School Education: रूस, जापान, अमेरिका, कोरिया के स्कूलों में कितने घंटे होती है पढ़ाई? भारत से कितना अलग है सिस्टम?

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नई दिल्ली (School Hours, Education System). हर देश का अपना एजुकेशन सिस्टम है, सबके अपने नियम हैं. कुछ देशों का एजुकेशन सिस्टम बच्चों को प्रैक्टिकल लाइफ में जीने के लिए तैयार करता है तो कुछ का सिर्फ एकेडमिक्स पर ही फोकस रखता है. सभी स्कूल अपने देश की गाइडलाइंस के हिसाब से काम-काज करते हैं. दुनियाभर के सभी देशों के ज्यादातर स्कूलों में 5-8 घंटे पढाई होती है. रूस, अमेरिका, कोरिया और जापान से भारत का एजुकेशन सिस्टम कितना अलग है? समझिए यहां.

रूस का एजुकेशन सिस्टम
पढ़ाई के घंटे: रूसी स्कूलों में आमतौर पर 4-5 घंटे पढ़ाई होती है. हर क्लास के लिए 45 मिनट निर्धारित किए जाते हैं. प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर सप्ताह में 5 दिन पढ़ाई होती है.

सिस्टम: रूसी शिक्षा प्रणाली केंद्रीकृत है. इसमें राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और कठिन परीक्षाएं (जैसे यूनिफाइड स्टेट एग्जाम) शामिल हैं. यहां प्राथमिक शिक्षा 4 साल, लोअर सेकंडरी 5 साल और हायर सेकंडरी 2 साल की होती है. इनमें STEM विषयों पर जोर और अनुशासित माहौल होता है.

भारत से अंतर: भारत में स्कूल आमतौर पर 6-7 घंटे का होता है, जो रूस से ज्यादा है. भारतीय सिस्टम में विविधता (CBSE, ICSE, राज्य बोर्ड) है.

जापान का एजुकेशन सिस्टम
पढ़ाई के घंटे: जापानी स्कूलों में 6-7 घंटे पढ़ाई होती है. यहां सुबह 8:30 से दोपहर 3:30 तक क्लासेस होती हैं. इसके बाद क्लब एक्टिविटीज या एक्सट्रा क्लासेस हो सकती हैं. स्कूल का सेशन अप्रैल से मार्च तक, तीन टर्म में बंटा होता है.

सिस्टम: जापान का सिस्टम Standardized और कठिन है. इसमें गणित, विज्ञान, जापानी और अंग्रेजी पर जोर होता है. स्कूल यूनिफॉर्म, कम्युनिटी एक्टिविटीज (जैसे क्लास में साथ लंच करना) और मॉरल एजुकेशन जैसी चीजें यहां जरूरी हैं. इस देश की प्रवेश परीक्षा का नाम नेशनल सेंटर टेस्ट फॉर यूनिवर्सिटी एडमिशन है.

भारत से अंतर: जापान के स्कूल आवर्स भारत के समान हैं, लेकिन जापान में Communality और अनुशासन पर ज्यादा जोर दिया जाता है. भारतीय स्कूलों में पर्सनल एक्सप्रेशन और विविध पाठ्यक्रम ज्यादा हैं, जबकि जापान में यूनिफॉर्मिटी और सोशल हार्मनी पर फोकस है.

अमेरिका का एजुकेशन सिस्टम
पढ़ाई के घंटे: अमेरिकी स्कूलों में आमतौर पर 6.5-7 घंटे पढ़ाई होती है (सुबह 8:00 से दोपहर 3:00 तक). स्कूल एकेडमिक सेशन अगस्त/सितंबर से मई/जून तक चलता है. इसमें गर्मी की लंबी छुट्टियां शामिल होती हैं.

सिस्टम: अमेरिकी शिक्षा प्रणाली Decentralized है,. इसमें हर राज्य अपने पाठ्यक्रम और मानक तय करता है. इसमें खेल, कला और वैकल्पिक विषयों पर जोर दिया जाता है. कॉलेज में एडमिशन के लिए Standardized टेस्ट (SAT/ACT) पास करना जरूरी है.

भारत से अंतर: अमेरिका में स्कूल आवर्स भारत के समान हैं, लेकिन पाठ्यक्रम में ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी और वैकल्पिक विषय हैं. भारत में एकेडमिक स्ट्रेस और रटने पर ज्यादा जोर दिया जाता है, जबकि अमेरिका में ओवरऑल डेवलपमेंट (खेल, कला) को बढ़ावा मिलता है.

दक्षिण कोरिया का एजुकेशन सिस्टम
पढ़ाई के घंटे: दक्षिण कोरियाई स्कूलों में दिन लंबा होता है, औसतन 12-13 घंटे (सुबह 8:00 से रात 9:00-10:00 तक). इसमें नियमित क्लासेस के बाद निजी ट्यूशन या ‘हैगवोन’ शामिल हैं.

