Last Updated:March 30, 2025, 14:52 IST
India-US Civil Nuclear Deal: भारत-अमेरिका के बीच दो दशक के बाद असैन्य परमाणु समझौता हुआ है. इस सझौते के तहत होलटेक इंटरनेशनल को भारत में परमाणु रिएक्टर बनाने की जिम्मेदारी दी गई है. होलटेक के प्रमुख केपी सिंह ब…और पढ़ें
केपी सिंह की कंपनी को भारत में परमाणु रिएक्टर बनाने की जिम्मेदारी दी गई है.
हाइलाइट्स
- भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता हुआ.
- होलटेक इंटरनेशनल को भारत में रिएक्टर बनाने की जिम्मेदारी.
- होलटेक के प्रमुख बिहार के केपी सिंह हैं.
India-US Civil Nuclear Deal: दो दशक के बाद भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता हुआ है. अमेरिकी ऊर्जा विभाग (डीओई) ने इस डील को हरी झंडी दिखा दी है. अमेरिकी कंपनी को भारत में परमाणु रिएक्टरों के निर्माण और डिजाइन की जिम्मेदारी दी गई है. डीओई ने 26 मार्च को इसकी मंजूरी दी. भारत में परमाणु रिएक्टर बनाने के लिए होलटेक इंटरनेशनल कंपनी को जिम्मेदारी दी गई है. यानी कि भारत में जो भी परमाणु रिएक्टर बनाए जाएंगे उसका निर्माण यहीं कंपनी करेगी. अमेरिका से इस समझौते को 10सीएफआर810 भी कहा जाता है.
आपको बता दें कि होलटेक के पास परमाणु रिएक्टर बनाने के राइट्स हस्तनांतरित के भी अधिकार हैं. यह भारत में तीन फर्मों को होलटेक एशिया; टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स लिमिटेड और लार्सन एंड टूब्रो लिमिटेड को छोटे परमाणु रिएक्टर बनाने का अधिकार दे सकती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि होलटेक इंटरनेशनल के प्रमुख भारतवंशी केपी सिंह हैं. भारत में पढ़े लिखे केपी सिंह की कंपनी को ही भारत में परमाणु रिएक्टर बनाने की अहम जिम्मेदारी दी गई है. चलिए आपको बताते हैं केपी सिंह के बारे में-
भारत के रहने वाले केपी सिंह
कृष्णा पी. सिंह एक भारतीय-अमेरिकी उद्यमी, इंजीनियर और होल्टेक इंटरनेशनल (Holtec International) के संस्थापक, अध्यक्ष और सीईओ हैं. वे एक विख्यात वैज्ञानिक और आविष्कारक हैं. उन्होंने न्यूक्लियर ऊर्जा और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई है. कृष्णा पी. सिंह मूल रूप से बिहार के बरहिया के रहने वाले हैं. अपनी मेहनत और लगन से वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनाई. 2024 के डाटा के अनुसार उनकी नेट वर्थ 1710779000000 रुपये यानी कि 20 बिलियन डॉलर है
पढ़ाई
केपी सिंह रांची विश्वविद्यालय के बीआईटी सिंदरी (BIT Sindri) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीएस (बैचलर ऑफ साइंस) की डिग्री हासिल की.
इसके बाद, वे उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका गए और 1969 में यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया (पेन) से इंजीनियरिंग मैकेनिक्स में एमएस (मास्टर ऑफ साइंस) और 1972 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी पूरी की. सिंह ने 1974 को मार्था जे. ट्रिम्बल से शादी रचाई थी. उनके दो बच्चों में एक बेटी 38 साल की एमी एक 35 साल का बेटा कृष्णा पी. सिंह जूनियर है.
फिर रखी होल्टेक की नींव
शादी के 12 साल बाद यानी कि 1986 में न्यू जर्सी के माउंट लॉरेल होल्टेक इंटरनेशनल की नींव डाली. यह कंपनी आज न्यूक्लियर और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में जानी मानी कंपनी है. शुरू के दौर में ये कंपनी न्यूक्लियर रिएक्टरों के लिए पार्ट्स डिज़ाइन और निर्माण, स्पेंट न्यूक्लियर फ्यूल (उपयोग किए गए ईंधन) के प्रबंधन के लिए उपकरण, और ड्राई कास्क स्टोरेज कंटेनर बनाती थी.
न्यूक्लियर प्लांट बनाने के क्षेत्र में कदम
धीरे-धीर होल्टेक ने अपने पंख पसारने शुरू किए. अब यह पूरी दुनिया में 140 से अधिक न्यूक्लियर प्लांट्स और उनके उपकरण सप्लाई करता है. इस कंपनी के ऑपरेशनल सेंटर्स- न्यू जर्सी, फ्लोरिडा, ओहियो, और पेनसिल्वेनिया में हैं. इसका वैश्विक कारोबार ब्राजील, भारत, जापान, मैक्सिको, पोलैंड, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, यूके, और यूक्रेन में फैला हुआ है. बता दें कि होल्टेक ने स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) तकनीक में भी निवेश किया है, जैसे SMR-160 और SMR-300, जो सुरक्षित और किफायती न्यूक्लियर ऊर्जा का भविष्य माने जाते हैं.
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