2050 में ईसाईयों की भारत में होगी कितनी आबादी, आप यह रिपोर्ट पढ़ चौंक जाएंगे

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India Religious Population Growth: भारत में कई धर्म के लोग रहते हैं. यहां की आबादी भी 100 करोड़ के पार है. साल 2020 तक, भारत की कुल जनसंख्या लगभग 1.4 बिलियन थी और इसका धार्मिक ढांचा धीरे-धीरे बदलता रहा है. इस समय तक, अनुमानित तौर पर लगभग 79 फीसदी भारतीय हिंदू हैं, जबकि 15 फीसदी मुस्लिम और 2 फीसदी ईसाई हैं. इन आंकड़ों की तुलना 2011 की जनगणना के साथ की जाए तो हिंदुओं का प्रतिशत घटा और मुसलमानों का थोड़ा बढ़ा है.

प्यू रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक हिंदू जनसंख्या 77 फीसदी हो जाएगी, जबकि मुस्लिम जनसंख्या 18 फीसदी तक पहुंच जाएगी. ईसाई जनसंख्या में ज्यादा बदलाव नहीं होगा और यह 2 फीसदी पर ही बनी रहेगी. अन्य धार्मिक समूह, जैसे बौद्ध, सिख और जैन, उनकी प्रजनन दर राष्ट्रीय औसत से कम होने के कारण घट सकते हैं.

विभाजन के बाद से जनसंख्या में वृद्धि
1951 की जनगणना के समय भारत की जनसंख्या लगभग 361 मिलियन थी. यह 2011 तक 1.2 बिलियन से अधिक हो गई. यह वृद्धि दर विभाजन के बाद से तीन गुना से भी अधिक है. हालांकि, आज आजादी के 78 सालों बाद भारत दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है, जिसने चीन को पीछे छोड़ दिया है.

ईसाई जनसंख्या की गिनती का अनुमान
भारत में ईसाई जनसंख्या की गिनती सही नहीं मानी जा रही है क्योंकि अनुसूचित जाति (दलित) के कुछ लोग, जो खुद को ईसाई मानते हैं, सरकारी लाभों के लिए हिंदू के रूप में पहचाने जाते हैं. 2015 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में 21 फीसदी ईसाइयों ने कहा कि वे अनुसूचित जातियों से संबंधित हैं, जो जनगणना में खुद को ईसाई बताने से बचते हैं.

धार्मिक अल्पसंख्यकों की वृद्धि दर में गिरावट
1951 और 1961 के बीच, मुस्लिम जनसंख्या में 32.7 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि भारत की कुल वृद्धि दर 21.6 फीसदी थी. हालांकि, 2001 से 2011 तक, यह अंतर 7 प्रतिशत अंक तक कम हो गया. इस पिरियड के दौरान में मुसलमानों की जनसंख्या में 24.7 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि कुल भारतीय जनसंख्या में 17.7 फीसदी की. इसी तरह, ईसाइयों की जनसंख्या में 15.7 फीसदी की वृद्धि हुई, जो पहले के दशकों की तुलना में काफी धीमी है.

धार्मिक जनसंख्या के पूर्ण आंकड़े
हालांकि धार्मिक समूहों की बढ़ोतरी दर कम हो रही है, फिर भी पूर्ण संख्या में सभी समूह लाखों की बढ़ोतरी दिखा रहे हैं. उदाहरण के लिए 2001 से 2011 तक हिंदुओं की संख्या में 138 मिलियन की बढ़ोतरी  हुई, जबकि मुसलमानों की संख्या में 34 मिलियन की बढ़ोतरी हुई. इसी दौरान, भारत की कुल जनसंख्या में लगभग 200 मिलियन लोगों की वृद्धि हुई.

2021 की जनगणना और प्यू रिसर्च के अनुमान
2021 की जनगणना कोरोनावायरस महामारी के कारण स्थगित हो गई थी, और इसके परिणाम सार्वजनिक होने में कुछ समय लग सकता है. हालांकि, 2015 के प्यू रिसर्च सेंटर ने 2050 तक धार्मिक समूहों की जनसंख्या का अनुमान लगाया था. उनके अनुसार, 2020 में भारत में लगभग 1.4 बिलियन लोग थे और यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.

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