ट्रंप ने तो खलबली मचा दी! ग्रीनलैंड की सुरक्षा बढ़ी, स्लेज डॉग भी तैनात…टेंशन में क्यों डेनमार्क?

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नई दिल्ली: डोनाल्ड ट्रंप अभी राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठे नहीं हैं. 20 जनवरी को वह राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे. मगर उससे पहले ही उनकी धमक पूरी दुनिया में सुनाई देने लगी है. सत्ता संभालने से पहले ही डोनाल्ड ट्रंप ने पूरी दुनिया में खलबली मचा दी है. ट्रंप की ग्रीनलैंड वाली बात सुन डेनमार्क तो खौफजदा हो चुका है. आनन-फानन में डेनमार्क ने ग्रीनलैंड की सुरक्षा बढ़ा दी है. भारी संख्या में फोर्स तैनात कर दिया है. इतना ही नहीं, स्लेज डॉग की3 भी तैनाती कर दी है. दरअसल, अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर ग्रीनलैंड को हासिल करने, पनामा नहर पर फिर से कंट्रोल करने और मजाक में कनाडा पर कब्जा करने की बात कहकर इंटरनेशनल लेवल पर खलबली मचा दी है.

दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए डोनाल्ड ट्रंप ने डेनमार्क से ग्रीनलैंड खरीदने के अपने पुराने आह्वान को दोहराया है. अपने पहले कार्यकाल में भी उन्होंने यह आह्वान किया था लेकिन सफलता नहीं मिली थी. इसके साथ उन मित्र देशों की सूची में डेनमार्क भी शामिल हो गया है, जिनके साथ ट्रंप 20 जनवरी को पदभार ग्रहण करने से पहले ही टकराव का रुख अख्तियार कर रहे हैं. ग्रीनलैंड को खरीदने की बात कहकर ट्रंप ने डेनमार्क की चिंता बढ़ा दी है. हालांकि, डेनमार्क सरकार ने ट्रंप के आर्कटिक क्षेत्र पर नए सिरे से जोर देने के बाद से ग्रीनलैंड को अब तक का सबसे बड़ा रक्षा खर्च बढ़ाकर जवाब दिया है.

ग्रीनलैंड के लिए पैसों की बौछार
बीबीसी की खबर के मुताबिक, डेनमार्क के रक्षा मंत्री ट्रॉल्स लुंड पॉल्सेन ने कहा कि ग्रीनलैंड की सुरक्षा के लिए यह पैकेज क्रोन में दहाई अरब क्रोन से अधिक का है. यानी कम से कम 1.5 बिलियन डॉलर (1,28,08,29,00,000 रुपए). उन्होंने इस घोषणा के समय को भाग्य की विडंबना बताया. पॉल्सेन ने कहा कि इस पैकेज से दो नए निरीक्षण जहाज, दो नए लंबी दूरी के ड्रोन और दो अतिरिक्त डॉग स्लेज टीमें खरीदी जा सकेंगी. सोमवार को डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि ग्रीनलैंड का स्वामित्व और नियंत्रण अमेरिका के लिए अत्यंत जरूरी है.

ग्रीनलैंड के लिए क्या-क्या करेगी डेनमार्क सरकार
इसके साथ ही राजधानी नूक में आर्कटिक कमांड में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने के लिए फंडिंग और ग्रीनलैंड के तीन मुख्य नागरिक हवाई अड्डों में से एक को एफ-35 सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों को संभालने के लिए अपग्रेड किया जाएगा. रक्षा मंत्री ने कहा, ‘हमने आर्कटिक में कई सालों तक पर्याप्त निवेश नहीं किया है. अब हम वहां अपनी मजबूत उपस्थिति की योजना बना रहे हैं. रक्षा मंत्री ने इस पैकेज के लिए सटीक आंकड़ा नहीं बताया, लेकिन डेनमार्क की मीडिया का अनुमान है कि यह लगभग 12-15 बिलियन क्रोन होगा. डेनमार्क की यह घोषणा ट्रंप के बयान के एक दिन बाद आई है. ट्रंप ने कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा और दुनिया भर में स्वतंत्रता के उद्देश्य से अमेरिका का मानना ​​है कि ग्रीनलैंड का स्वामित्व और नियंत्रण एक परम आवश्यकता है.

ट्रंप क्या-क्या कह रहे
दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप ने फिर से ग्रीनलैंड पर योजना बनाई है. इससे पहले उन्होंने वीकेंड में सुझाव दिया था कि अगर अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाले पनामा जलमार्ग का उपयोग करने के लिए आवश्यक बढ़ती पोत परिवहन लागत को कम करने के लिए कुछ नहीं किया जाता है, तो उनका देश पनामा नहर पर फिर से नियंत्रण कर सकता है. वह कनाडा को 51वां अमेरिकी राज्य बनाने और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को ‘ग्रेट स्टेट ऑफ कनाडा’ का ‘गवर्नर’ बनाने का सुझाव भी दे रहे हैं.

बर्फ की चादरा से ढका रहता है ग्रीनलैंड
ग्रीनलैंड दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है, जो अटलांटिक और आर्कटिक महासागरों के बीच स्थित है. यह 80 प्रतिशत बर्फ की चादर से ढका हुआ है और यहां एक बड़ा अमेरिकी सैन्य अड्डा है. डेनमार्क के शासनाध्यक्ष यानी प्रधानमंत्री म्यूटे बोरुप एगेडे ने कहा है कि ग्रीनलैंड पर अमेरिकी नियंत्रण की ट्रंप की नवीनतम अपील उनके पहले कार्यकाल की तरह ही निरर्थक रहेगी. उन्होंने कहा कि ग्रीनलैंड हमारा है. हम बिक्री के लिए तैयार नहीं हैं और कभी भी बिक्री नहीं करेंगे. हमें स्वतंत्रता के लिए अपनी वर्षों पुरानी लड़ाई नहीं हारनी चाहिए.

ग्रीनलैंड क्या है, क्यों अमेरिका पीछे पड़ा?
दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप ग्रीनलैंड, डेनमार्क राज्य के भीतर एक स्वायत्त क्षेत्र है. इसका मतलब है कि इसकी अपनी सरकार है और यह अपने आंतरिक मामलों का प्रबंधन खुद करता है, लेकिन रक्षा और विदेश नीति डेनमार्क के हाथों में है. आर्कटिक और अटलांटिक महासागरों के बीच स्थितग्रीनलैंड का महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक महत्व है, खासकर संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए. क्योंकि यह उत्तरी अमेरिका और यूरोप के बीच सबसे छोटे हवाई मार्ग पर स्थित है. यह द्वीप थुले एयर बेस का भी घर है, जो अमेरिका की अहम सैन्य स्थापना है. ग्रीनलैंड के पास विशाल प्राकृतिक संसाधन हैं, जिनमें पर्याप्त खनिज भंडार और इसकी प्रचुर पवन और जल विद्युत क्षमता के कारण अक्षय ऊर्जा स्रोतों में बढ़ती रुचि शामिल है. यही वजह है कि ट्रंप इस पर अपना कब्जा चाहते हैं.

Tags: Donald Trump, US News, World news

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