अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद चीन पर भारी टैरिफ लगाए जाने की चर्चा तेज हो गई है. ट्रंप ने अपने चुनावी अभियान के दौरान कई बार यह बात कही थी कि वह चीन पर 60 फीसदी टैरिफ लगाएंगे. क्या भारत पर भी डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ लगा सकते हैं? पाकिस्तानी एक्सपर्ट कमर चीमा का कहना है कि टैरिफ के मामले में डोनाल्ड ट्रंप भारत को भी नहीं बख्शेंगे.
कमर चीमा विदेश मंत्री एस. जयशंकर के उस बयान पर बात कर रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि ट्रंप की जीत से कई मुल्क घबराए हुए हैं, लेकिन भारत नहीं है. इस पर कमर चीमा का कहना है कि भारत की इकोनॉमी अच्छी है, उसकी अमेरिका के साथ डिफेंस डील हैं. 2015-16 में इंडिया-यूएस डिफेंस कॉर्पोरेशन फ्रेमवर्क बना था, जिसमें भारत मेजर डिफेंस पार्टनर है.
टैरिफ को लेकर कमर चीमा ने कहा, ‘मेरी अमेरिका को लेकर जो रीडिंग है, उसके अनुसार टैरिफ के लिए डोनाल्ड ट्रंप भारत को भी नहीं छोड़ेंगे. वो भारत से पैसे निकालवाएंगे. वो बिजनेसमैन हैं और भारत को पैसे देने में दिक्कत नहीं. उसकी वजह से है कि डेमोक्रेटिक सरकारी जो करती है न कि पीछे लगा कर रखते हैं और कुछ देते नहीं हैं. ट्रंप सीधी-सीधी सी बात करेंगे कि पैसे दो और ये लो प्रोडक्ट.’ उन्होंने कहा कि पिछले कुछ अरसे में अमेरिकी कंपनियों ने भारत में 60 अरब डॉलर लगाया है और 40 अरब डॉलर भारत ने अमेरिका में लगाया. भारत उसी लाइन पर काम करना चाहता है, जिस पर अमेरिका करना चाहता है.
जयशंकर के बयान को लेकर उन्होंने कहा कि भारत क्यों डोनाल्ड ट्रंप की जीत से चिंतित नहीं है, लेकिन बाकी मुल्क हैं, ये सवाल है. यूएस और भारत का डिफेंस कॉलेबोरेशन है. ये क्वाड की बड़ी वर्क स्ट्रीम्स को ऑपरेट करते हैं और उनकी जो डिफेंस ट्रेड हैं, अगर सिर्फ वही देख लें तो पता चलेगा कि अमेरिका को भारत की कितनी ज्यादा जरूरत है. इस वजह से भारत के पास ये कॉन्फिडेंस है. उसकी इकोनॉमी अच्छी है. वो अमेरिका से असलहा खरीदता है इसलिए वह अमेरिका से घबराता नहीं है.
पाक एक्सपर्ट कमर चीमा ने आगे कहा, ‘जिस चीज पर भारत की पश्चिमी देशों में आलोचना होती है, वो स्ट्रेटेजिक इकोनॉमी है. पूरी दुनिया कहती है कि भारत जो स्ट्रेटेजिक इकोनॉमी की बात करता है वो समझ में नहीं आती. भारत रूस से भी ताल्लुकात रखता है और अब तो पश्चिमी देश खुलकर इस मुद्दे को उठाने लगे हैं. रूस से भी रिश्ते हैं, चीन से सवा सौ डॉलर की ट्रेड करते हो और अमेरिका से भी 200 अरब डॉलर की ट्रेड करते हो.’
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