Chinese nuclear threat: दुनिया में नंबर वन बनने की होड़ में हथियारों की होड़ भी तेज हो गई है. इस होड़ में चीन और अमेरिका सबसे आगे हैं. अमेरिका बड़ी करीबी से चीनी के बढ़ते हुए जखीरे को गिन भी रहा है. हाल ही पेंटागन की चीन पर जारी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. खुलासा दुनिया के लिए चिंता का सबब भी है. चीन अपनी न्यूक्लियर हथियारों की तादाद को बतहाशा बढ़ा रहा है. पेंटागन की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2030 आते आते चीन के पास 1000 ऑपरेशनल न्यूक्लियर हथियार होंगे. फिलहाल चीन के पास ऑपरेशनल न्यूक्लियर वॉरहेड की संख्या 600 है. यानी अगले 6 साल में 400 नए न्यूक्लियर वॉरहेड बना लेगा. 2049 तक चीन वर्ल्ड क्लास मिलिटरी बनने की कोशिश में है. रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के पास 1700 से ज्यादा न्यूक्लियर वॉरहेड तैनात है. 2000 के करीब रिजर्व में है. लेकिन चीन की रफ्तार से अमेरिका को दिक्कतें पेश आने लगी है.
चीनी रॉकेट फोर्स में इजाफा
पिछले 5 साल में चीन ने अपने परमाणु आधुनिकरण के कार्यक्रम की रफ्तार को बढ़ा दिया है. अगर चीन इसी तरह से रफ्तार बढ़ाता रहा है तो साल 2035 तक इसकी संख्या 1500 पार कर जाएगी. इस परमाणु हथियारों के जखीरे में शामिल चीन के मीडियम / इंटरमीडिएट लैंड बेस्ड बैलिस्टिक मिसाइल की संख्या तकरीबन 600 है. इसमें 2000 किलोमीटर मार करने वाली DF-21A/E, 4000 किलोमीटर मार करने वाली DF-26 मिसाइल, ICBM में 12000 किलोमीटर रेंज वाली DF-5A, 13000 किलोमीटर रेंज वाली DF-5B, DF-5C मिसाइल मौजूद है. इसके अलावा DF-27 मारक क्षमता 5000 से 8000 किलोमीटर, DF-31 मारक क्षमता 7200 किलोमीटर, DF-31A मारक क्षमता 11200 किलोमीटर, DF-31AG मारक क्षमता 11200 किलोमीटर, DF-41 मारक क्षमता 12000 किलोमीटर है. सबमरीन से लॉंच होने वाली तकरीबन 72 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइल जिसमें JL-2 मारक क्षमता 7000 किलोमीटर से ज़्यादा और JL-3 इसकी मारक क्षमता 9000 किलोमीटर से ज़्यादा दूर तक मार करने की क्षमता है. एयरक्रफ्ट से दागे जाने वाले परमाणु हथियार H-6K और H-6N. यह 3100 किलोमीटर से ज्यादा मार कर सकती है.
मिसाइल बेस की भरमार
PLA रॉकेट फोर्स 9 बेस को कंट्रोल करता है. इसमें से 6 बेस मिसाइल ऑप्रेशन के लिए (बेस 61 से बेस 66) , एक बेस सेंट्रल न्यूक्लियर वॉरहेड के भंड़ार(बेस 67), एक बेस (68 बेस) इंफ़्रास्ट्रक्चर को मेंटेन और एक बेस (69 बेस) ट्रेनिंग और मिसाइल टेस्ट के लिए है. हर ऑप्रेटिंग बेस में 6-8 मिसाइल ब्रिगेड हैं. लगातर बढ़ रहे परमाणु हथियारों के जखीरे के चलते ब्रिगेड की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है. एक स्टडी के मुताबिक इस वक्त चीनी पीएलए रॉकेट फोर्स के पास 45 मिसाइल ब्रिगेड है. यह बेलिस्टक और क्रूज लॉंचर से लैस है.
मिसाइल साइलो को बढ़ा रहा है चीन
मिसाइल साइलो मतलब मिसाइल को लॉंच करने वाला अंडरग्राउंड फ़ैसिलिटी होता है. जमीन के अंदर सिलेंडर ट्यूब स्ट्रकचर होते है. इसमें इंटर कॉंटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBMs), इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (IRBM), मीडियम रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (MRBM) और एंटी बैलिस्टिक मिसाइल (ABM) को लॉंच करने और उन्हें स्टोर करने के लिए होते है. कुल 350 नए मिसाइल साइलो का निर्माण कर रहा है. जिसमें नॉर्थ चाइना के 3 रेगिस्तान के इलाक़े Yumen , Hami और Yulin साइलों फील्ड में तकरीबन 320 नए मिसाइल साइलो को तैयार कर रहा है. 30 नए साइलो को सेंट्रल इंस्ट्रन चाईना के की पहाड़ी इलाके में बना रहे है. नॉर्थ चीन में बन रहे 3 मिसाइल कॉम्प्लेक्स को सैटेलाइटों की नजर से बचाने के लिये एयरडोम से छिपाया गया है. युमेन (Yumen) साइलो फील्ड वेस्टर्न मिलेट्री डिस्ट्रिक्ट के Gansu प्रांत 1110 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इस साइलो फील्ड में 120 साइलो मौजूद हैं. हामी साइलों फ़ील्ड (Hami silo field ) भी चीन के वेस्टर्न मिलट्री डिस्ट्रिक्ट के इस्ट शिंगजियान में मौजूद है. 1028 वर्ग किलोमीटर में फैले इस कॉंप्लेक्स में 110 मिसाइल साइलों का निर्माण एडवांस फेज में है. तीसरे यूलिन साइलो फील्ड ( yulin silo field) कॉंप्लेक्स 832 वर्ग किलोमीटर एरिया में फैला है. यहां 90 मिसाइल साइलो बनाए जा रहे है. बहरहाल दुनिया के तमाम देशों पर तो चीन का खतरा मंडरा ही रहा है. इस खतरे से सबसे ज्यादा परेशानी में अमेरिका है.
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FIRST PUBLISHED : December 26, 2024, 12:35 IST
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