विदेशों में 54 भारतीय नागरिक मौत की सजा का कर रहे सामना, UAE और सऊदी में मिली सबसे ज्यादा सजा

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UAE Indian Death Penalty: संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में अलग-अलग हत्या के मामलों में दो भारतीय नागरिकों को हाल ही में फांसी दी गई है. विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की कि इन व्यक्तियों की पहचान मुहम्मद रिनाश अरंगीलोट्टू और मुरलीधरन पेरुमथट्टा वलप्पिल के रूप में हुई है. ये मूल रूप से केरल के रहने वाले थे. यह घटना विदेशों में मौत की सजा पाए भारतीय नागरिकों की चिंताजनक स्थिति की ओर ध्यान आकर्षित करती है, खासकर UAE और सऊदी अरब जैसे देशों में.

केरल के रहने वाले मुहम्मद रिनाश अरंगीलोट्टू और मुरलीधरन पेरुमथट्टा वलप्पिल को क्रमशः एक अमीराती नागरिक और एक भारतीय नागरिक की हत्या के आरोप में मौत की सजा दी गई. UAE की सर्वोच्च अदालत (कोर्ट ऑफ कैसेशन) ने उनकी सजा को बरकरार रखा और 28 फरवरी 2025 को उन्हें फांसी दे दी गई.

अरंगीलोट्टू का मामला विवादास्पद
अरंगीलोट्टू का मामला विशेष रूप से विवादास्पद रहा, क्योंकि उनके परिवार ने दावा किया कि हत्या दुर्घटनावश हुई थी. उनकी मां ने केरल के मुख्यमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की थी. इसके बावजूद, अंततः दोनों व्यक्तियों को हर संभव कांसुलर और कानूनी सहायता प्रदान करने के बावजूद सजा से बचाया नहीं जा सका.

शहजादी खान की फांसी
यूएई में फांसी पर चढ़ाए गए एक और भारतीय नागरिक की पहचान शहजादी खान के रूप में हुई, जो उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की रहने वाली थीं. उनके देखरेख में 2022 में चार महीने के बच्चे की मौत हो गई, जिसके कारण उन पर हत्या का आरोप लगाया गया. उनके परिवार ने दावा किया कि बच्चा टीकाकरण की गलतियों के कारण मरा था, लेकिन अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया और 15 फरवरी 2025 को उन्हें फांसी दे दी गई.

विदेशों में मौत की सजा पाने वाले भारतीय नागरिक
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, फरवरी 2025 तक, विदेशों में 54 भारतीय नागरिक मौत की सजा का सामना कर रहे हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा संख्या UAE (29) और सऊदी अरब (12) में है. UAE के बाद दूसरे स्थान पर सऊदी अरब है, जहां 2,633 भारतीय कैदी हैं. इसके अलावा, कुवैत, कतर, और यमन में भी कुछ भारतीय नागरिक मौत की सजा का सामना कर रहे हैं.भारत सरकार ने इन मामलों में कांसुलर और कानूनी सहायता प्रदान करने के प्रयास किए हैं, लेकिन इन देशों के कड़े कानूनों और शरिया कानून के सख्त अनुपालन के कारण यह सहायता अक्सर पर्याप्त नहीं होती.

प्रवासी श्रमिकों की समस्याएं
विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय प्रवासी श्रमिकों की बड़ी संख्या को मौत की सजा पर होने का कारण उनकी जीवन स्थितियों और कानूनी सुरक्षा की कमी है. कई भारतीय श्रमिकों का कहना है कि उनके पासपोर्ट उनके नियोक्ताओं की तरफ से जब्त कर लिए जाते हैं और उन्हें मुश्किल परिस्थितियों में काम करना पड़ता है. इसके साथ ही, उन्हें उचित कानूनी प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाता, जो उनकी स्थिति को और गंभीर बना देता है.

कानूनी चुनौतियां और भारत सरकार के प्रयास
भारत सरकार ने विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह के अनुसार, विदेशों में भारतीय नागरिकों के लिए कांसुलर सहायता और कानूनी सहायता प्रदान करने का प्रयास किया है. हालांकि, कानूनी प्रक्रिया और नियमों की सख्ती के कारण, कई मामलों में यह प्रयास विफल हो जाता है.

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