चीन ने अपने तेजी से बढ़ते परमाणु हथियार भंडार को लेकर सफाई दी है कि यह अब भी उसकी न्यूनतम आवश्यकताओं के अनुरूप ही है. चीन ने हालांकि अमेरिका और रूस की बराबरी करने के लिए परमाणु होड़ में शामिल होने की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि वह परमाणु हथियारों की किसी दौड़ में शामिल नहीं है, बल्कि उसकी नीति न्यूनतम प्रतिरोध की है.
जानकारी के मुताबिक, चीन हर साल 100 से अधिक नए परमाणु हथियार तैयार कर रहा है और अब उसके पास कुल मिलाकर करीब 600 परमाणु हथियार हो चुके हैं.
एक स्वीडिश विचारक संस्था की ओर से सोमवार (16 जून, 2025) को जारी स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, बीजिंग ने 2023 से हर साल अपने परमाणु भंडार में 100 अतिरिक्त हथियार जोड़े हैं. उसके मुताबिक, वर्तमान में इसके पास कम से कम 600 हथियार हैं, और ऐसी आशंका है कि यह संख्या आने वाले दशक में बढ़ती रहेगी.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘चीन के पास दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ता परमाणु शस्त्रागार है जहां अधिकांश चीनी परमाणु आयुध को उनके लॉन्चर्स से अलग रखा गया है, वहीं माना जा रहा है कि चीन अब सीमित संख्या में मिसाइलों पर परमाणु हथियार तैनात करना शुरू कर रहा है- ठीक उसी तरह जैसे अमेरिका बड़े पैमाने पर करता है. सिप्री के अनुमान के मुताबिक, 132 परमाणु आयुध उन लॉन्चर्स को सौंपे गए हैं, जिन पर फिलहाल लोडिंग की प्रक्रिया जारी है.
पर्यवेक्षकों के अनुसार, चीन के बढ़ते परमाणु हथियार भंडार का भारत पर भी प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि बीजिंग का करीबी सहयोगी पाकिस्तान भी अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम में तेजी ला रहा है. एसआईपीआरआई की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने सोमवार को मीडिया वार्ता में कहा कि चीन को इस रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी नहीं करनी है.
गुओ ने दोहराया कि चीन ने सदैव आत्मरक्षा की परमाणु रणनीति का पालन किया है तथा किसी भी हथियारों की दौड़ में शामिल हुए बिना अपनी परमाणु क्षमताओं को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक न्यूनतम स्तर पर बनाए रखा है.
उन्होंने कहा कि चीन किसी भी समय, किसी भी परिस्थिति में परमाणु हथियारों का पहले प्रयोग न करने की नीति का सख्ती से पालन करता है तथा गैर-परमाणु राज्यों के खिलाफ परमाणु हथियारों का प्रयोग करने की धमकी नहीं देता है. विश्लेषकों का कहना है कि चीन अपने परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ा रहा है जिसका कारण विश्व स्तरीय सैन्य शक्ति बनना है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी तक चीन ने अपने उत्तर में तीन बड़े रेगिस्तानी क्षेत्रों और पूर्व में तीन पहाड़ी क्षेत्रों में लगभग 350 नए आईसीबीएम (अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल) साइलो (मिसाइल रखने की जगह) का निर्माण पूरा कर लिया था या पूरा करने के करीब था. हालांकि, उस तिथि तक यह स्पष्ट नहीं था कि इनमें से किसी भी आईसीबीएम इकाई की अभी तैनाती की गई थी या नहीं.
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