Donald Trump On Gaza Occupation Plan: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से बुधवार को एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने गाजा को “ध्वस्त” करने और वहां कब्जा करने की बात कही थी. इस बयान से अंतरराष्ट्रीय समुदाय में हलचल पैदा हो गई है. डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि फिलिस्तीनी गाजा में लौट रहे हैं क्योंकि उनके पास अन्य कोई विकल्प नहीं है. उन्होंने सुझाव दिया कि फिलिस्तीनियों को किसी अन्य जगह बसाकर उन्हें एक बेहतर जीवन जीने का मौका दिया जाना चाहिए. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी ऐलान किया कि अमेरिका गाजा का नियंत्रण लेकर वहां पुनर्निर्माण करेगा और हजारों नौकरियां पैदा करेगा.
क्या यह महज बयान है या कोई रणनीति?
ट्रंप के इस बयान ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या यह केवल एक और विवादित बयान है या इसके पीछे कोई गंभीर रणनीति छिपी हुई है. ग्रीनलैंड और कनाडा को अमेरिका में शामिल करने के अपने पिछले विवादित बयानों के बावजूद, ट्रंप की इस योजना ने गाजा में शांति और पुनर्निर्माण की संभावनाओं पर व्यापक चर्चा शुरू कर दी है.
ट्रंप का कहना है कि यह योजना गाजा को मिडिल ईस्ट की रिवेरा बनाने की संभावना प्रस्तुत करती है, जो पर्यटन और व्यापार का एक केंद्र बन सकता है. हालांकि, आलोचक मानते हैं कि उनकी यह दृष्टि गाजा की गहरी राजनीतिक, ऐतिहासिक और सुरक्षा संबंधी जटिलताओं को पूरी तरह नजरअंदाज करती है.
गाजा पर कब्जा करने से 5 बड़े फायदे
डोनाल्ड ट्रंप जिस तरह से गाजा पर कब्जे वाला बयान दिया है, वो राजनीतिक तौर पर अमेरिका के लिए कई मायनों में फायदेमंद हो सकता है, जो इस प्रकार है.
- ट्रंप की यह योजना पश्चिम एशिया में अमेरिका की सैन्य उपस्थिति को मजबूत करने का प्रयास हो सकती है, जिससे अमेरिका अपने विरोधियों, खासकर ईरान पर नजर रख सके.
- इजरायल के साथ ट्रंप के घनिष्ठ संबंधों को देखते हुए, यह संभावना भी है कि वे इस क्षेत्र में इजरायल के प्रभाव को और बढ़ाने की योजना बना रहे हों.
- यह योजना गाजा को “मिडिल ईस्ट की रिवेरा” बनाने की संभावना पेश करती है. इसके अलावा लाल सागर पर भी अमेरिका अपना प्रभुत्व कायम करने की मंशा रखता है, जिससे उसे अंतर्राष्ट्रीय जल मार्ग पर बढ़त हासिल हो सके.
- अमेरिका मीडिल ईस्ट देशों पर कड़ी नजर रखने के लिए गाजा को जमीन को बेहतर समझते हैं.
- अमेरिका गाजा में कब्जा कर लेबनान पर भी अपनी पकड़ बनाने की सोच सकता है, जिससे हूथी जैसे संगठनों पर अमेरिका लगाम लगा सके. बता दें कि अमेरिका पहले ही हूथी को आतंकवादी संगठन घोषित कर चुका है.
अमेरिकी सैनिकों का इस्तेमाल और कानूनी अड़चनें
ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब गाजा में अमेरिकी सेना की तैनाती के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी, तो सैन्य कार्रवाई से पीछे नहीं हटेंगे. हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि अमेरिका किस कानूनी आधार पर गाजा में इस तरह का कदम उठा सकता है. अंतरराष्ट्रीय कानून किसी भी आबादी को जबरन विस्थापित करने पर सख्त पाबंदी लगाता है. गाजा उन फिलिस्तीनियों का घर है, जिन्हें 1948 में हुए युद्ध के दौरान जबरन हटाया गया था. इसलिए, ट्रंप की यह योजना कानूनी और नैतिक रूप से विवादित है.
ट्रंप की योजना का भविष्य
ट्रंप की यह योजना अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत लागू नहीं की जा सकती. गाजा पर कब्जा कर वहां के फिलिस्तीनियों को जबरन दूसरी जगह भेजने की योजना न केवल टू-स्टेट सॉल्यूशन को खत्म करेगी, बल्कि इसे अरब दुनिया द्वारा जातीय सफाए के रूप में देखा जाएगा. यही कारण है कि अरब देशों ने इस योजना को पूरी तरह खारिज कर दिया है.
अरब देशों की प्रतिक्रिया
मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, फिलिस्तीनी अथॉरिटी और अरब लीग ने संयुक्त रूप से ट्रंप की इस योजना की आलोचना की है. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका ने गाजा पर कब्जा किया, तो इससे पूरे क्षेत्र की स्थिरता को खतरा हो सकता है और संघर्ष और अधिक बढ़ सकता है.
गाजा पर कब्जे की आलोचना
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी ट्रंप की योजना की आलोचना की और कहा कि गाजा पर समाधान की खोज में किसी भी प्रकार के जातीय सफाए से बचना आवश्यक है. गुटेरेस का बयान स्पष्ट करता है कि इस योजना से क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को गंभीर खतरा हो सकता है.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद खड़ा कर दिया
डोनाल्ड ट्रंप की तरफ गाजा पर कब्जा करने और वहां पुनर्निर्माण की योजना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद खड़ा कर दिया है. अरब देशों और संयुक्त राष्ट्र ने इसे खारिज कर दिया है और इसे क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा बताया है. ट्रंप की यह योजना न केवल कानूनी विवादों में घिरी हुई है, बल्कि फिलिस्तीनियों के अधिकारों और उनके अस्तित्व के लिए भी खतरा पैदा कर रही है. आने वाले समय में, यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप इस योजना को कैसे आगे बढ़ाते हैं और इसका मध्य पूर्व की राजनीति पर क्या असर पड़ता है.
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