news, latest news, hindi world news, hindi news today, oxbig news, oxbig news network, oxbig hindi, oxbig hindi news, hindi oxbig, oxbig

English News

- Advertisement -

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

Latest Article

- Advertisement -