कोई देश से भागा तो कोई बांग्लादेश में ही छुपा, आवामी लीग लीडर्स ने बताया किस बात का है इंतजार

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Bangladesh: बांग्लादेश में पिछले साल हुए तख्ता पलट के बाद वहां आवामी लीग पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की हालत क्या है, यह दुनिया से छुपी नहीं है. बड़े नेताओं में से तो एक तिहाई नेता जेल में है, एक तिहाई नेताओं को देश छोड़ना पड़ा है और एक तिहाई नेता बांग्लादेश में ही छुपे हुए हैं. इन नेताओं के घर और प्रापर्टी को या तो लूट लिया गया या जला दिया गया. अब ये नेता अपने देश में फिर से कानून व्यवस्था लौटने का इंतजार कर रहे हैं. अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ से बातचीत में कई आवामी लीग के बड़े नेताओं ने यह बात कही है.

शेख हसीना सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री मोहामल हक़ (78 वर्ष) बताते हैं, ‘आवामी लीग के हजारों कार्यकर्ताओं को घर छोड़ना पड़ा है. वे छुपे हुए हैं. लगातार अपनी जगह बदल रहे हैं. न उनके पास पैसा है और न ही खाना. फिर भी सभी को कहीं न कहीं उम्मीद बाकी है.’ वह बताते हैं कि वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि हम सभी को 26 मार्च के दिन बांग्लादेश के स्वतंत्रता दिवस पर अपने वतन लौटना चाहिए.

‘वाट्सएप पर होती है चर्चा’
आवामी लीग के 44 वर्षीय सांसद नाहिम रज्जाक बताते हैं कि आवामी लीग के नेताओं की लगभग सभी जमानता याचिकाएं खारिज कर दी गई हैं. फिलहाल हमारे पास कोई न्यायिक अधिकार नहीं है. हमें पता है कि अगर हम वहां वापस गए और दोबारा चुनाव की मांग की तो हम सभी को अनिश्चितकाल के लिए जेल में डाल दिया जाएगा. रज्जाक कहते हैं कि हम लोगों के बीच यह चर्चा लगातार हो रही है कि आखिर कैसे आवामी लीग को बचाया जाए. यह बातचीत 30-40 सांसदों और पूर्व मंत्रियों के बीच वाट्सएप पर होती है.

‘कानून के लौटने का इंतजार’
पूर्व सांसद और आवामी लीग के जॉइंट सेक्रेटरी ए एफ एम बहुद्दीन नसीम बताते हैं कि उन्हें रोजाना पार्टी कार्यकर्ताओं के 200 से 300 कॉल आते हैं. वह कहते हैं, ‘मैं छुपा हुआ हूं लेकिन मैं नेताओं और कार्यकर्ताओं से किसी न किसी माध्यम से जुड़ा हुआ हूं. एक बार वहां कानून स्थापित हो जाए तो हम आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं.’

‘शेख हसीना नेता और कार्यकर्ताओं के सम्पर्क में है’
पूर्व सांसद पंकज नाथ कहते हैं कि शेख हसीना भी पार्टी नेताओं से लगातार संपर्क में हैं. वह कई वाट्सएप समूहों के जरिए पार्टी कार्यकर्ताओं को संदेश भेजती रहती हैं. वह बांग्लादेश में छुपे हुए अपने नेताओं से भी लगातार वहां के हालातों की जानकारी लेती रहती हैं.

इस फेहरिस्त में कई नाम हैं, जो बांग्लादेश में शांति बहाल होने का रास्ता देख रहे हैं. सभी नेताओं को उम्मीद हैं कि एक बार फिर ऐसा वक्त आएगा जब वे बांग्लादेश की सड़कों पर आजादी के साथ घूम सकेंगे.

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