China Oil Discovered In South China Sea: भारत के पड़ोसी मुल्क चीन ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है. चीन की तेल सरकारी कंपनी CNOOC ने साउथ चाइना शी में 100 मिलियन टन से अधिक कच्चे तेल और 380 बिलियन क्यूबिक फीट प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार की खोज की है. यह भंडार पर्ल रिवर माउथ बेसिन के कैपिंग साउथ क्षेत्र में स्थित है, जो गुआंगडोंग प्रांत से 300 किलोमीटर दूर है. इस खोज की पुष्टि Caping South 1-1 कुएं की 3462 मीटर गहराई तक ड्रिलिंग और 35.2 मीटर की ऑयल गैस स्ट्रेटा के विश्लेषण से हुई है. यह खोज केवल ऊर्जा संसाधन की दृष्टि से नहीं, बल्कि चीन की भू-राजनीतिक रणनीति में भी अहम मोड़ मानी जा रही है.
चीन की यह खोज ऐसे समुद्री क्षेत्र में हुई है, जहां पहले से ही वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया और ताइवान जैसे देशों के साथ उसका समुद्री क्षेत्रीय विवाद चल रहा है. अब जब इस क्षेत्र में ‘काले सोने’ का भंडार सामने आया है, चीन इसे अपने प्रभुत्व को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल कर सकता है. ये खोज चीन को तेल आयात पर निर्भरता से राहत देगी. साथ ही यह चीन को इंडो-पैसिफिक में शक्ति संतुलन बदलने का मौका भी देगी
भारत के लिए चेतावनी
भारत के लिए यह एक रणनीतिक चुनौती है. भारत की Act East Policy और Indo-Pacific Strategy प्रत्यक्ष रूप से दक्षिण चीन सागर से जुड़ी हुई हैं. इस क्षेत्र में चीन का बढ़ता प्रभाव भारत की ऊर्जा सुरक्षा, सैन्य आवाजाही और समुद्री व्यापार को प्रभावित कर सकता है. इसके लिए भारत को भी हाथ पैर मारने की जरूरत है. भारत के ONGC Videsh जैसी कंपनियों को वियतनाम और ASEAN देशों के साथ तेल खोजने की दिशा में काम करना होगा. QUAD जैसे समूहों को चीन का जवाब देने के लिए सामूहिक प्रयास करना होगा. इसके साथ ही डिफेंस और एनर्जी डिप्लोमेसी के जरिए काउंटर स्ट्रैटेजी पर जोर देना चाहिए.
चीन की ‘ऑइल डिप्लोमेसी’
चीन अब तेल के जरिए केवल अपनी अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर सामरिक नियंत्रण चाहता है. अमेरिका और जापान जैसे देश पहले ही इस क्षेत्र में नेवेल पेट्रोलिंग कर रहे हैं, लेकिन अब जरूरत है अधिक स्पष्ट और संगठित रणनीति की.चीन की इस नीति को “Oil Diplomacy” कहा जा रहा है, जिसमें ऊर्जा संसाधनों पर कब्जा,समुद्री क्षेत्र का सैन्यीकरण,व्यापार मार्गों पर नियंत्रण एक साथ चल रहे हैं. चीन की यह खोज ऊर्जा से कहीं ज्यादा है. यह उस समुद्री वर्चस्व की लड़ाई का अगला चरण है, जिसमें क्षेत्रीय ताकतों की नीतियां, सैन्य रणनीति और वैश्विक गठबंधन शामिल हैं.
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