Bangladesh Judges: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने रविवार (5 जनवरी) को भारत में नियोजित न्यायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम को रद्द करने की घोषणा की है. इस कार्यक्रम के तहत अगले महीने 10 फरवरी को 50 बांग्लादेशी जजों और न्यायिक अधिकारियों को मध्य प्रदेश में स्थित भारत की राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी में ट्रेनिंग हासिल करना था. बांग्लादेश के कानून मंत्रालय द्वारा इस फैसले की पुष्टि की गई, हालांकि रद्दीकरण के कारणों के बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई. स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, यह फैसला बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के तहत लिया गया है.
कार्यक्रम के तहत बांग्लादेश के 50 जज भारत जाकर एक दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लेने वाले थे. इन ट्रेनिंग कैंपेन में जिला और सत्र न्यायाधीश, अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश, संयुक्त जिला न्यायाधीश, वरिष्ठ सहायक न्यायाधीश और सहायक न्यायाधीश शामिल थे. इस कार्यक्रम का पूरा खर्च भारतीय सरकार को वहन करना था.
कार्यक्रम को रद्द करने की वजह
हालांकि कार्यक्रम से जुड़े अधिसूचना में कोई विशेष कारण नहीं दिया गया, रिपोर्टों के अनुसार यह बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के तहत किया गया है. इस फैसले के पीछे भारत और बांग्लादेश के बीच हाल के महीनों में बढ़ते तनाव को भी एक संभावित कारण के रूप में देखा जा रहा है.
भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में तनाव का कारण
2024 में बांग्लादेश में छात्र-नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना की 16 वर्षों की सरकार गिर गई, जिसके बाद हसीना ने भारत में शरण ली. यह राजनीतिक अस्थिरता भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में तनाव का कारण बनी, क्योंकि भारत हसीना सरकार का प्रमुख सहयोगी था. मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद से दोनों देशों के बीच संबंधों में और भी तनाव बढ़ गया है.
भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते तनाव
मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद से भारत ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों को लेकर अपनी चिंता जताई है. कई हिंदू पूजा स्थलों और समुदायों पर हमले हुए हैं, जिससे दोनों देशों के बीच की खाई और बढ़ी है. भारत ने हाल ही में एक हिंदू भिक्षु की गिरफ्तारी और उसे जमानत न दिए जाने को लेकर भी अपनी नाराजगी व्यक्त की थी. बांग्लादेश में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव और हिंदू समुदाय पर हो रहे हमलों को लेकर भारत लगातार ढाका के साथ अपनी चिंताओं को साझा करता रहा है. इन घटनाओं के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव और बढ़ गया है.
न्यायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के रद्द होने का क्या अर्थ है?
न्यायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का रद्द किया जाना भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते तनाव का संकेत देता है. दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक रूप से जटिल संबंध रहे हैं, और इस निर्णय से यह संकेत मिलता है कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार अपनी राजनीतिक दिशा में बदलाव ला रही है, खासकर भारत से दूरी बनाते हुए.
न्यायपालिका और द्विपक्षीय सहयोग पर असर
ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम दोनों देशों के बीच कानूनी विशेषज्ञता साझा करने और द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के साधन के रूप में देखे जाते हैं. बांग्लादेश द्वारा इस कार्यक्रम को रद्द करने से न्यायिक आदान-प्रदान और दोनों देशों के बीच अन्य सहयोगात्मक प्रयासों पर प्रभाव पड़ सकता है.
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