India-Bangladesh Relations: बांग्लादेश ने कभी भारत के खिलाफ आंखें दिखाने की कोशिश की थी लेकिन आज वही बांग्लादेश खुद अपने अस्तित्व को बचाने के लिए भारत से मदद मांगने पर मजबूर है.बांग्लादेश जो हाल ही में भारत के साथ कई मोर्चों पर विरोधाभास रवैया अपनाता दिखा था. आज अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रहा है. देश के भीतर खाद संकट सीमा पर तनाव और अंतरराष्ट्रीय दबावओं के बीच नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश के अंतरिम सरकार ने भारत से मदद की गुहार लगाई है.
दरअसल बांग्लादेश पर संकट के बाद छाए हैं. बांग्लादेश में इस समय आलू और प्याज जैसी बुनियादी आवश्यकताओं की भारी कमी है. स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि बांग्लादेश सरकार ने भारत, जर्मनी, मिस्र, चीन और स्पेन जैसे देशों से मदद मांगनी शुरू कर दी है. भारत ने हाल ही में बांग्लादेश को 4686 टन आलू निर्यात किया, जो पश्चिम बंगाल के मालदा से बांग्लादेश के जसौर जिले तक पहुंचा. इसके अलावा प्याज की कमी को पूरा करने के लिए बांग्लादेश ने चीन पाकिस्तान और तुर्की से संपर्क साधा है.
म्यांमार की आरा कान आर्मी का दबदबा बढ़ा
बांग्लादेश की दक्षिण पूर्वी सीमा पर म्यांमार की आरा कान आर्मी का दबदबा बढ़ गया है. ये समूह बांग्लादेश में रखाइन राज्य पर नियंत्रण चाहता है और अब बांग्लादेश की सीमा के करीब पहुंच चुका है. बांग्लादेश पहले ही लाखों रोहिंग्या शरणार्थियों का बोझ उठा रहा है. अब अराकान आर्मी के प्रभाव से स्थिति और भी गंभीर हो सकती है. इस दबाव को देखते हुए बांग्लादेश ने अपनी नेवी कोस्ट गार्ड और स्पेशल फोर्स को सीमा पर तैनात कर दिया है.
भारत और बांग्लादेश के बीच रिश्तों में खटास
प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच रिश्तों में खटास आ गई. अंतरिम सरकार ने भारत के साथ बैंड विद ट्रांसिट समझौता रद्द कर दिया और भारत पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए पाकिस्तान और तुर्की जैसे देशों से संपर्क बढ़ाने की कोशिश की है. भारत ने बांग्लादेश को खाद संकट से उभरने के लिए तत्काल मदद दी थी. लेकिन यह मदद सिर्फ व्यापारिक लाभ तक सीमित है.
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत से उम्मीद
भारत यह सुनिश्चित कर रहा है कि बांग्लादेश दूसरे देशों से सामान मंगवाने के बजाय भारत पर निर्भर हो तो वहीं अराकान आर्मी जो बांग्लादेश के लिए एक बड़ा खतरा बन चुकी है, जो कभी भारत के समर्थन में रही थी. हालांकि भारत ने बाद में इससे दूरी बना ली. हालांकि, फिर से भारत और आरा कान आर्मी के संबंध सुधरते दिख रहे हैं. लेकिन अब अराकान आर्मी भारत के लाभ और बांग्लादेश के लिए चिंता का कारण बन गई है. बांग्लादेश के पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सेंड मार्टिन आइलैंड और सीमा पर बढ़ते खतरे को लेकर भारत से मदद की संभावना जताई है. भारत की रणनीति स्पष्ट है जरूरत पड़ने पर बांग्लादेश को दबाव में लाने के लिए सही समय का इंतजार करवाना है. भारत यह समझता है कि बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देश को पूरे तरह से नकारना संभव नहीं है. लेकिन अपने हितों को सुरक्षित रखना प्राथमिकता है.
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