अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल से शुरू होने वाले आयातित कारों पर 25% टैरिफ लगाने का फैसला लिया है. इस फैसले को लेकर यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने गहरी चिंता और खेद व्यक्त किया है. उनके मुताबिक, यह कदम न केवल यूरोप, बल्कि अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) के लिए भी व्यापार और उपभोक्ताओं के लिए नुकसानदायक है.
यूरोपीय आयोग का बयान
उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा, ‘ऑटोमोटिव इंडस्ट्री इनोवेशन, कॉम्पटिशन और क्वालिटी वाली नौकरियों का मुख्य स्तंभ है.’ उन्होंने आगे बताया कि इस नए टैरिफ का असर न केवल व्यापार बल्कि उपभोक्ताओं पर भी बुरा प्रभाव डालेगा. वॉन डेर लेयेन ने यह भी कहा कि यूरोपीय संघ, अमेरिका के इस फैसले का मूल्यांकन करेगा और समाधान के लिए वार्ता की प्रक्रिया जारी रखेगा.
ट्रंप का फैसला और उसका प्रभाव
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने 25% टैरिफ के बारे में एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जो 2 अप्रैल से प्रभावी होगा. उनका कहना है कि यह कदम अमेरिकी उद्योग की रक्षा के लिए उठाया जा रहा है, खासकर उन देशों से आयातित कारों पर जो अमेरिका में उत्पादन नहीं करतीं. ट्रंप ने ओवल ऑफिस में टिप्पणी करते हुए कहा, “हम उन देशों से टैरिफ लेंगे जो हमारी नौकरियां और संपत्ति ले जाते हैं. ” उनका कहना था कि ये टैरिफ केवल उन कारों पर लागू होंगे जो संयुक्त राज्य अमेरिका में निर्मित नहीं हैं. जो कारें अमेरिका में बनाई जाएंगी, उन पर कोई टैरिफ नहीं लगेगा.
अमेरिका की नई पारस्परिक टैरिफ प्रणाली
इस नए टैरिफ का उद्देश्य उन देशों से आयातित कारों पर शुल्क बढ़ाना है, जिनकी असेंबलिंग अमेरिका में नहीं होती. यह टैरिफ अमेरिका में बेची जाने वाली कारों और ट्रकों के आधे हिस्से पर लागू होगा. ट्रंप ने इसे ‘मुक्ति दिवस’ के रूप में प्रचारित किया है, जब ये टैरिफ प्रभावी होंगे. यह कदम अमेरिका और यूरोप के बीच बढ़ते व्यापार विवाद को और भी बढ़ा सकता है.
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