Explainer: ट्रंप के प्रेसीडेंट बनने से किन देशों को हो सकती है मुश्किल

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Explainer: ट्रंप के प्रेसीडेंट बनने से किन देशों को हो सकती है मुश्किल

Last Updated:January 21, 2025, 12:26 IST

President Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरा कार्यकाल शुरू होने से चीन, ईरान, रूस, उत्तर कोरिया, क्यूबा और वेनेजुएला जैसे देशों पर कड़े प्रतिबंध लग सकते हैं. ट्रंप प्रशासन व्यापार, परमाणु क…और पढ़ें

ट्रंप ने शपथ लेने से पहले ही अपने इरादों की झलक देना शुरू कर दिया था. उनका पहला संबोधन भी काफी आक्रामकता भरा था.

President Donald Trump: डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार यानी 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ ली. वह अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बने. यह ट्रंप का दूसरा कार्यकाल है. इससे पहले वह 2016 से लेकर 2020 तक पद पर रहे थे. ट्रंप ने शपथ लेने से पहले ही अपने इरादों की झलक देना शुरू कर दिया था. उनका पहला संबोधन भी काफी आक्रामकता भरा था. उनके यह तेवर कई देशों के लिए मुश्किल पैदा कर सकते हैं. डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति को देखते हुए कहा जा सकता है कुछ देशों पर प्रतिबंधों को कड़ा किया जा सकता है. ये देश संभवत: रूस, ईरान, चीन, उत्तर कोरिया, क्यूबा और वेनेजुएला हो सकते हैं. 

चीन बन सकता है पहला शिकार
सबसे पहले बात करते हैं चीन की. ट्रंप प्रशासन के दौरान अमेरिका का चीन के साथ व्यापार युद्ध छिड़ा हुआ था. उन्होंने चीन पर आर्थिक और तकनीकी प्रतिबंध लगाए थे, विशेष रूप से हुवेई और अन्य चीनी कंपनियों पर. डोनाल्ड ट्रंप दोबारा सत्ता में आकर चीन पर और कड़े प्रतिबंध लगा सकते हैं. खासकर अगर व्यापार, प्रौद्योगिकी, और ताइवान जैसे मुद्दों पर तनाव बढ़ता है.

पहले भी लगाए थे ईरान पर कड़े प्रतिबंध
डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 में ईरान परमाणु समझौते (जेसीपीओए) से अमेरिका को बाहर कर दिया था और उस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे. फिर से राष्ट्रपति बनने के बाद वह ईरान पर प्रतिबंधों को और कड़ा कर सकते हैं, खासकर अगर ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाता है.

यूक्रेन पर निर्भर करेंगे रूस से संबंध
डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में दौरान अमेरिका ने रूस पर कुछ प्रतिबंध लगाए गए थे. लेकिन तब उनकी आलोचना भी हुई थी उसलिए वे इस बार रूस के प्रति नरम रुख अपना रहे हैं. यदि रूस-यूक्रेन संघर्ष जारी रहता है, तो ट्रंप अपने आलोचकों को संतुष्ट करने के लिए रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा सकते हैं. हालांकि यह उनकी नीति प्राथमिकताओं पर निर्भर करेगा.

भुगतना पड़ सकता है परमाणु टेस्ट का खामियाजा
डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया के प्रमुख किम जोंग-उन के साथ व्यक्तिगत रूप से बातचीत की थी. लेकिन उस समय अमेरिका का उत्तर कोरिया पर कोई ठोस समझौता नहीं हो सका था. अगर उत्तर कोरिया परमाणु परीक्षण और मिसाइल प्रक्षेपण जारी रखता है, तो ट्रंप उस पर कड़े प्रतिबंध लगा सकते हैं.

लोकतंत्र की स्थिति तय करेगी वेनेजुएला का भविष्य
डोनाल्ड ट्रंप ने बतौर राष्ट्रपति अपने कार्यकाल में वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की सरकार पर कड़े प्रतिबंध लगाए थे. वेनेजुएला में लोकतंत्र और मानवाधिकारों की स्थिति को लेकर ट्रंप प्रशासन प्रतिबंधों को और सख्त कर सकता है.

पहले कार्यकाल में भी क्यूबा पर गिरी थी गाज
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में ओबामा प्रशासन की नीतियों को पलट दिया था. उन्होंने उस समय क्यूबा पर प्रतिबंध लगाए थे. दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप क्यूबा पर और कड़े प्रतिबंध लगा सकते हैं. खासकर उन परिस्थितियों में तो और ज्यादा अगर क्यूबा की सरकार में कोई बदलाव नहीं होता है.

इन प्रतिबंधों का उद्देश्य आमतौर पर उन देशों की सरकारों पर दबाव बनाना होता है ताकि वे अमेरिका की नीतियों और वैश्विक मानकों का पालन करें. डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद दुनिया पर क्या असर पड़ेगा, यह कई कारकों पर निर्भर करता है. जिसमें उनकी विदेश नीति, आर्थिक नीतियां और वैश्विक मुद्दों पर उनकी प्रतिक्रिया शामिल है. यहां कुछ संभावित प्रभाव हैं.

विदेश नीति और वैश्विक तनाव: ट्रंप का ‘अमेरिका फर्स्ट’ वाला दृष्टिकोण अंतरराष्ट्रीय सहयोग को कमजोर कर सकता है. इससे अमेरिका के पारंपरिक सहयोगियों के साथ संबंध तनावपूर्ण हो सकते हैं. चीन, ईरान, और रूस के साथ संबंधों में अस्थिरता बढ़ सकती है, जिससे वैश्विक तनाव और संघर्ष की आशंकाएं बढ़ सकती हैं.

जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण नीति: ट्रंप प्रशासन ने पहले भी पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को बाहर कर दिया था. उनके दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक प्रयास कमजोर हो सकते हैं.

अंतरराष्ट्रीय व्यापार और आर्थिक प्रभाव: ट्रंप की व्यापार नीतियों के तहत व्यापार युद्ध और टैरिफ में वृद्धि हो सकती है, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

महामारी और स्वास्थ्य संकट: महामारी और स्वास्थ्य संकटों के दौरान, ट्रंप की प्रतिक्रिया को आलोचना का सामना करना पड़ा था. यदि भविष्य में कोई नई महामारी आती है, तो उनकी प्रतिक्रिया विश्व स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है.

संयुक्त राष्ट्र और बहुपक्षीय संस्थाएं: ट्रंप का रवैया बहुपक्षीय संस्थाओं के प्रति शंकालु रहा है. उनकी नीतियां संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की भूमिका को कमजोर कर सकती हैं. हालांकि, यह सब अनुमान पर आधारित है और वास्तविक प्रभाव उनकी नीतियों के क्रियान्वयन और वैश्विक नेताओं के साथ उनके संबंधों पर निर्भर करेगा.

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