PM Modi-Mohammed Yunus BIMSTEC : भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस की बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में मुलाकात की संभावना जताई जा रही है. यह सम्मेलन 2 से 4 अप्रैल, 2025 तक थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में आयोजित होने वाली है. हालांकि, इस बैठक को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. लेकिन, बांग्लादेश के अधिकारियों का मानना है कि दोनों देश के नेता इस मंच का इस्तेमाल द्विपक्षीय वार्ता के लिए कर सकते हैं.
क्या है बिम्सटेक शिखर सम्मेलन?
बिम्सटेक एक क्षेत्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना साल 1997 में हुई थी. पहले इसे बीआईएसटी-ईसी (BIST-EC) कहा जाता था. इस संगठन में मुख्य सदस्य के रूप में बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल थे. बाद में इसमें म्यांमार, भूटान और नेपाल के सदस्य बनने पर इसका नाम बदलकर बिम्सटेक कर दिया गया.
यह संगठन दक्षिण एशियाई और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए काम करता है. सार्क (SAARC) संगठन के निष्क्रिय होने के बाद भारत ने इस संगठन को अधिक महत्व देना शुरू किया, जिससे यह क्षेत्रीय सहयोग का एक प्रमुख मंच बन गया.
इस बार बांग्लादेश करेगा बिम्सटेक की अध्यक्षता
इस शिखर सम्मेलन के दौरान बांग्लादेश बिम्सटेक का अगला अध्यक्ष बनेगा. संगठन के महासचिव इंद्रमणि पांडे के अनुसार, यह भूमिका बांग्लादेश को सदस्य देशों के साथ मिलकर आर्थिक और तकनीकी सहयोग को आगे बढ़ाने का अवसर देगी. इससे देश को वैश्विक स्तर पर अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने का भी मौका मिलेगा.
भारत और बांग्लादेश के बीच कई महीनों से तनाव
भारत और बांग्लादेश के बीच के संबंध हाल के महीनों में काफी ज्यादा तनावपूर्ण रहे हैं. 5 अगस्त, 2024 को हुए तख्तापलट में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटा दिया गया. इसके बाद से उन्होंने भारत में शरण ली हुई है. इस घटना के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में गिरावट देखने को मिली है. बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के आने के बाद से हिंसा और अल्पसंख्यकों पर हमलों की कई घटनाएं भी सामने आई हैं. बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले और प्रताड़ना को लेकर भारत ने चिंता जताई है.
दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने का मौका
ऐसे में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन को दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने का एक मौका माना जा रहा है. अगर इस दौरान पीएम मोदी और मोहम्मद यूनुस की मुलाकात होती है, तो इससे कूटनीतिक मतभेद कम करने और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है.
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