अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने गुरुवार (26 जून, 2025) को कहा कि ईरान ने पहले अपने परमाणु कार्यक्रम की निगरानी करने वाली टीमों को बहुत ही सीमित सहयोग दिया था और जांच के दौरान कोई पारदर्शिता नहीं थी.
IAEA के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने ये बात तीन ईरानी परमाणु संवर्धन संयंत्रों पर अमेरिका के बंकर बस्टर बम गिराए जाने के कुछ दिनों बाद कही है. उन्होंने कहा कि वे सहयोग कर रहे थे, लेकिन यह सीमित था. ऐसे कई सवाल थे जिनका ईरान पर्याप्त रूप से जवाब नहीं दे रहा था.
‘ईरान के जवाब तकनीकी रूप से विश्वसनीय नहीं’
रेडियो फ़्रांस इंटरनेशनल शो में उन्होंने कहा कि यूरेनियम के निशान उन जगहों पर पाए गए जहां वो नहीं मिलने चाहिए थे और उनके (ईरान) के जवाब तकनीकी रूप से विश्वसनीय नहीं थे. वहां कोई पारदर्शिता नहीं थी.
अमेरिका ईरान के साथ नए परमाणु सुरक्षा समझौते पर बातचीत कर रहा था. जब यह स्पष्ट हो गया कि इजरायल की मिसाइलें ईरान की फोर्डो संवर्धन सुविधा तक नहीं पहुंच सकतीं, जो एक पहाड़ के नीचे सैंकड़ों मीटर की दूरी पर बनाई गई है, तो अमेरिका ने बंकर बस्टर बम से हमला किया. हालांकि ये हमला इजरायल के इस दावे के बाद हुआ कि ईरान परमाणु हथियारों के कगार पर है.
‘ईरान के पास शायद 10 परमाणु हथियार बनाने के लिए सामग्री थी’
यह पूछे जाने पर कि क्या ईरान वास्तव में परमाणु हथियार बनाने के करीब है, जो दावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने किया था. इसे लेकर ग्रॉसी ने माना कि ईरान के पास शायद 10 परमाणु हथियार बनाने के लिए सामग्री और तकनीक थी. उन्होंने आगे कहा कि हम यह नहीं कह सकते कि ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं थे.
उन्होंने कहा कि GBU-37 बमों के कारण ईरान के परमाणु कार्यक्रम को भारी क्षति हुई है. इसी कारण फोर्डो परमाणु संवर्धन संयंत्रों में सेंट्रीफ्यूज शायद अब चालू नहीं हैं. हालांकि IAEA प्रमुख ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे से दूरी बनाए रखी कि ईरान के परमाणु स्थलों को नष्ट कर दिया गया है. इसके बजाय उन्होंने कहा कि इसकी क्षमताएं कम हो गई हैं.
IAEA चीफ ने कहा कि हमलों के कारण नतांज, इस्फ़हान और फ़ोर्डो को काफी क्षति हुई है, जहां ईरान की यूरेनियम संवर्धन से संबंधित गतिविधियां केंद्रित थीं. उन्होंने आगे कहा कि ईरान में अन्य परमाणु स्थल भी हैं जो प्रभावित नहीं हुए हैं. मैं आपको केवल इतना बता सकता हूं कि बहुत अधिक क्षति हुई है.
पश्चिम बंगाल: 25 साल बाद एक साथ मिड-डे मील खाएंगे बच्चे, धर्म के आधार पर बंटे थे रसोई-बर्तन
world news, world news today, latest world news, latest news, hindi world news, hindi news today, oxbig news, oxbig news network, oxbig hindi, oxbig hindi news, hindi oxbig, oxbig
English News