Explainer: क्यों इजरायल और मिस्र को ही पैसा दे रहा अमेरिका, बाकी दुनिया की मदद रोकी

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Last Updated:January 27, 2025, 15:29 IST

ट्रंप प्रशासन ने आते ही अमेरिका की ओर से दुनियाभर में की जाने वाली आर्थिक मदद बंद कर दी. केवल इजरायल और मिस्र को ही वो ऐसा करना जारी रखेगा. इजरायल तो तब भी समझ में आता है लेकिन मिस्र पर इतनी मेहरबानी की क्या है…और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • ट्रंप ने आते ही पूरी दुनिया के देशों की आर्थिक मदद बंद की
  • दुनिया के करीब 180 देशों को अमेरिका देता था मदद
  • मिस्र को 1.3 बिलियन डॉलर सैन्य निधि मिलती है

अमेरिका दुनियाभर के करीब 180 देशों को किसी ना किसी रूप में आर्थिक मदद करता रहा है. ये आर्थिक मदद सैन्य सपोर्ट से लेकर मानवीय मदद और इकोनॉमिक डेवलपमेंट फंड्स को लेकर होती रही है. वर्ष 2022 में अमेरिकी ने इस मदद के तौर पर पर करीब 64,000 करोड़ बांटे लेकिन अब डोनाल्ड ट्रंप ने इसे बंद करने की घोषणा की है. उनका कहना है कि अमेरिका केवल इजरायल और मिस्र की ही आर्थिक मदद जारी रखेगा बाकि सभी देशों को ये मदद बंद कर दी जाएगी.

अब सवाल ये उठता है कि आखिर अमेरिका ने इन दोनों देशों को ही वित्तीय मदद बंद क्यों नहीं की. इजरायल से तो अमेरिका के बेहतरीन समझ में आते हैं लेकिन मिस्र से ऐसा याराना क्यों. ये सवाल तो उठता ही है.

हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने अधिकांश विदेशी सहायता निलंबित करने की घोषणा की लेकिन महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में इजरायल और मिस्र दोनों को सैन्य सहायता से छूट दी. अमेरिका हर साल मिस्र को करीब 1.3 बिलियन डॉलर सैन्य निधि के तौर पर क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए देता है.

क्यों इजरायल और मिस्र की वित्तीय मदद करेगा अमेरिका
अमेरिकी पूरी दुनिया की वित्तीय सहायता रोकी लेकिन इजरायल और मिस्र को इससे अलग रखा इसकी मध्य पूर्व में अमेरिकी हित और इसे देखते इन दोनों देशों का रणनीतिक महत्व है. अमेरिका इजरायल को सालाना करीब 3.3 बिलियन डॉलर की मदद देता है.

ये आर्थिक मदद सैन्य सहायता से भी जुड़ी है. 1979 में मिस्र की इजरायल के साथ शांति संधि हुई, जिससे इस अस्थिर क्षेत्र में इजरायल को मिस्र का ये भरोसा मिला कि वो उस पर कार्रवाई नहीं करेगा. इससे मध्य पूर्व अमेरिकी प्रभाव को मजबूत करने में भी मदद मिली. मिस्र के लिए अमेरिकी सैन्य सहायता चरमपंथ से लड़ने और आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने के उसके प्रयासों का समर्थन करती है, जो राष्ट्रीय स्थिरता और क्षेत्र में आतंकवाद के खिलाफ व्यापक लड़ाई दोनों के लिए महत्वपूर्ण है.

क्षेत्रीय स्थिरता: दोनों देश मध्य पूर्व में स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. अमेरिका ईरान और विभिन्न आतंकवादी समूहों से होने वाले खतरों का मुकाबला करने के लिए सैन्य सहायता को महत्वपूर्ण मानता है, जिससे ये देश हर तरह के आतंकवाद का सामान कर सकें.

शांति समझौता: मिस्र को अमेरिकी सैन्य सहायता मिस्र और इजरायल के बीच शांति संधि से निकटता से जुड़ी हुई है, जो 1979 में हस्ताक्षर किए जाने के बाद से क्षेत्रीय शांति की आधारशिला रही है. ये संबंध अरब राज्यों और इजरायल के बीच शत्रुता को रोकने में मदद करता है, जिससे व्यापक क्षेत्रीय सुरक्षा में योगदान मिलता है.

