Iran Supports Armenia Against Azerbaijan: भारत-पाकिस्तान विवाद में अजरबैजान का पाकिस्तान को समर्थन देना नई बात नहीं है. हालांकि, इस बार जब अजरबैजान ने भारत-विरोधी रुख अपनाया तो भारत को जवाब देने की जरूरत ही नहीं पड़ी. इसके सहयोगी देश ईरान ने ही ऐसा संदेश दे दिया है, जिससे अजरबैजान की रणनीतिक स्थिति डगमगाने लगी है.
ईरान ने अपनी विदेश नीति में स्पष्ट किया है कि सीमाओं में किसी भी प्रकार का बदलाव मंजूर नहीं होगा, जिससे अजरबैजान और तुर्किए की वो योजनाएं ध्वस्त होती दिख रही हैं, जिनमें वे अर्मेनिया के भौगोलिक स्वरूप को बदलना चाहते थे.
ईरान-अर्मेनिया संबंधों की मजबूती
ईरान के रक्षा मंत्री की अर्मेनिया की राजधानी येरेवन में यात्रा ने वैश्विक स्तर पर एक बड़ा संदेश भेजा है. उन्होंने अर्मेनिया के साथ रणनीतिक स्थायित्व और सीमा की सुरक्षा को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई. ईरानी रक्षा मंत्री ने साफ तौर पर कहा कि काकेशस क्षेत्र की स्थिरता हमारी उत्तर सीमाओं की स्थिरता के लिए जरूरी है. ईरान ने यह भी कहा कि मुस्लिम बहुल देश होते हुए भी वह केवल धर्म के आधार पर अपनी विदेश नीति नहीं चलाता, बल्कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंधों को प्राथमिकता देता है.
Iran’s Defense Minister visits Armenia, highlighting the country’s long-standing Muslim-Christian unity and reaffirming Tehran’s support for lasting peace between Armenia and Azerbaijan.
• Visit follows recent military drills with both Azerbaijan and Armenia. pic.twitter.com/2B0js1RPum
— آریان 🇮🇷 (@BasedQizilbash) May 21, 2025
2020 की जंग और अजरबैजान का आत्मविश्वास
अजरबैजान ने 2020 में नागोर्नो-काराबाख की जंग में अर्मेनिया पर जीत दर्ज की थी और तब से उसका रवैया आक्रामक रहा है, लेकिन ईरान के स्पष्ट रुख ने अजरबैजान की योजनाओं पर पानी फेर दिया है. इस बीच अजरबैजान और तुर्किए मिलकर अर्मेनिया को दक्षिण से काटने और नखिचेवान क्षेत्र को जोड़ने की रणनीति बना रहे थे. इसको लेकर ईरान ने ‘जियो-पॉलिटिकल रीमैपिंग’ के खिलाफ सख्त आपत्ति जताई है.
ईरान का स्पष्ट संदेश
ईरान ने यह साफ किया कि सीमा विवाद से क्षेत्रीय अस्थिरता पैदा होगी. किसी देश को बुली करने या नक्शा बदलने की छूट नहीं दी जाएगी. हम इस तरह से अर्मेनिया को अकेला नहीं छोड़ेंगे. यह बयान भारत के लिए रणनीतिक रूप से अनुकूल है, क्योंकि अजरबैजान के पाकिस्तान समर्थक रवैये का जवाब उसके सहयोगी की कूटनीतिक हार से मिल गया.
भारत के लिए कूटनीतिक बढ़त
भारत ने अजरबैजान को प्रत्यक्ष रूप से कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन ईरान की तरफ से यह संदेश गया कि पाकिस्तान और उसके नए दोस्त अगर दक्षिण एशिया में भारत के खिलाफ माहौल बनाएंगे तो उन्हें पश्चिम एशिया में समर्थन नहीं मिलेगा. भारत-अर्मेनिया के बीच रक्षा सहयोग पहले से मौजूद है और अब ईरान की भागीदारी से यह त्रिकोण मजबूत हुआ है.
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