ट्रंप गाजा-यूक्रेन में उलझे, उधर जिनपिंग और पुतिन ने बिछा दिया जाल, खतरे में अमेरिका

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US China War: अमेरिका को चीन और रूस पूरी तरीके से घेरने की तैयारी में लगे हैं. अमेरिका के एक टॉप जनरल ने चेतावनी दी है कि अलास्का के करीब ये दोनों देश अपने हथियारों, जंगी जहाज और फाइटर जेट जमा कर रहे हैं.

अमेरिका को घेरने के लिए चीन हर रोज नई रणनीति के साथ काम कर रहा है. (फाइल फोटो)

हाइलाइट्स

  • अमेरिका को चीन और रूस घेरने की तैयारी में हैं.
  • चीन अलास्का के पास सेना की मौजूदगी बढ़ा रहा है.
  • अमेरिका ने आर्कटिक रणनीति पर चिंता जताई.

बीजिंग. अमेरिका एक तरफ गाजा में इजरायल और हमास की जंग को शांत करने और तीन साल से ज्यादा समय से चल रहे रूस-यूक्रेन की जंग को रोकने में बिजी है, वहीं चीन चुपके से उसे घेरने की तैयारी कर रहा है. दरअसल, बीजिंग अलास्का के पास अपनी सेना की मौजूदगी बढ़ाने की तैयारी कर रहा है, जिसमें बम गिराने वाले एयरक्राफ्ट की तैनाती भी शामिल है. अमेरिका के एक टॉप जनरल ने यह चेतावनी दी है.

यूएस नॉर्दर्न कमांड (NORTHCOM) और नॉर्थ अमेरिकन एयरोस्पेस डिफेंस कमांड (NORAD) के प्रमुख एयर फोर्स जनरल ग्रेगरी एम. गुइलोट ने सीनेट आर्म्ड सर्विसेज कमेटी को बताया कि बीजिंग अपनी उपस्थिति को न केवल आसमान में, बल्कि समुद्री और पानी के नीचे के क्षेत्रों में भी बढ़ाने की योजना बना रहा है. उन्होंने इस क्षेत्र में चीन और रूस के बीच बढ़ते सैन्य तालमेल पर भी चिंता जताई, जो अमेरिकी रक्षा रणनीति के लिए एक गहरी चुनौती का संकेत है.

आर्कटिक अब एक जमी हुई सीमा नहीं है – यह एक भू-राजनीतिक संघर्ष का केंद्र बन रहा है. पिछले जुलाई में, अमेरिका ने अपनी आर्कटिक रणनीति पर से पर्दा उठाया था, जिसमें दो प्रमुख चिंताओं को जाहिर किया गया: चीन-रूस सहयोग की गहराई और जलवायु परिवर्तन का तेजी से बढ़ता प्रभाव. यूरेशियन टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक, पेंटागन ने कहा कि “आर्कटिक तेजी से बदल रहा है – सामरिक और भौतिक दोनों रूप से.” उसने चेतावनी दी कि चीन, जो अमेरिका का लंबे समय से अहम प्रतिद्वंद्वी है, इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है, जबकि रूस, यूक्रेन में अपने झटकों के बावजूद, एक महत्वपूर्ण खतरा बना हुआ है.

जैसे-जैसे आर्कटिक अधिक आसान हो रहा है, यह वैश्विक सामरिक प्रतिस्पर्धा का एक प्रमुख क्षेत्र बन रहा है. रणनीति ने जोर दिया कि अमेरिका को अपने सहयोगियों और भागीदारों के साथ मिलकर इन चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए तैयार रहना चाहिए. रूसी आक्रामकता का मुकाबला करने और चरम परिस्थितियों में अपने ऑपरेशन को तुरंत बढ़ाने के लिए, अमेरिकी और नाटो बल नियमित रूप से इस क्षेत्र में संयुक्त अभ्यास करते हैं, जिसे गठबंधन के भीतर हाई नॉर्थ के रूप में जाना जाता है.

चिंता केवल चीन को लेकर ही नहीं है. मॉस्को ने भी हाल के वर्षों में अलास्का और कनाडा के पास अपने एकतरफा बमवर्षक उड़ानों को बढ़ा दिया है. पिछले महीने, आर्कटिक में रूसी सैन्य उड़ानों ने NORAD लड़ाकू गश्त को एक्टिव कर दिया, जिसके चलते अमेरिकी F-16 अब ग्रीनलैंड में तैनात किए गए हैं ताकि किसी भी खतरे को रोका जा सके. जनरल गुइलोट ने चेतावनी दी, “चीन, रूस, उत्तर कोरिया और ईरान के बीच बढ़ता सहयोग अमेरिका को चुनौती देने के लिए सीधे तौर पर हमारी घरेलू सुरक्षा पर असर डालता है.”

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