अमेरिका सहायता से मिस्र को क्या फायदा होता है
– अमेरिकी सैन्य सहायता मिस्र के सशस्त्र बलों को मजबूत बनाती है, जिससे वे अमेरिकी सैन्य इकाइयों के साथ प्रभावी ढंग से काम कर पाते हैं.
– यह सहायता मिस्र की सेना के आधुनिकीकरण में मदद करती है, जिससे उसे उन्नत हथियार और तकनीक हासिल करने में मदद मिलती है.
– सैन्य सहायता अमेरिका और मिस्र के बीच एक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करती है, जो मध्य पूर्व में अमेरिकी हितों के लिए महत्वपूर्ण है. क्षेत्र में अमेरिकी रसद और सैन्य अभियानों के लिए मिस्र का सहयोग महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से स्वेज नहर तक पहुंच और अमेरिकी बलों द्वारा उपयोग किए जाने वाले ओवरफ़्लाइट मार्गों के संबंध में.
– यह सहायता मिस्र के आंतरिक सुरक्षा तंत्र का भी समर्थन करती है, जिससे राजनीतिक अशांति और सामाजिक चुनौतियों के बीच व्यवस्था बनाए रखने में मदद मिलती है.

मिस्र और अमेरिका के संबंध कितने पुराने
मिस्र और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच संबंध 100 साल से ज्यादा पुराने हो रहे हैं. मिस्र वर्ष 1922 में काफी हद ब्रिटिश नियंत्रण से आजाद हुआ था, तब उसके और अमेरिका के बीच औपचारिक रूप से राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे. अमेरिका ने मिस्र की संप्रभुता को मान्यता दी.
हालांकि राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासिर (1956-1970) के तहत, मिस्र ने सोवियत समर्थक रुख अपनाया, जिससे अमेरिका के साथ उसके संबंध तनावपूर्ण हो गए.
बाद में राष्ट्रपति अनवर सादात के आने के बाद 1970 के ये संबंध फिर बेहतर होने लगे. इसी दौरान 1978 में कैंप डेविड समझौता हुआ, जिसमें मिस्र, अमेरिका और इज़राइल के बीच शांति संधि हुई. ये अमेरिका के साथ संबंधों की ओर महत्वपूर्ण बदलाव था.

मिस्र को लगातार वित्तीय मदद
राष्ट्रपति होस्नी मुबारक ने 71 बिलियन डॉलर से अधिक की सैन्य और आर्थिक सहायता प्राप्त करते हुए, अमेरिका के साथ संबंधों को मजबूत करना जारी रखा. अब भी ये जारी है. मिस्र आतंकवाद और क्षेत्रीय स्थिरता में अमेरिकी हितों के लिए एक महत्वपूर्ण सहयोगी बना हुआ है.

इजरायल क्यों अमेरिका का इतना लाड़ला
इजरायल और अमेरिका के बीच के मजबूत संबंधों के कई कारण हैं. इसमें इतिहास, धर्म, राजनीति और रणनीतिक हित शामिल हैं.
इतिहास और धर्म – अमेरिका में एक बड़ी यहूदी आबादी है. अमेरिकी राजनीति पर इसका काफी प्रभाव है. यहूदी समुदाय इजरायल को एक यहूदी राष्ट्र के रूप में मानता है और इसका समर्थन करता है.
रणनीतिक हित – इजरायल को मध्य पूर्व में एक महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में देखा जाता है. इजरायल के पास एक मजबूत सेना और उन्नत तकनीक है, जो क्षेत्र में अमेरिकी हितों की रक्षा करने में मदद करती है.
सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध – दोनों देशों के बीच मजबूत सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध हैं. अमेरिका में कई इजरायली मूल के लोग रहते हैं. दोनों देशों के बीच व्यापक व्यापार और आर्थिक संबंध हैं.
शीत युद्ध – शीत युद्ध के दौरान इजरायल को सोवियत संघ के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए एक महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में देखा जाता था.
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई – दोनों देश आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक साथ काम करते हैं.

ये वजहें भी हैं
लोकप्रिय समर्थन – अमेरिकी जनता का एक बड़ा हिस्सा इजरायल का समर्थन करता है.
संसद में मजबूत समर्थन – अमेरिकी कांग्रेस में इजरायल समर्थक सदस्यों की संख्या बहुत अधिक है.
इजरायल की तकनीकी क्षमता – इजरायल के पास उन्नत तकनीक है, जो अमेरिका के लिए फायदेमंद हो सकती है.

मतभेद भी होते रहे हैं
हालांकि अमेरिका और इजरायल के संबंध हमेशा सहज नहीं रहे हैं. दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर मतभेद भी हैं. जैसे
फिलिस्तीन का मुद्दा- अमेरिका इजरायल और फिलिस्तीन के बीच शांति समझौता चाहता है, लेकिन इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच मतभेद हैं.
इजरायल की बस्तियां – अमेरिका इजरायल की बस्तियों का विरोध करता है.
ईरान के साथ तनाव – अमेरिका और इजरायल दोनों ईरान को एक खतरा मानते हैं, लेकिन दोनों देशों के ईरान से निपटने के तरीकों पर मतभेद है.

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