Bangladesh-Pakistan Relations : बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता के पतन के बाद पाकिस्तान को फायदे का रास्ता दिखाई दे रहा है. पाकिस्तान बांग्लादेश के साथ एक बार फिर से अपने पुराने संबंधों को सुधारने की कोशिश में लगा हुआ है. पाकिस्तान का ध्यान इस बार मुख्य रूप से व्यापार, संस्कृति और खेल पर है. लेकिन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI बांग्लादेश में फिर से एक बार सक्रिय होने की ताक में है. जो कि भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है.
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने गुरुवार (19 दिसंबर) को काहिरा में आयोजित डी-8 शिखर सम्मेलन के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात की. इस दौरान दोनों ने व्यापार, संस्कृति और खेले प्रतिनिधिमंडलों के लेन-देन के जरिए संबंधों को फिर से मजबूत करने पर सहमति जताई.
वहीं, मोहम्मद यूनुस और शहबाज शरीफ ने सार्क को फिर से सक्रिय करने की संभावना पर भी चर्चा की. हालांकि इस कदम के आगे बढने की ज्यादा संभावना नहीं है, क्योंकि भारत को इस विचार में कोई खास रुचि नहीं है.
1971 के लंबित मुद्दों को सुलझाने की पहल
बांग्लादेश की सरकारी समाचार एजेंसी बांग्लादेश संघबाद संगठन (BSS) ने जानकारी देते हुए बताया कि बांग्लादेश में जब शेख हसीना की सत्ता थी, तब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से कभी-कभी इस बारे में बातचीत होती थी. हालांकि इसे लेकर कोई व्यक्तिगत मुलाकात नहीं हुई. वहीं, अब बांग्लादेश की ओर से मोहम्मद यूनुस ने भविष्य की पीढ़ियों के लिए पाकिस्तान के साथ 1971 के लंबित मुद्दों को हमेशा के लिए सुलझाने की बात कही है.
मोहम्मद यूनुस की पहल पर क्या बोला पाकिस्तान?
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से 1971 के मुद्दों को सुलझाने का आग्रह किया. यूनुस ने कहा, ‘ये मुद्दे बार-बार आते रहे हैं. आइए हम उन मुद्दों को सुलझा लें ताकि हम आगे बढ़ सकें.’ इस पर शरीफ ने कहा, ‘बांग्लादेश, पाकिस्तान और भारत के बीच 1974 के त्रिपक्षीय समझौते से मामले सुलझ गए हैं, लेकिन अगर कोई मुद्दा लंबित है तो उन्हें इस पर विचार करने में खुशी होगी.’
बांग्लादेश में भारत के लिए बढ़ सकता है खतरा
सूत्रों के मुताबिक, शेख हसीना के शासन से हटते ही पाकिस्तान ने बांग्लादेश से अपने संबंध सुधारने की कोशिशों को तेज कर दिया है. जिससे कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI भी सक्रिय हो गई है. यह नेटवर्क भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और पश्चिम बंगाल की सुरक्षा के नजरिए से गंभीर खतरा पैदा कर सकता है.
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