Last Updated:February 04, 2025, 10:49 IST
MQ-9B Drone: हिंद महासागर क्षेत्र में दूसरे देशों के जंगी जहाजों की संख्या 50 से 60 से ज्यादा होती है, तों मर्चेंट वेसेल 20 हजार से भी ज्यादा होती हो जो कि इंडियन ओशन रीजन से गुजरते है. अन्य संसाधनों के साथ साथ…और पढ़ें
घातक है इस ड्रोन का वार
MQ-9B DRONE NEWS: पिछले दो दशक में अमेरिका ने कई सफल ऑपरेशन किए है. इसकी सफलता के पीछे सबसे बड़ा हाथ रहा है उसके ड्रोन का. जितने भी ऑपरेशन आतंकी संगठनों के खिलाफ अफगानिस्तान, यमन, सीरिया में अलकायदा और IS के सफाये में प्रीडेटर ड्रोन की सबसे बड़ी भूमिका रही है. हजारों किलोमीटर दूर बैठकर टार्गेट पर नजर रखी गई और सटीक मार कर की गई. अब ऐसा भारत भी इंडियन ओशन रीजन और LAC पर चीन तो पाकिस्तान हर आतंकी ठिकानों से लेकर सैन्य अड्डे तक को निशाना बना सकेंगे. भारतीय वायुसेना को अपने फाइटर एलओसी पार नहीं भेजने पड़ेंगे. यह ड्रोन आसानी से आतंकी ठिकानों को साध लेंगे. भारत और अमेरिका के बीच 31 MQ9B का करार हो चुका है. सूत्रों की माने तो 2029 तक पहला ड्रोन साल 2029 तक मिल सकता है.
क्रैश हुए ड्रोन की हुई भरपाई
भारत ने अमेरिका से भारतीय नौसेना फिलहाल दो MQ-9B को लीज पर लेकर इस्तेमाल कर रही है. पिछले सितंबर में एक MQ-9B उड़ान के बाद बंगाल की खाड़ी में क्रैश हो गया था. नौसेना के वरिषठ अधिकारी के मुताबिक अमेरिका ने क्रैश हुए ड्रोन के बदले नया ड्रोन नौसेना को डिलिवर कर दिया है. सूत्रों के मुताबिक महज तीन महीने के भीतर ही नया MQ9B ड्रोन भारतीय नौसेना को मिल गया. तकनीकी खराबी के चलते यह ड्रोंन क्रैश हो गया था. यह ड्रोन निर्माता कंपनी जनरल एटोमिकस ऑपरेट कर रही थी. अगर रिपोर्ट की माने तो ऑपरेशन, तकनीकी कारण और मानवीय भूल के चलते अब तक 86 ड्रोन क्रैश हो चुके हैं.
2029 तक मिलेंगे भारत के अपने ड्रोन
भारत अमेरिका से MQ-9 ड्रोन के एडवांसड वर्जन की खरीद रहा है. 3.99 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत पर 31 MQ-9 रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट (RPA) और संबंधित उपकरणों की खरीद का करार किया गया है. MQ-9B ड्रोन अमेरिकी कंपनी जनरल एटोमिक बनात है. इस प्रीडेटर ड्रोन को कई अलग अलग वर्जन है और अलग नाम से भी जाना जाता है. मसलन MQ-9 रीपर, सी गार्डियन और स्काई गार्डियन. भारत अमेरिका से 31 एमक्यू-9 रीपर ड्रोन यानी प्रिडेटर ड्रोन का एडवांसड वर्जन ले रहा है. इसमें से 15 ड्रोन भारतीय नौसेना को, 8 थल सेना और 8 वायुसेना को मिलेंगे. सबसे ज्यादा नौसेना को इसलिए क्योंकि उनकी निगरानी का इलाका तीनो सेना में सबसे ज्यादा है. जून 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरीका दौरे से पहले रक्षा खरीद परिषद ने 31 ड्रोन खरीदने की मंजूरी दी थी. दौरे के दौरान अमेरिका में इस डील का एलान हुआ. पीएम मोदी और अमेरीकी राष्ट्रपति बाइडन की मुलाकात के बाद बयान जारी हुआ था. बयान में कहा गया था कि MQ-9B हाई ऑलटेट्यूड लॉंग एंडोरेंस ड्रोन को भारत में ही असेंबल किया जाएगा.
भारत अमेरीकी ड्रोन डील
भारत सरकार ने 31 एमक्यू-9बी स्काई गार्जियन विमान और संबंधित उपकरण भी ले रहा है. इसमें 161 एंबेडेड ग्लोबल पोजिशनिंग और इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (EGI), 35 L3 रियो ग्रांडे कम्युनिकेशंस इंटेलिजेंस सेंसर सूट, 170 AGM-114R हेलफायर मिसाइलें, 16 M369 हेलफायर कैप्टिव एयर ट्रेनिंग मिसाइलें , 310 GBU-39B/B लेजर छोटे डायमीटर वाले बम और 8 GBU-39 B/B LSDB गाइडेड टेस्ट वाहन के साथ लाइव फ्यूज भी शामिल है. ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन के अलावा TPE-331-10-GD इंजन, M299 हेलफ़ायर मिसाइल लॉन्चर, KIV-77 क्रिप्टोग्राफिक एप्लाइक्स और अन्य फ्रेंड एंड फो (IFF) भी भी इस डील का हिस्सा है.
क्यों है ये दुनिया का सबसे खतरनाक ड्रोन?
ड्रोन बनाने वाली कंपनी जनरल एटोमिक की मानें तो यह ड्रोन सिर्फ 2 ग्राउंड क्रू के जरिए आसानी से ऑपरेट किया जाता है. 50 हजार फिट की उंचाई पर इसकी अधिकतम रफ्तार 300 मील प्रति घंटे की है. एक बार में 27 घंटे तक 1900 किलोमीटर तक लगातार उड़ान भर सकता है. अपने साथ 1700 किलो से ज्यादा पेलोड ले जा सकता है. मिशन के हिसाब से यह एयर टू ग्राउंड हेलफायर मिसाइल, लेजर गाइडेड बॉम, एयर टू एयर स्ट्रिंगर मिसाइल पेलोड का सटीक लॉंच कर सकता है. खास बात तो यह है कि इसे आसानी से एक जगह से दूसरी जगह C-130 सुपर हरक्यूलिस और अन्य बड़े ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट से मूव कर सकता है. पिछले 4 साल से लीज पर लेकर नौसेना इसका इस्तेमाल निगरानी के लिए कर रही हैं.
February 04, 2025, 10:49 IST
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