Bangladesh Travel Ban On Israel: बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने एक बड़ा कूटनीतिक और राजनीतिक फैसला लेते हुए बांग्लादेशी नागरिकों के इजरायल यात्रा पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया है. इस फैसले के तहत अब बांग्लादेशी पासपोर्ट पर लिखा जाएगा कि यह पासपोर्ट दुनिया के सभी देशों के लिए मान्य है, सिवाय इजरायल के.
यह क्लॉज 2021 से पहले भी पासपोर्ट में होता था, लेकिन प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने इसे हटा दिया था. चार साल बाद यह नीति फिर से लागू कर दी गई है.गृह मंत्रालय की उप सचिव नीलिमा अफरोज ने बताया कि 7 अप्रैल 2024 को पासपोर्ट विभाग को आधिकारिक निर्देश जारी कर दिया गया है.
क्यों लिया गया ये फैसला?
बांग्लादेश में हाल के महीनों में गाजा में इजरायली हमलों के विरोध में उग्र प्रदर्शन देखने को मिले हैं. खासकर ढाका यूनिवर्सिटी और सोहरावर्दी पार्क जैसे इलाकों में लाखों की भीड़ इजरायल के खिलाफ विरोध दर्ज करा चुकी है.कई शहरों में इजरायली उत्पाद बेचने वाले स्टोर पर हमले हुए हैं.दक्षिणपंथी धार्मिक गुटों ने सरकार पर इजरायल के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने का दबाव डाला है.ढाका में इजरायल के खिलाफ दो विशाल विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं, जिससे अंतरिम सरकार की चिंता बढ़ गई है.इन जनभावनाओं के दबाव और राजनीतिक स्थिरता के मद्देनजर, यूनुस सरकार ने यह कठोर फैसला लिया है.
पासपोर्ट में बदलाव
पासपोर्ट में ‘इजरायल को छोड़कर’ क्लॉज जोड़ना बांग्लादेश के नागरिकों के लिए कई प्रभाव लेकर आता है:इजरायल की यात्रा करने वाले नागरिक कानूनी कार्रवाई के पात्र हो सकते हैं.इस नियम के उल्लंघन को राष्ट्रविरोधी कृत्य माना जा सकता है.इजरायल-बांग्लादेश के रिश्तों में किसी भी प्रकार की सुधार की संभावना अब और कम हो गई है. बांग्लादेश खुद को मुस्लिम दुनिया में इजरायल विरोधी नेतृत्व के रूप में पेश करने की कोशिश करता है.
2021 की छूट और उसका महत्व
शेख हसीना की सरकार ने 2021 में पासपोर्ट से यह प्रतिबंध हटा दिया था. इसे बांग्लादेश की ओर से एक समावेशी और उदार अंतरराष्ट्रीय नीति के संकेत के रूप में देखा गया था.इजरायल के साथ बैक-चैनल डिप्लोमेसी के संकेत भी मिले थे, लेकिन मौजूदा प्रदर्शनों और गाजा संकट के चलते यह उदारता अब वापिस ले ली गई है.
गाजा संकट का प्रभाव
गाजा पट्टी में अक्टूबर 2023 से जारी संघर्ष में अब तक 50,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. बांग्लादेश में यह एक मर्मस्पर्शी मुद्दा बन चुका है. सोशल मीडिया पर #FreePalestine जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं.गाजा में बच्चों और महिलाओं की मौत की खबरों ने जन आक्रोश को और गहरा किया है. इस वजह से सरकार पर नीतिगत बदलाव का दबाव दिनों-दिन बढ़ता गया.
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