Indians in Foreign Countries Jail: उत्तर प्रदेश की रहने वाली शहजादी को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में फांसी दे दी गई. उसके ऊपर एक 4 महीने के बच्चे की मौत में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया गया था. विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसे शहजादी की फांसी देने की जानकारी 13 दिनों के बाद मिली, इस कारण शहजादी को बचाया नहीं जा सका. हालांकि, शहजादी तो अब इस दुनिया में नहीं रही पर अभी भी 10 हजार से ज्यादा भारतीय नागरिक दुनिया के अलग-अलग देशों के जेल में बंद हैं.
इस बात की जानकारी केंद्र सरकार ने इसी साल लोकसभा में दी थी. सरकार ने बताया था कि दुनिया के 86 देशों में कुल 10,152 भारतीय नागरिक कैद हैं. इसमें सबसे ज्यादा भारतीय सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात की जेलों में बंद हैं.
सऊदी, यूएई और नेपाल में सबसे ज्यादा भारतीय कैद
विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व वाले सऊदी अरब की जेलों में कुल 2633 भारतीय कैदी बंद हैं. इन सब पर सऊदी कानून उल्लंघन का आरोप है. इसके बाद दूसरे नंबर पर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की जेल में 2518 भारतीय कैदी बंद है. वहीं, इस क्रम में नेपाल तीसरे नंबर पर है, जहां सबसे ज्यादा भारतीय बंद हैं.
रिपोर्ट के मुताबकि, नेपाल की जेलों में 1317 भारतीय कैद हैं. इनमें से अधिकांश पर तस्करी करने का आरोप हैं. इसके बाद ब्रिटेन की जेलों में 288 और संयुक्त राज्य अमेरिका की जेलों में कुल 169 भारतीय कैद हैं और करीब 3 हजार भारतीय नागरिक दुनिया के कई अन्य देशों की जेलों में बंद है, जिनमें पाकिस्तान और बांग्लादेश का नाम भी शामिल है. बता दें कि पाकिस्तान की जेल में सबसे ज्यादा भारतीय मछुआरे बंद हैं, जिन्हें समय-समय पर बंदी प्रत्यर्पण नियमों के तहत छोड़ा जाता है.
विदेशों में पकड़े गए भारतीयों के लिए क्या करती है सरकार?
केंद्र सरकार के मुताबिक, जब भी किसी भारतीय नागरिक को दुनिया के किसी अन्य देश में गिरफ्तार किया जाता है, तो ऐसे में सबसे पहले विदेश मंत्रालय राजदूत के जरिए उस व्यक्ति के बारे में सारी जानकारी इकट्ठा करता है और उसके नागरिकता के बारे में पता करता है.
इसके बाद संबंधित व्यक्ति के परिवार वालों के उसके बारे में जानकारी दी जाती है. विदेश मंत्रालय की कोशिश होती है कि गिरफ्तार व्यक्ति की रक्षा की जाए और उसे संबंधित देश में मुकदमा लड़ने के लिए उसे काउंसलर उपलब्ध कराया जाए. वहीं, अगर किसी नागरिक पर आरोप अधिक संगीन नहीं होते हैं तो सरकार उसे बंदी प्रत्यर्पण के तहत रिहा करवाने की कोशिश करती है.
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