Explainer: मेटा ने क्यों हटा दी फैक्ट चेकिंग? सेंसर भी नहीं करेगा, क्या होगा इसका असर?

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मशहूर सोशल मीडिया मंच मेटा ने ऐलान किया है कि वह अपना फैक्ट चेक प्रोग्राम रद्द करने जा रहा है. इसकी शुरुआत अमेरिका से की जाएगी. मेटा के मालिक मार्क जुकरबर्ग ने इसका ऐलान किया है. इसकी जगह कम्युनिटी नोट्स लेगा जो वैसा ही सिस्टम है जैसा की एलन मस्क के मंच एक्स में उपयोग में लाया जाता है. पर आखिर  फैक्ट चेक प्रोग्राम क्या था और इसमें ऐसा क्या था जो इसे बंद करने की जरूरत पड़ी और इसकी जगह आने वाला नया फीचर कैसे सबको प्रभावित करेगा?

क्या है मेटा का यह फीचर
इस फीचर के जरिए किसी पोस्ट के कंटेंट की सच्चाई की जांच की जाती है. इसे फैक्ट चेकिंग पार्टनर्स के साथ मिलकर काम किया जाता है,  जो स्वतंत्र और प्रमाणित संगठन है. अगर किसी पोस्ट में गलत जानकारी या भ्रामक फैक्ट पाए जाते हैं, तो इसे “फैक्ट चेक्ड” के रूप में मार्क कर दिया जाता है, और यह पोस्ट फेसबुक और इंस्टाग्राम के फीड में कम दिखाई देती है या उस पर चेतावनी लगाई जाती है.

क्यों डाला जा रहा था इसे
मेटा ने फैक्ट चेकिंग प्रोग्राम साल 2016 में गलत जानकारी को फैलने से रोकने के लिए लागू किया था. कंपनी ने ऐसा तब किया था जब कंपनी पर 2016 के राष्ट्रपति चुनावों में गलत दावों को फैलाने में उसकी भूमिका होने का आरोप लगा था. 2023 में मेटा ने कहा था कि यह प्रोग्राम 100 संस्थानों और 60 भाषाओं में फैल चुका है. एक पहल थी जो फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फैलने वाली गलत या भ्रामक जानकारी को पहचानने और उसे सही करने का काम करती थी.

मार्क जुकरबर्ग ने इस बदलाव का ऐलान किया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

क्यों बंद किया जा रहा है इसे
फैक्ट चेकर में पड़ताल करने के बाद पोस्ट को रैंकिंग में नीचे किया जाता था, लेकिन उसे खत्म नहीं किया जा सकता था. कंपनी का कहना है कि चीज़ें इस तरह से काम नहीं करती हैं. कम से अमेरिका में तो ऐसा नहीं होता है. एक्सपर्ट्स के भी अपने नजरिए और स्तर पर किसी एक पक्ष के लिए झुकाव रख सकते हैं. मेटा ने यह भी कहा है कि अब वे कंटेंट की रैंकिंग नीचे नहीं करेंगे. वे इसकी जगह अब नया फीचर ला रहे हैं जिसमें फैक्ट को लेकर फैसला या हतोत्साहन नहीं होगा.

क्या है इसकी जगह आने वाला नया फीचर?
ज़करबर्ग ने अपने वीडियो में साफ कहा, “हम फैक्ट चेकर से छुटकारा पाने जा रहे हैं और उसे कम्युनिटी नोट्स से बदल रहे हैं जो कि एक्स की तरह है” कम्युनिटी नोट्स में यूजर किसी पोस्ट की जानकारी पर कमेंट कर सकते हैं और बता सकते हैं कि उनके मुताबिक यह गलत या भ्रामक जानकारी है. इतना ही नहीं अपने दावे के समर्थन में वे स्रोत , तथ्य, अन्य प्रमाण या संदर्भ दे सकते हैं.

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इस बदलाव का सीधा संबंध डोनाल्ड ट्रम्प के चुने जाने से भी है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

क्या होगा इसका असर
इस फीचर का असर मेटा (पहले फेसबुक) ,इंस्टाग्राम और थ्रेड्स तक पर सीधा पड़ेगा. जहां इसके फायदे नुकसान पर एक्सपर्ट्स बंटे हुए हैं, कुछ यह भी कहना है कि इस बदलाव से यूरोपीय यूनियन से टकराव हो सकता है. यहां तक कि यूरोपीय यूनियन वाले नियामकों का पालने करने पर तकनीकी मंचों के लिए यह अच्छी खबर ना हो.

इस बदलाव का ड़ोनाल्ड ट्रम्प से गहरा नाता है. फैक्ट चेकर भी तभी आया था जब 2016 में डोनाल्ड ट्रम्प जीते थे. इसके बाद इसे बदला भी तभी जा रहा है, जब वे लौट रहे हैं. इतना ही नहीं 2021 में कैपिटॉल हिल मामले में फेसबुक ने तो ट्रम्प पर पाबंदी भी लगा दी थी. अब जब कि ट्रम्प वापसी कर कर रहे हैं, ज़करबर्ग पहले ही ट्रम्प से मुलाकात कर चुके हैं. मेटा अब ट्रम्प प्रशासन से तालमेल कर रही हैं. वे इस ट्रम्प उद्घाटन समिति को एक मिलियन डॉलर यानी 8 करोड़ 60 लाख रुपये का डोनेशन भी दे चुके हैं.

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