Donald Trump Early Exit G7 Summit 2025: कनाडा की ठंडी रॉकी पहाड़ियों में जब दुनिया के सात बड़े लोकतांत्रिक देश G7 सम्मेलन के लिए इकट्ठा हो रहे थे, तभी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सभी को चौंका दिया. सम्मेलन की औपचारिक शुरुआत से पहले ही ट्रंप ने ऐलान कर दिया कि वह एक दिन पहले ही अमेरिका लौट रहे हैं.
जब मीडिया ने इसकी वजह पूछी तो व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलाइन लेविट ने बताया कि ट्रंप जल्दी वाशिंगटन लौट रहे हैं ताकि वे कुछ जरूरी मुद्दों पर ध्यान दे सकें. हालांकि, उन्होंने आधिकारिक रूप से इसकी वजह मध्य पूर्व की स्थिति बतई, लेकिन असली कारण ईरान और इजरायल के बीच बढ़ता तनाव और उससे जुड़ी अमेरिकी कूटनीति मानी जा रही है.
डोनाल्ड ट्रंप ने दी तेहरान खाली करने की चेतावनी
G7 सम्मेलन के पहले ही दिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर चर्चा में आ गए जब उन्होंने तेहरान के लोगों को शहर खाली करने की चेतावनी दे दी. हालांकि, उन्होंने इस चेतावनी के पीछे कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया. इस पोस्ट को विशेषज्ञों ने ईरान पर दबाव डालने की एक रणनीति के रूप में देखा. इस दौरान यूरोप के नेता- फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी एक साझा बयान तैयार कर रहे थे.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कही ये बड़ी बात
इस बयान में दो मुख्य बातें थीं- पहला कि ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकना और दूसरा कि इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार को समर्थन देना, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप ने इस साझा बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया, जिससे अमेरिका का रुख बाकी देशों से अलग दिखाई दिया. पत्रकारों से बातचीत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह ईरान के साथ जल्द कोई कूटनीतिक समझौता कर सकते हैं. उन्होंने कहा, “ईरान बातचीत करना चाहता है. हम कुछ करने जा रहे हैं.”
हालांकि, ट्रंप ने यह नहीं बताया कि वह वास्तव में क्या कदम उठाने वाले हैं. उन्होंने यह भी खुलासा किया कि उन्होंने ईरान को दो महीने का अल्टीमेटम दिया था, जिसकी अवधि शुक्रवार को पूरी हो गई. उसी दिन इजरायल ने ईरान पर अब तक के सबसे आक्रामक हमले किए, जिसमें उसकी परमाणु सुविधाएं और सैन्य अधिकारी निशाने पर थे. इस सम्मेलन में ट्रंप ने रूस को लेकर भी अपने पुराने रुख को दोहराते हुए कहा कि 11 साल पहले रूस को G8 से निकालना एक गलती थी. अगर वह आज भी शामिल होता तो शायद यूक्रेन युद्ध न होता.
इस पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा, “जो देश संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का उल्लंघन कर रहा हो, वह मध्य पूर्व में शांति का दूत नहीं बन सकता.”
इजरायल-ईरान जंग में डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी, ‘खाली करो तेहरान, कितनी शर्म की बात…’
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