‘इस्लाम के नाम पर फैला रहे हिंसा, हिंदू, सिख को…’, बोला इंडोनेशिया का मुस्लिम बोर्ड

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आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की भारत की नीति का सबसे बड़े इस्लामिक मुल्क इंडोनेशिया ने समर्थन किया है. इंडोनेशिया के नेहदलातुल उलेमा एग्जीक्यूटिव बोर्ड के चेयरमैन केएच उलिल अबशार अब्दाला ने माना कि इस्लाम में कुछ संगठन इस्लाम के नाम पर हिंसा को बढ़ावा देते हैं. उन्होंने कहा कि आतंकवाद से सबसे ज्यादा पीड़ित किसी और धर्म के लोग नहीं बल्कि मुसलमान खुद हैं.

अबशार अब्दाला ने कहा, ‘ये बात सच है कि इस्लाम में कुछ ग्रुप इस्लाम के नाम पर हिंसा को बढ़ावा देते हैं. ये सही नहीं है क्योंकि इस्लाम शांतिप्रिय मजहब है और मुसलमान अमन-शांति चाहते हैं. मैंने भारत से आए अपने साथियों से कहा कि आतंकवाद से सबसे ज्यादा पीड़ित हिंदू, बौद्ध या ईसाई नहीं हैं. सबसे ज्यादा पीड़ित तो मुसलमान खुद हैं इसलिए इस समस्या से निपटने के लिए सबसे ज्यादा चिंतित भी मुस्लिम हैं.’

अबशार अब्दाला का कहना है कि दक्षिण और साउथ एशिया में रहने वाले लोग शांति और सद्भाव चाहते हैं क्योंकि आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता आतंकवाद के खात्मे के बिना नहीं आ सकती है. उन्होंने कहा कि अगर लोगों को धर्म की उचित और सही समझ नहीं है और हिंसा को वैध करने के लिए धर्मों का शोषण होता है तो यह बहुत खतरनाक है.

अबशार अब्दाला ने कहा, ‘मैंने भारतीय सांसदों से कहा कि इंडोनेशिया के इतिहात की सबसे गहरी भूगर्भीय लेयर भारत के इतिहास और सभ्यता से ही जुड़ी है इसलिए भारत और इंडोनेशिया को लोगों के बीच सहयोग के आधार पर भी जुड़ना चाहिए. इंडोनेशिया की नेशनल मैंडेट पार्टी (PAN) के नेताओं ने भारत के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए गुरुवार (30 मई, 2025) को भारतीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से कहा कि आतंकवाद फैलाने के लिए धर्म और जाति को आधार नहीं बनाया जा सकता.

भारतीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने इंडोनेशिया में कम से कम 20 मित्र देशों के स्थानीय राजदूतों से मुलाकात की. मित्र देशों के राजनयिकों ने सभी रूपों में आतंकवाद की कड़ी निंदा की और इस खतरे का मुकाबला करने के लिए एकजुट वैश्विक प्रयासों की तत्काल आवश्यकता को दोहराया.

जनता दल (यू) के सांसद संजय कुमार झा के नेतृत्व में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल, आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के बारे में नई दिल्ली के स्पष्ट रुख से स्थानीय नेताओं और राजनयिकों, थिंक टैंक और मीडिया को अवगत कराने के मिशन के साथ यहां आया है.

जकार्ता में भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘भारतीय सांसदों ने आतंकवाद को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने के भारत के रुख पर विचार साझा किए.’ पोस्ट में यह भी कहा गया, ‘पीएएन पार्टी नेतृत्व ने भारत के पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले के पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त की. पीएएन नेताओं ने बताया कि वे भारत के साथ एकजुट खड़े हैं. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि आतंकवाद फैलाने के लिए धर्म और जाति को आधार नहीं बनाया जा सकता.’

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