अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे स्पष्ट तौर पर डोनाल्ड ट्रम्प को देश के अगले राष्ट्रप्रमुख के तौर पर स्वीकार कर चुके हैं. जो बाइडन अब विदाई की तैयारी में लगे हुए हैं तो वहीं अमेरिकी प्रशासन नई सरकार के गठन की तैयारी में जुट गया है, जिसमें ट्रम्प का शपथ ग्रहण केवल छोटा से हिस्सा है. अहम हिस्सा नए राष्ट्रपति के मुताबिक मंत्रियों की नियुक्ति के चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया है. जहां भारत में मंत्रियों का सांसद होना जरूरी है, वहीं अमेरिका में सभी मंत्री राष्ट्रपति की पसंद के (सुझाए गए) तो होते हैं, लेकिन उसका अनुमोदन सीनेट से जरूरी होता है, यह बाकायदा एक प्रक्रिया होती है जो राष्ट्रपति को मनमानी नियुक्ति करने से रोक सकती है, उसे नियंत्रित कर सकती है पर क्या यह डोनाल्ड ट्रम्प के मामले में वाकई हो पाएगा? आइए इसे पूरी तरह समझते हैं.
कैबिनेट नियुक्ति
अमेरिका में मंत्री सेकेटरी कहे जाते हैं और उनके विभाग के नाम भी प्रचलित नामों से कुछ हट कर होते हैं. जैसे वहां विदेश मंत्री सेकेटरी ऑफ स्टेट कहा जाता है. और वित्त मंत्री सेकेटरी ऑफ ट्रेजरर कहा जाता है. इस तरह के प्रमुख नियुक्ति को कैबिनेट अपाइंटमेंट्स या कैबिनेट नियुक्ति कहा जाता है. इन नियुक्तियों में देश की प्रमुख एजेंसी जैसे कि सीआईए, एफबाई के प्रमुख भी शामिल होते हैं जिनका मंत्री का स्तर नहीं होता है. राष्ट्रपति के सुझाए नामों पर अमूमन सीनेट सहमति जता देती है, पर वह चाहे तो विवादित नाम को खारिज भी कर सकती है. इसलिए सीनेट में राष्ट्रपति के पार्टी का बहुमत होना अहम हो जाता है.
संविधान में क्या है प्रावधान?
भारत जैसे देश में किसी मंत्री का सांसद होना जरूरी है, अमेरिका में मंत्री बनने के लिए ऐसी कोई शर्त नहीं है. अमेरिकी संविधान के अनुच्छेद दो में साफ किया गया है कि राष्ट्रपति कार्यकारी होते हुए भी संविधान में वर्णित कुछ पदों और सीनेटरों की “सलाह और सहमति” से कानून द्वारा स्थापित अन्य पदों को नियुक्त करता है. यदि सीनेट अवकाश पर है, तो राष्ट्रपति अस्थायी नियुक्तियां कर सकता है.
कितने पदों के लिए जरूरी है सीनेट की मंजूरी
बहुत सारे! पब्लिक सर्विस के लिए भागीदारी लगभग 1,200 पदों को ट्रैक करती है, जिनमें से अधिकांश कैबिनेट स्तर से काफी नीचे हैं, जिन्हें सीनेट की मंजूरी की जरूरत होती है. हालांकि राष्ट्रपति की शायद उनमें से अधिकांश में व्यक्तिगत भूमिका नहीं होती है. उन्हें उनके कर्मचारियों या एजेंसियों के नए पुष्टि किए गए प्रमुख संभालते हैं.
अमेरिका के संविधान में सीनेट की सहमति का प्रावधान है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
कब शुरू होती है यह प्रक्रिया
निर्वाचित राष्ट्रपति चुनाव जीतने के तुरंत बाद प्रमुख अधिकारियों के लिए अपने चुने हुए लोगों को नामित करता है. कायदे से यह प्रक्रिया चुनाव से पहले ही शुरू हो जाती है. लेकिन चुनाव के नतीजों को बाद नाम औपचारिक तौर पर स्पष्ट होने पर नियुक्तियों के अप्रूवल या सहमति पर सीनेट पहले सुनवाई शुरू करती है.
समिति की सुनवाई
सुनवाई “उस समिति में आयोजित की जाती है जिसका अधिकार क्षेत्र उस विभाग पर होता है जिसके लिए नामित व्यक्ति को नामित किया गया है. इन सुनवाईयों में, जो घंटों तक चल सकती हैं, समिति के सदस्यों को नामांकित व्यक्ति से सवाल पूछने का अवसर दिया जाता है, जो कि अक्सर उनकी पृष्ठभूमि और नीतिगत स्थिति के बारे में होते हैं.
जांच और वोटिंग
नामित व्यक्ति को अपने आय संपत्ति आदि का खुलासा भी करना होता है, जैसा कि चुनाव लड़ते समय भारत के लोकसभा या राज्यसभा उम्मीदवार चुनाव आयोग को जानकारी में देते हैं. जरूरी लगने पर समिति दी गई तमाम जानकारियों की जांच भी कर सकती है. इसके बाद कमेटी में वोटिंग होती है जिसके बाद पूरी सीनेट में वोटिंग होती है.

डोनाल्ड ट्रम्प ने इशारा किया है कि वे राष्ट्रपति की कुछ नियुक्तियों में सीनेट एप्रूवल प्रक्रिया से बचना चाहेंगे. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
क्या सीनेट अप्रूवल के बिना हो सकती है नियुक्ति?
अमूमन पूरी अप्रूवल प्रक्रिया में नाम खारिज होना बहुत ही अधिक अपवाद होता है, क्योंकि किसी नाम के खारिज होने की संभावना पहले ही पता रहती है और आमतौर पर पहले ही तैयारियां कर ली जाती हैं कि नाम खारिज ना होने पाये. लेकिन कई बार कुछ नाम जोखिम वाले हो जाते हैं. ऐसे में सीनेट अप्रूवल की चर्चा जोर पकड़ लेती हैं. इस बार भी ऐसा ही हो रहा है क्योंकि अपने दूसरे कार्यकाल से पहले, ट्रम्प ने अवकाशकालीन नियुक्तियों या रिसेस अपाइंटमेंट्स का उपयोग करके सीनेट की पुष्टि प्रक्रिया को दरकिनार करने की अपनी इच्छा का संकेत दिया है.
रिसेस अपाइंटमेंट्स वे नियुक्तियां होती है जो बिना सीनेट सहमति के होती है क्योंकि उनकी सीनेट का सत्र ना चलने की वजह से उनकी सहमति प्रक्रिया में देरी हो जाती है और इससे व्यक्ति को कुछ समय के लिए पद पर बने रहने का मौका मिल जाता है. चूंकि यह सब सीनेट की रीसेस के दौरान होता है, इसीलिए इसे रीसेस अपाइंटमेंट्स कहते हैं. लेकिन यह व्यवस्था भी अस्थाई ही है. ऐसे में देखना ये होगा कि ट्रम्प इसका कितना इस्तेमाल कर पाते हैं.
Tags: US Congress, US President, US Presidential Election 2024
FIRST PUBLISHED : November 17, 2024, 13:04 IST
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