Last Updated:July 18, 2025, 15:53 IST
Coca-Cola Sweetener: डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में कोक को अब कार्न की चीनी की बजाय गन्ने की चीनी के बजाय गन्ने की चीनी से बनाने को कहा है. अमेरिका से लेकर यूरोप तक में साफ्ट ड्रिंक में कॉर्न शुगर का ही इस्तेमाल …और पढ़ें
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 2018 में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें सत्र में विश्व नेताओं के लिए आयोजित लंच के दौरान अपने वाइन ग्लास से डाइट कोक की चुस्की लेते हुए.
हाइलाइट्स
- कोका-कोला अब गन्ने से बनी चीनी का करेगा इस्तेमाल
- डोनाल्ड ट्रंप ने कोका-कोला से इस मामले में सहमति ली
- एचएफसीएस की जगह गन्ने की चीनी का उपयोग हेल्थ के लिए बेहतर
कोका-कोला के मूल फॉर्मूले में मिठास के लिए गन्ने की चीनी का प्रयोग किया जाता था. यह प्रथा 20वीं सदी तक जारी रही. लेकिन 1970 के दशक के अंत और 1980 के दशक के शुरुआत में कुछ वजहों से अमेरिकी कोल्ड ड्रिंक्स को मीठा करने के तरीके में बदलाव आया. बढ़ते वैश्विक चीनी बाजार, आयातित चीनी पर अमेरिकी सरकार के कोटा और टैरिफ. घरेलू मक्के के लिए बढ़ती सब्सिडी ने ऐसा माहौल बनाया, जहां एचएफसीएस एक सस्ता विकल्प बनकर उभरा. 1984 तक कोका-कोला ने अमेरिका में एचएफसीएस का इस्तेमाल पूरी तरह से अपना लिया था. लेकिन डाइट कोका-कोला जैसे वेरिएंट्स में अलग प्रकार के ऑर्टिफिशियल स्वीटनर (जैसे एस्पार्टेम) का इस्तेमाल किया जाता है.
‘मैक्सिकन कोक’ की चाहत
एचएफसीएस अमेरिका में स्टैंडर्ड स्वीटनर बना रहा. जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेचे जाने वाले कोका-कोला उत्पादों में गन्ने की चीनी का इस्तेमाल जारी रहा. मेक्सिको जैसे देशों में जहां चीनी पर शुल्क कम प्रतिबंधात्मक हैं और मक्का पर सब्सिडी उतनी प्रचलित नहीं है. कोका-कोला ने अपना मूल गन्ना चीनी फॉर्मूला बरकरार रखा. समय के साथ ‘मेक्सिकन कोक’ अमेरिका में उन उपभोक्ताओं के लिए एक पसंदीदा उत्पाद बन गया जो मानते थे कि इसका स्वाद बेहतर है. गन्ने से बनी चीनी आमतौर पर मिठास में मानक मानी जाती है. लेकिन कॉर्न से बने एचएफसीएस नामक स्वीटनर को विशेष रासायनिक और एंजाइमेटिक प्रक्रिया से बनाया जाता है. जिसकी मिठास अक्सर गन्ने की चीनी से अधिक होती है.
एचएफसीएस बनाने के लिए सबसे पहले मक्का से स्टार्च निकाला जाता है. हाइड्रोलिसिस या एंजाइमेटिक नामक इस प्रक्रिया में स्टार्च को एसिड हाइड्रोलिसिस या फिर ऐमाइलेज और अन्य एंजाइमों की सहायता से ग्लूकोज सिरप में बदला जाता है. इसके बाद एक और एंजाइम ग्लूकोज आइसोमर्स जोड़ा जाता है, जिससे ग्लूकोज का कुछ हिस्सा फ्रुक्टोज में बदल जाता है. फ्रुक्टोज की मिठास ग्लूकोज या सक्रोज से अधिक होती है. एचएफसीएस की मिठास गन्ने की चीनी (सक्रोज) से भी तेज महसूस होती है. यही वजह है कि पेय पदार्थ, मिठाइयों और प्रोसेस्ड फूड्स में इसका खूब इस्तेमाल होता है.
एचएफसीएस का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है. सॉफ्ट ड्रिंक जैसे कोका-कोला, पेप्सी और अन्य सोडा में एचएफसीएस का सबसे अधिक इस्तेमाल होता है. खासकर अमेरिका और कई पश्चिमी देशों में सोया सॉस, टोमैटो सॉस, कैचप, सलाद ड्रेसिंग, आइसक्रीम, बेकरी प्रोडक्ट्स, डोनट्स, केक, कुकीज, ब्रेड, ब्रेकफास्ट सीरियल में एचएफसीएस-42 का इस्तेमाल होता है. इसके अलावा डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे फ्लेवर्ड योगर्ट, दही, जेली, जैम, जैली फिलिंग, कैंडीज और बार्स में यह पड़ता है. एचएफसीएस की लोकप्रियता का मुख्य कारण इसकी कम लागत, ह्यूमेक्टेंट प्रॉपर्टीज (नमी पकड़ना) और स्वाद के अलावा शेल्फ लाइफ बढ़ाना भी है. यही वजह है कि यह कई ‘नॉन-डेजर्ट’ फूड्स (जैसे ब्रेड या सॉस) में भी उपयोग होता है.
