Bangladesh Hindu woman Raped: बांग्लादेश के कुमिला जिले में 26 जून 2025 को जो कुछ हुआ, उसने पूरी मानवता को झकझोर कर रख दिया. एक 21 वर्षीय हिंदू महिला का उसके स्थानीय नेता ने रेप किया. महिला का पति विदेश में काम करता है, इसलिए वह अपने बच्चों के साथ अपने पैतृक घर में रह रही थी. इस दर्दनाक घटना की भयावहता तब और बढ़ गई जब महिला का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें वह निर्वस्त्र थी, बुरी तरह से पीटी जा रही थी और लोगों से मिन्नतें कर रही थी.
मुख्य आरोपी 36 वर्षीय फजोर अली कुमिला जिले का एक स्थानीय राजनीतिक नेता है. पुलिस ने उसे ढाका के सईदाबाद इलाके से गिरफ्तार किया है. इसके अलावा चार अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है, जिन्होंने पीड़िता की पहचान और वीडियो सोशल मीडिया पर डाला था. हालांकि इस मामले में पुलिस की निष्क्रियता भी सवालों के घेरे में है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, जब स्थानीय लोगों ने आरोपी को पकड़कर पीटा, तब उसे पुलिस के हवाले करने के बजाय अस्पताल ले जाया गया, जहां से वह भाग निकला. पुलिस की कार्रवाई तब शुरू हुई जब वीडियो वायरल हुआ और देशभर में आक्रोश फूट पड़ा.
Urgent protest march by Hindu students at Dhaka University after the horrific rape of a Hindu girl in Muradnagar, Comilla last night. The Islamist rapist must face justice and the harshest punishment. Silence is not an option! #StopHinduGenocideInBangladesh #JusticeForHindus pic.twitter.com/yAaGGkm82f
— Voice of Bangladeshi Hindus 🇧🇩 (@VHindus71) June 29, 2025
छात्रों का उग्र प्रदर्शन
ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों ने सबसे तीव्र प्रतिक्रिया दी. जगन्नाथ हॉल, जो मुख्यतः अल्पसंख्यक छात्रों का छात्रावास है, वहां के छात्रों ने न्याय की मांग करते हुए मार्च निकाला. “Students Against Discrimination” नामक मंच ने इस विरोध को संगठित किया और सरकार से सीधी कार्रवाई की मांग की. अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा के बढ़ते मामलों ने न केवल छात्रों को बल्कि पूरे समाज को झकझोर दिया है. मार्च में ‘न्याय दो या सत्ता छोड़ो’ जैसे नारों की गूंज सुनाई दी.
न्यायपालिका और राजनीतिक प्रतिक्रिया
बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को आदेश दिया कि वायरल वीडियो को सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से हटाया जाए और पीड़िता को तत्काल सुरक्षा और इलाज मुहैया कराई जाए. बीएनपी महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की, वहीं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे साजिब वाजेद ने यूनुस प्रशासन को पिछले 11 महीनों में बढ़ी हिंसा का दोषी ठहराया.
हसीना सरकार का पतन और अल्पसंख्यकों पर असर
2024 में अगस्त महीने में शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को छात्रों के आंदोलन के कारण इस्तीफा देना पड़ा था. इसके बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार की बागडोर संभाली थी, लेकिन तब से अब तक बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं. अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर अत्याचार का यह ताजा मामला केवल एक घटना नहीं, बल्कि एक सामाजिक संकट का संकेत है.
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