Donald Trump Will Help Indian Defence: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावित अमेरिकी दौरे के दौरान ट्रंप भारत को एक बड़ी खुशखबरी दे सकते हैं. दरअसल पीएम मोदी के दौरे पर दोनों देशों के बीच कई रक्षा सौदों पर भी चर्चा होने की संभावना जताई जा रही है. इन्हीं में अमेरिकी ICV यानी इंफेट्री कॉबेट वेहिक्ल स्ट्राइकर भी हो सकता है. बता दें कि भारतीय सेना अपने मॉर्डनाइजेशन के प्रोसेस पर तेजी से काम कर रही है. अब तक सेना का ध्यान ज्यादातर पश्चिमी सीमा पर था, लेकिन अब उत्तरी सीमा यानी चीन से सटे क्षेत्रों पर भी जोर दिया जा रहा है. इसी कड़ी में सेना ऐसे उपकरणों को शामिल करने पर काम कर रही है, जो मैदानी, रेगिस्तानी और उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बेहतरीन साबित हो सकें.
भारतीय सेना के पास वर्तमान में करीब 2000 रूसी BMP-2 इंफेंट्री कॉम्बेट वेहिकल्स हैं, जिनमें ट्रैक और व्हील वाले दोनों प्रकार शामिल हैं. सेना अब पुराने व्हील्ड इंफेंट्री कॉम्बेट वेहिकल्स को बदलने की प्रक्रिया में है और करीब 500 नए ICV को शामिल करने की तैयारी कर रही है. अमेरिकी कंपनी जनरल डायनामिक्स लैंड सिस्टम्स ने लद्दाख के उच्च ऊंचाई वाले इलाकों में स्ट्राइकर ICV का डेमो दिया, जो सितंबर-अक्टूबर 2024 में हुआ था. यह डेमो 13,000 से 18,000 फीट की ऊंचाई पर हुआ और यह भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.
स्ट्राइकर ICV: क्यों है खास?
स्ट्राइकर ICV के अलग-अलग प्रकार के वेरिएंट्स हैं, जो इसे मल्टी-टास्किंग हथियार बनाते हैं. इसमें इंफेंट्री कैरियर, मोबाइल गन सिस्टम, मेडिकल इवैक्यूएशन, फायर सपोर्ट, एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल कैरियर और रेकॉनेन्स वेहिकल शामिल हैं.
स्ट्राइकर 8 व्हील ड्राइव के साथ आता है
इसमें 30 मिमी गन और 105 मिमी मोबाइल गन शामिल हैं. इसकी रेंज 483 किलोमीटर है और यह 100 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से मूव कर सकता है. यह दुश्मन के एरियल अटैक, लैंडमाइन, और IED से सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है. सबसे खास बात यह है कि इसे चिनूक हेलीकॉप्टर के जरिए ऊंचाई वाले इलाकों में भी आसानी से पहुंचाया जा सकता है.
BMP-2 और स्ट्राइकर ICV की तुलना
भारतीय सेना के पास मौजूद BMP-2 की कुछ खासियतें हैं, जैसे यह एम्फीबियस है यानी यह पानी की बाधाओं को आसानी से पार कर सकती है, जबकि स्ट्राइकर में यह क्षमता नहीं है. हाई ऑल्टिट्यूड एरिया में BMP-2 के ट्रैक्ड वेरिएंट को बनाए रखने में मुश्किल होती है, जबकि स्ट्राइकर जैसे व्हील्ड वेहिकल्स का मेंटेनेंस आसान होता है. भारत की प्लान के मुताबिक अगर स्ट्राइकर को चुना जाता है तो इसका को-प्रोडक्शन और को-डेवलपमेंट मेक इन इंडिया के तहत करना होगा, साथ ही जैवलीन ATGM जैसी क्रिटिकल टेक्नोलॉजी का ट्रांसफर भी जरूरी होगा.
भारतीय सेना की मैकेनाइज्ड इंफेंट्री
भारतीय सेना की मैकेनाइज्ड इंफेंट्री में कुल 50 बटालियनों के पास 52 ICVs हैं. पहले फेज में सेना 9 बटालियनों के पुराने ICVs को नए ICVs से बदलने की योजना बना रही है. इसके लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) जारी किया जा चुका है और 15 से ज्यादा स्वदेशी कंपनियों ने भी इसमें भाग लिया है.
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