चीन के बांध निर्माण पर भारत-अमेरिका चर्चा करेंगे.अमेरिकी NSA अजीत डोभाल से करेंगे मुलाकात.ब्रह्मपुत्र पर बांध निर्माण पर भारत की चिंता.
वॉशिंगटन. चीन जिस तरह से लगातार बांध पर बांध बनाए जा रहा है, उससे भारत की परेशानी बढ़ रही है. और अब इसमें अमेरिका भी दखल देने लगा है. जाहिर है कि चीन का इस तरह से ऊंचाई वाले स्थान पर बांधों का निर्माण करना भारत और अमेरिका दोनों को ही रास नहीं आ रहा. यह वजह है कि भारत दौरे पर आने वाले अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जैक सुलिवन इस मुद्दे पर भी नई दिल्ली के साथ चर्चा कर सकते हैं.
अमेरिकी एनएसए जैक सुलिवन का 5-6 जनवरी को दिल्ली दौरे पर आ रहे हैं और इस बात की संभावना जताई जा रही है कि वह भारतीय अधिकारियों के साथ चीन के द्वारा बनाए जा रहे बांधों के असर पर चर्चा करेंगे. एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. वॉशिंगटन और उसके पश्चिमी सहयोगी लंबे समय से भारत को एशिया और उससे बाहर चीन के बढ़ते प्रभाव के मुकाबले एक अहम शक्ति मानते हैं.
एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने सुलिवन के दौरे से पहले कहा, “हमने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के कई स्थानों पर देखा है कि चीन की तरफ से दबनाए गए ऊपर वाले बांध, जैसे मेकोंग क्षेत्र में, निचले देशों पर पर्यावरणीय और जलवायु संबंधी गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं.” अधिकारी ने यह भी बताया कि अमेरिका इस यात्रा के दौरान उन परेशानियों पर भी बातचीत करेगा, जिससे भारत जूझ रहा है.
वहीं भारत ने एक दिन पहले शुक्रवार को तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर एक बड़ा बांध बनाने की चीन की योजना पर कहा कि वह निगरानी जारी रखेगा और अपने हितों की रक्षा के लिए जरूरी उपाय करेगा. प्रस्तावित बांध के मद्देनजर अपना पहला रिएक्शन जाहिर करते हुए नई दिल्ली ने बीजिंग से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि ब्रह्मपुत्र के ऊपरी इलाकों में गतिविधियों से नदी के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में स्थित देशों को नुकसान नहीं पहुंचे.
भारतीय सरकार ने चीन को तिब्बत में यारलुंग जांग्बो नदी पर हाइड्रोपावर डैम बनाने की योजना पर अपनी चिंताओं से अवगत कराया है. यह नदी भारत में बहती है. चीनी अधिकारियों का कहना है कि तिब्बत में हाइड्रोपावर परियोजनाओं का पर्यावरण या नीचे की ओर पानी की आपूर्ति पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा. इस डैम का निर्माण, जो अपनी तरह का दुनिया का सबसे बड़ा डैम होगा और जिसकी वार्षिक क्षमता 300 अरब किलोवाट-घंटे बिजली उत्पन्न करने की है, पिछले महीने मंजूरी दी गई थी.
एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि वॉशिंगटन को उम्मीद है कि इस दौरे के दौरान नागरिक परमाणु सहयोग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, अंतरिक्ष, सैन्य लाइसेंसिंग और चीनी आर्थिक अतिरेक जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी. एक अन्य अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि इस दौरे के दौरान अमेरिकी अधिकारी दलाई लामा से नहीं मिलेंगे.
सुलिवन, पद छोड़ने से पहले भारत की अपनी इस यात्रा के दौरान दिल्ली के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में भारत-केंद्रित विदेश नीति पर भाषण भी देंगे. नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे और उनके कार्यकाल में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का पद संभालेंगे सांसद माइकल वाल्ट्ज.
हाल के वर्षों में वॉशिंगटन और नई दिल्ली एक-दूसरे के काफी करीब आए हैं. हालांकि, कभी-कभी अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार, यूक्रेन पर मॉस्को के आक्रमण के बीच रूस के साथ नई दिल्ली के संबंध और अमेरिकी और कनाडाई धरती पर सिख अलगाववादियों के खिलाफ कथित हत्या की साजिश जैसे मुद्दों पर मतभेद भी रहे हैं.
Tags: Ajit Doval, China, United States
FIRST PUBLISHED : January 4, 2025, 17:54 IST
global politics, world politics, politics news, hindi news, latest hindi news, hindi news today, latest hindi news, oxbig, oxbig news, oxbig news network, oxbig news hindi, hindi oxbig, oxbig hindi
English News