मिसाइलों का काल बनेगा US की ढाल! क्या है ‘गोल्डन डोम’ जिसका सपना देख रहे ट्रंप

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Last Updated:March 05, 2025, 20:33 IST

US Golden Dome Explained: अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कसम खाई है कि वह इजरायल के ‘आयरन डोम’ की तर्ज पर अपने देश के लिए ‘गोल्डन डोम’ बनवाकर रहेंगे.

ट्रंप ने अमेरिका से किया ‘आयरन डोम’ जैसी शील्ड बनाने का वादा.

हाइलाइट्स

  • ट्रंप ने ‘गोल्डन डोम’ बनाने का वादा किया.
  • इजरायल के ‘आयरन डोम’ की तर्ज पर बनेगा ‘गोल्डन डोम’.
  • ‘गोल्डन डोम’ से अमेरिका की सुरक्षा होगी मजबूत.

वाशिंगटन: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘गोल्डन डोम’ बनाने का वादा किया है. यह कथित रूप से इजरायल के ‘आयरन डोम’ की तरह काम करेगा. ट्रंप का कहना है कि यह अमेरिका को भविष्य की सबसे शक्तिशाली सैन्य ताकत बनाएगा. ट्रंप ने अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिका को अपने देश की सुरक्षा के लिए “स्टेट-ऑफ-द-आर्ट मिसाइल शील्ड” बनानी होगी. ट्रंप ने कहा, “यह दुनिया बहुत खतरनाक हो चुकी है. हमें अपने नागरिकों की सुरक्षा पहले से कहीं ज्यादा मज़बूती से करनी होगी,” उन्होंने यह भी दावा किया कि 40वें अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन भी ऐसा ही कुछ बनाना चाहते थे, लेकिन तब टेक्नोलॉजी मौजूद नहीं थी.

क्या होता है मिसाइल डिफेंस सिस्टम?

मिसाइल डिफेंस सिस्टम एक जटिल सैन्य प्रणाली है, जिसमें कई तकनीकें शामिल होती हैं. इसका मुख्य उद्देश्य दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइल को हवा में ही नष्ट करना है. यह सिस्टम मिसाइल के तीन चरणों में काम करता है:

बूस्ट फेज: जब मिसाइल लॉन्च होती है.

मिडकोर्स फेज: जब मिसाइल ऊंचाई पर होती है.

टर्मिनल फेज: जब मिसाइल अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती है.

ट्रंप जिस ‘गोल्डन डोम’ की बात कर रहे हैं, वह इसी सिद्धांत पर काम करेगा.

कैसे काम करेगा ‘गोल्डन डोम’?

इस सिस्टम में कई अत्याधुनिक डिफेंस सिस्टम शामिल होंगे:

  • स्पेस-बेस्ड इन्फ्रारेड सिस्टम (SBIRS) – मिसाइल के लॉन्च को डिटेक्ट करने के लिए सैटेलाइट्स का इस्तेमाल.
  • ग्राउंड-बेस्ड मिडकोर्स डिफेंस (GMD) – इंटरसेप्टर मिसाइलें, जो दुश्मन की मिसाइल को मिडकोर्स (बीच रास्ते) में ही नष्ट कर सकती हैं.
  • एजिस बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) – समुद्र और जमीन पर आधारित सिस्टम, जो शॉर्ट और मीडियम-रेंज की मिसाइलों को रोकने में सक्षम है.
  • थाड (THAAD) – मोबाइल लैंड-बेस्ड सिस्टम, जो टर्मिनल फेज में मिसाइल को मार गिराता है.
  • पैट्रियट एडवांस्ड कैपेबिलिटी-3 (PAC-3) – छोटी दूरी की मिसाइलों को टारगेट करने के लिए.

क्या अमेरिका को ‘गोल्डन डोम’ की जरूरत है?

अमेरिका के पास पहले से ही कई एडवांस मिसाइल डिफेंस सिस्टम हैं. लेकिन ट्रंप का मानना है कि मौजूदा सिस्टम पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हैं. हाल ही में हूती विद्रोहियों ने यमन से इज़राइल पर बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिन्हें इजरायल के THAAD सिस्टम ने रोका. ऐसे ही किसी संभावित हमले से अमेरिका को बचाने के लिए ट्रंप ‘गोल्डन डोम’ पर जोर दे रहे हैं.

इजरायल का ‘आयरन डोम’ कितना असरदार?

इजरायल का ‘आयरन डोम’ दुनिया का सबसे प्रभावी मिसाइल डिफेंस सिस्टम माना जाता है. इसका निर्माण 2007 में शुरू हुआ और 2011 से यह ऑपरेशनल है. इस सिस्टम ने गाजा से दागी गई हजारों मिसाइलों को हवा में ही नष्ट किया है. इसके अलावा, इजरायल के पास ‘डेविड स्लिंग’, ‘एरो-2’ और ‘एरो-3’ जैसे डिफेंस सिस्टम भी हैं, जो अलग-अलग रेंज की मिसाइलों को टारगेट करते हैं. दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका ने ‘एरो-2’ सिस्टम के डेवलपमेंट में 50% से ज्यादा आर्थिक मदद की है.

क्या सच होगा ट्रंप का सपना?

डिफेंस एक्सपर्ट्स के अनुसार, ‘गोल्डन डोम’ बनाना बेहद महंगा और तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण होगा. अमेरिका के पास पहले से ही कई एडवांस मिसाइल डिफेंस सिस्टम हैं. ऐसे में ट्रंप की योजना खटाई में पड़ सकती है. लेकिन अगर उनका यह प्लान सफल होता है, तो अमेरिका दुनिया का इकलौता देश होगा, जिसके पास सबसे आधुनिक मिसाइल शील्ड होगी.

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