सिस्टम: कोरियाई सिस्टम ज्यादा competitive और परीक्षा-केंद्रित है. इसमें कॉलेज स्कॉलरशिप यूनिवर्सिटी एंट्रेंस एग्जाम जरूरी है. प्राथमिक शिक्षा 6 साल, मिडिल स्कूल 3 साल और हाई स्कूल 3 साल का होता है. नैतिक शिक्षा, कोरियाई भाषा और गणित पर जोर होता है.

भारत से अंतर: कोरिया के स्कूल आवर्स भारत से काफी लंबे हैं और एकेडमिक प्रेशर भी ज्यादा है. भारत में प्राइवेट ट्यूशन आम है, लेकिन कोरिया में हैगवोन सिस्टम काफी Organized है. कोरिया में सिंगल-जेंडर स्कूल ज्यादा हैं, जबकि भारत में सह-शिक्षा आम है.

चीन का स्कूल एजुकेशन सिस्टम
पढ़ाई के घंटे: चीनी स्कूलों में 8-10 घंटे पढ़ाई होती है (सुबह 7:30 से शाम 5:00-6:00 तक). इसमें दोपहर का लंबा ब्रेक शामिल है. कई स्टूडेंट्स एक्सट्रा ट्यूशन या होमवर्क के लिए देर तक पढ़ते हैं. स्कूल सेशन सितंबर से जून तक, दो सेमेस्टर में बंटा होता है.

सिस्टम: चीनी एजुकेशन सिस्टम काफी सेंट्रलाइज्ड और competitive है. इसमें गाओकाओ (राष्ट्रीय कॉलेज प्रवेश परीक्षा) महत्वपूर्ण है. यहां गणित, विज्ञान और चीनी भाषा पर जोर होता है. 2024 से बीजिंग के स्कूलों में प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर सभी स्टूडेंट्स के लिए सालाना कम से कम 8 घंटे AI कोर्स अनिवार्य किया गया है.

भारत से अंतर: चीन के स्कूल आवर्स भारत से ज्यादा हैं. दोनों देशों में एकेडमिक प्रेशर है, लेकिन चीन में सेंट्रलाइज्ड और राष्ट्रीय परीक्षाओं (गाओकाओ) का प्रभाव भारत की बोर्ड परीक्षाओं से ज्यादा है. भारत में विविधता (CBSE, ICSE) है, जबकि चीन में एकरूपता.

5. भारतीय स्कूल एजुकेशन सिस्टम
पढ़ाई के घंटे: भारतीय स्कूलों आमतौर पर 6-7 घंटे (सुबह 8:00 से दोपहर 2:00-3:00 तक) पढ़ाई होती है. कुछ स्कूलों में दोपहर की शिफ्ट भी होती है. स्कूल सेशन अप्रैल से मार्च तक चलता है, जिसमें गर्मी और सर्दी की छुट्टियां होती हैं.

सिस्टम: भारतीय शिक्षा प्रणाली विविध है. इसमें CBSE, ICSE और राज्य बोर्ड शामिल हैं. यहां एकेडमिक्स पर ज्यादा फोकस किया जाता है, गणित, विज्ञान और भाषाओं पर जोर रहता है. बोर्ड परीक्षाएं (10वीं और 12वीं) और प्रवेश परीक्षाएं (जैसे JEE, NEET) महत्वपूर्ण हैं. निजी ट्यूशन भी आम हैं.

विशेषताएं: भारतीय स्कूलों में यूनिफॉर्म आम है, लेकिन अनुशासन और कम्युनिटी एक्टिविटीज जापान या कोरिया जितनी सख्त नहीं हैं. खेल और कला पर कम ध्यान दिया जाता है.

ओवरऑल अंतर
घंटे: दक्षिण कोरिया में पढ़ाई के घंटे सबसे ज्यादा हैं, जबकि रूस में सबसे कम. भारत, जापान और अमेरिका के घंटे समान हैं.
सिस्टम: भारत का सिस्टम विविध लेकिन अकादमिक-केंद्रित है. जापान और कोरिया में अनुशासन और प्रतिस्पर्धा अधिक है, अमेरिका में लचीलापन और रूस में एकरूपता.
दबाव: कोरिया और जापान में प्रवेश परीक्षाओं का दबाव भारत से ज्यादा है, जबकि अमेरिका में समग्र विकास पर फोकस है. रूस में मध्यम दबाव है.
सांस्कृतिक: जापान और कोरिया में सामुदायिकता और नैतिक शिक्षा पर जोर है, जो भारत में कम है. अमेरिका में व्यक्तिगत अभिव्यक्ति (Personal Expression) को बढ़ावा मिलता है.

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