Elon Musk India Move: एलन मस्क की कंपनी उन्हें आखिरकार भारतीय बाजार में अपनी जगह बना ली है, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रतिक्रियाओं से यह तो साफ पता चल रहा है कि उन्होंने एलन मस्क के साथ जो गठबंधन बनाया है, वह जितना दिख रहा है उससे कहीं ज्यादा कमजोर है.
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी यात्रा पर गए थे, जहां पर उन्होंने एलन मस्क से वाशिंगटन में मुलाकात भी की थी. यह किसी को भी नहीं पता था कि एलन मस्क ने पीएम मोदी से एक बिजनेसमैन के रूप में मुलाकात की या फिर अमेरिकी सरकार के प्रतिनिधि के रूप में. जब डोनाल्ड ट्रंप से इसको लेकर सवाल पूछा गया तो वह भी अनिश्चित लग रहे थे.
लंबे समय से भारत में कारें बेचना चाहती थी टेस्ला
वहीं कुछ दिनों बाद ब्लूमबर्ग न्यूज ने बताया कि टेस्ला इंक भारत में रिक्रूटमेंट कर रही है और कुछ कारों को भेजने की प्लानिंग भी कर रही है, जिसे देखकर लगता है कि आखिरकार एलन मस्क को अपना मार्केट मिल गया, जिसे वह चाहते थे. टेस्ला बेहद लंबे समय से भारत में कारें बेचना चाहती थी, लेकिन हाई एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल पर लागू होने वाले हाई टैरिफ को लेकर उन्होंने आपत्ति जताई. वहीं अमेरिकी सरकार चाहती है कि एलन मस्क स्थानीय स्तर पर निर्माण करें. बीते साल भारत में कहा था कि डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग में 500 मिलियन डॉलर का निवेश करने वाली किसी भी कंपनी को कम टैरिफ देना होगा, लेकिन समस्या कुछ और है.
ट्रंप से एलन मस्क को लेकर पूछा गया सवाल
समस्या यह है कि डोनाल्ड ट्रंप सभी टैरिफ को कम करना चाहते हैं. उन्होंने अक्सर कहा है कि भारतीय आयात शुल्क अमेरिकी कारों के लिए कंपीट करना असंभव बनाते हैं और न ही वे अमेरिकी कंपनियों पर दया करते हैं, जो विदेशों में निवेश करना चाहती है. जब ट्रंप से इसको लेकर सवाल पूछा गया कि क्या एलन मस्क को टैरिफ से बचने के लिए भारत में ही मैन्युफैक्चरिंग करनी चाहिए तो ट्रंप ने कहा कि यह बहुत अनुचित होगा.
समस्या कहीं ज्यादा बड़ी
इन सब के बीच सबसे बड़ी बात यह है कि एलन मस्क को नुकसान होने की संभावनाएं अधिक है. वह भी तब, जब उनकी व्यावसायिक आवश्यकताएं डोनाल्ड ट्रंप की प्राथमिकताओं से टकराती है. स्पेसएक्स और टेस्ला जैसी कंपनियों ने लंबे समय तक अमेरिकी बाजार पर अपनी पकड़ बना रखी है. इसका मतलब यह है कि वह हाई टैरिफ से बच सकते हैं इसलिए वे देश में पैसा लगाने के लिए तैयार होंगे, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि उनकी पूंजी अमेरिका में ही रहे. ट्रंप और मस्क के बीच जो भी दरार होगी शायद वह इसे सुलझा लेंगे, लेकिन समस्या इस दोस्ती से कहीं बड़ी है. समस्या इस बात पर डिपेंड करती है कि ट्रंप गठबंधन के दो बड़े विंग- बिग टेक और अमेरिका फर्स्टर्स 4 साल तक साथ रह सकते हैं या नहीं.
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