ये नुकसानदायक है या फायदेमंद
एचएफसीएस सेहत के नजरिए से नुकसानदायक मानी जाती है. इसका सेवन कैलोरी की अधिकता और भूख के नियंत्रण में बाधा डाल सकता है. जिससे वजन तेजी से बढ़ता है और मोटापा जैसी समस्या हो सकती है. एचएफसीएस आपके शरीर में ग्लूकोज और इंसुलिन के सामान्य नियंत्रण को बिगाड़ सकता है और डायबिटीज होने का जोखिम बढ़ा सकता है. इसमें मौजूद फ्रुक्टोज सीधे लिवर में मैटाबोलाइज होता है, जिससे फैटी लिवर, नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज, स्टीटोहेपेटाइटिस और लिवर डैमेज की आशंका बढ़ती है.
दिल की बीमारियों का खतरा
फ्रुक्टोज से शरीर में ट्राइग्लिसराइड की मात्रा और सूजन बढ़ सकती है. जिससे दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ता है. रिसर्च में यह भी पाया गया कि एचएफसीएस जैसी अतिरिक्त चीनी का अत्यधिक सेवन कैंसर और कई पुरानी बीमारियों की आशंका बढ़ा देता है. हाई फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप का सेवन डायबिटीज का एक बड़ा कारण बन सकता है. ये हाई फ्रुक्टोज कई लिवर डिसऑर्डर का भी कारण हो सकता है. ये मोटापा बढ़ाता है. वेब एमडी डॉट कॉम के अनुसार हाई-फ्रक्टोज कॉर्न सिरप और शुगर दोनों ही हेल्थ के लिए बराबर नुकसानदायक हैं.”
कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि एचएफसीएस और सामान्य चीनी (सक्रोज) दोनों का असर शरीर पर लगभग एक जैसा ही होता है. लेकिन एचएफसीएस प्रोसेस्ड फूड में छुपा होता है. इसकी खपत अनजाने में ज्यादा हो जाती है, जिससे स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाते हैं. एचएफसीएस का कोई सीधा पोषण लाभ नहीं है. यह सिर्फ स्वाद, बनावट और खाद्य उत्पाद की शेल्फ लाइफ को बेहतर बनाता है. न कि आपके शरीर को किसी जरूरी पौष्टिकता या फायदेमंद तत्व देता है.
भारत में कोका-कोला मुख्य रूप से गन्ने की चीनी से बनाई जाती है. कोका-कोला का विश्व स्तर पर सूत्र एक जैसा रहता है, लेकिन जो सबसे महत्वपूर्ण अंतर है वह स्वीटनर के प्रकार में है. भारत सहित अधिकांश एशियाई और अन्य विकासशील देशों में गन्ने से निकाली गई सामान्य सफेद चीनी (सक्रोज) का उपयोग किया जाता है. भारत में तैयार की जाने वाली कोका-कोला की बोतलें स्थानीय स्तर पर उपलब्ध गन्ने की चीनी से तैयार की जाती हैं. जिस कारण इसका स्वाद अमेरिकी वर्जन से थोड़ा अलग महसूस होता है.
क्या प्रभाव पड़ेगा मक्का लॉबी पर?
ट्रंप के हस्तक्षेप के व्यापक परिणाम हैं जो कोल्ड ड्रिंक्स बनाने से कहीं आगे तक पहुंचते हैं. एचएफसीएस मक्के से प्राप्त होता है, जो एक ऐसा उद्योग है जो मध्य-पश्चिमी राज्यों आयोवा, इलिनोइस और नेब्रास्का में मुख्य रूप से केंद्रित है. ये राज्य कृषि नीति और राष्ट्रपति पद की राजनीति दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. आर्चर डेनियल्स मिडलैंड (एडीएम) और इंग्रीडियन जैसे मक्का रिफाइनर दशकों से कृषि सब्सिडी और अनुकूल कानून से लाभान्वित हुए हैं. ट्रंप की घोषणा से वित्तीय बाजारों में तत्काल हलचल मच गई. कारोबार के बाद एडीएम और इंग्रीडियन के शेयरों में क्रमशः 6.3 प्रतिशत और 8.9 प्रतिशत की गिरावट आई.
अमेरिका को फिर से स्वस्थ बनाना है
ट्रंप की घोषणा अमेरिकी सचिव रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर के अधीन उनके स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग के लक्ष्यों को पूरा करती है. उन्होंने अमेरिका को फिर से स्वस्थ बनाएं नारे के तहत एक अभियान शुरू किया है. इस पहल का उद्देश्य खाद्य, जल और पर्यावरण सुरक्षा में परिवर्तन के माध्यम से दीर्घकालिक बीमारियों से निपटना है. विशेष रूप से सिंथेटिक और प्रोसस्ड चीजों को कम करने पर ध्यान केंद्रित करना है. इस पहल का उद्देश्य “सुरक्षित, पौष्टिक भोजन, स्वच्छ जल और पर्यावरणीय विषाक्त पदार्थों के उन्मूलन पर ध्यान केंद्रित करके अमेरिका की दीर्घकालिक बीमारी की महामारी को समाप्त करना है.”
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