‘अब 40 सांसदों को भेजकर क्या होगा’, उदित राज ने विदेशों में डेलीगेशन भेजने पर उठाए सवाल

Must Read

Udit Raj on Operation Sindoor: भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य टकराव और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत सरकार अब वैश्विक समुदाय के सामने अपना पक्ष मजबूती से रखने की तैयारी में है. इस सिलसिले में विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल दुनिया के प्रमुख देशों का दौरा करेगा. इसका उद्देश्य पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के बारे में अंतरराष्ट्रीय जनमत तैयार करना और भारत की प्रतिक्रिया को वैश्विक मंच पर जायज ठहराना है. 

हालांकि इस पहल पर सियासी हलकों में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. कांग्रेस नेता उदित राज ने सरकार की इस योजना पर तीखा सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि जब दुनिया में कोई भी भारत का समर्थन नहीं कर रहा तो 40 सांसदों को विदेश भेजने से क्या हासिल होगा? उनका तर्क है कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भले ही कुछ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया हो, लेकिन आतंकवाद की जड़ें पाकिस्तान में गहराई तक फैली हुई हैं. उनके अनुसार, पाकिस्तान में प्रभावी रूप से सब कुछ ISI नियंत्रित करती है और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बयानों का कोई खास महत्व नहीं है.

कांग्रेस का रुख और राजनीतिक पृष्ठभूमि 

हालांकि, कांग्रेस पार्टी इस प्रयास का समर्थन कर रही है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बताया कि संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस प्रतिनिधिमंडल को लेकर पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से बातचीत की है. रमेश ने यह भी कहा कि भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में विशेष सत्र बुलाने या ऑल-पार्टी बैठक की अध्यक्षता करने से इनकार कर दिया हो, लेकिन कांग्रेस राष्ट्रीय हित के पक्ष में हमेशा खड़ी रही है.

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस इस बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनेगी क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा और वैश्विक जनमत तैयार करने जैसा गंभीर विषय है. कांग्रेस पार्टी यह भी चाहती है कि 22 फरवरी 1994 को संसद द्वारा पारित प्रस्ताव, जिसमें पाक अधिकृत कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बताया गया था, उसे फिर से दोहराया जाए. इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया था और यह भारत की पाकिस्तान नीति का आधार बना हुआ है.

अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की जरूरत क्यों 

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की निर्मम हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. इसके जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओजेके में कई आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया. हालांकि इस सैन्य जवाबी कार्रवाई के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपेक्षित समर्थन नहीं मिला, जिससे भारत की विदेश नीति पर सवाल उठने लगे.

ऐसे में भारत सरकार की यह कोशिश कि वह सांसदों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय जनमत तैयार करे, एक नई और आक्रामक कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है. अमेरिका, तुर्की, चीन और खाड़ी देशों की तटस्थ या अस्पष्ट प्रतिक्रियाओं के बाद यह जरूरी हो गया है कि भारत अपनी स्थिति को स्पष्ट और प्रभावशाली ढंग से रखे.

क्या यह रणनीति असरदार होगी? 

सवाल यह भी है कि क्या यह रणनीति वाकई असरदार साबित होगी? वैश्विक जनमत को प्रभावित करने के लिए सिर्फ राजनीतिक प्रतिनिधिमंडल भेजना ही काफी होगा या इसके साथ-साथ भारत को और कड़े कूटनीतिक और आर्थिक कदम उठाने होंगे?कई विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपने सैन्य कार्रवाईयों के ठोस साक्ष्य पेश करने होंगे, जिससे अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी विश्वसनीयता और मजबूती बनी रहे. साथ ही, पाकिस्तान द्वारा फैलाए जा रहे फेक नैरेटिव को तकनीकी और दस्तावेजी आधार पर खंडन करना भी उतना ही जरूरी है.

world news, world news today, latest world news, latest news, hindi world news, hindi news today, oxbig news, oxbig news network, oxbig hindi, oxbig hindi news, hindi oxbig, oxbig

English News

- Advertisement -

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

Latest Article

- Advertisement -