यूनुस ने ‘चिकेन नेक’ पर की टिप्पणी, तो गुस्से से लाल हो गए असम के सीएम, दे दिया बड़ा बयान

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यूनुस ने ‘चिकेन नेक’ पर की टिप्पणी, तो गुस्से से लाल हो गए असम के सीएम, दे दिया बड़ा बयान

Assam’s CM on Mohammed Yunus Statement : बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने भारत के चिकेन नेक कॉरिडोर को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. अब असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार (1 अप्रैल) को यूनुस के बयान की कड़ी निंदा की है. मोहम्मद यूनुस ने दावा किया कि बांग्लादेश इस इलाके के लिए हिंद महासागर का एक इकलौता संरक्षक है. मोहम्मद यूनुस ने भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को चारों ओर से जमीन के घिरा हुआ कहा, जिसे असम के मुख्यमंत्री ने आक्रामक बताया है.

यूनुस के बयान पर गुस्से से लाल हो गए सरमा

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के दिए बयान पर असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा गुस्से से लाल हो गए. मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक लंबा पोस्ट लिखा. अपने पोस्ट में मुख्यमंत्री ने मोहम्मद यूनुस के बयान की कड़ी निंदा की है.

उन्होंने  कहा, “बांग्लादेश के तथाकथित अंतरिम सरकार के मोहम्म्द यूनुस की ओर से दिया गया बयान बहुत ही निंदनीय और अपमानजनक है. उन्होंने भारत के सात पूर्वोत्तर राज्यों को धरती से घिरा हुआ और बांग्लादेश को हिंद महासागर के एकमात्र संरक्षक के तौर पर बताया. यूनुस का यह बयान भारत के रणनीतिक ‘चिकन नेक’ कॉरिडोर की संवेदनशीलता को उजागर करता है.”

मोहम्मद यूनुस की बयानों को हल्के में नहीं लेना चाहिए- सरमा

सीएम हिमंत ने कहा, “ऐतिहासिक रूप से भारत के भीतर के कई आंतरिक तत्वों ने भी चिकन नेक कॉरिडोर को काटकर भारत के उत्तर-पूर्वी भाग को देश की मुख्यभूमि से अलग करने जैसे खतरनाक सुझाव दिए हैं. ऐसी चुनौतियों को ध्यान में रखकर इस अत्यंत महत्वपूर्ण चिकेन नेक कॉरिडोर के नीचे और आसपास के इलाकों में मजबूत रेल और सड़क नेटवर्क का विकास करना अत्यंत आवश्यक है.”

उन्होंने कहा, “इसके अलावा पूर्वोत्तर भाग को भारत की मुख्यभूमि से जोड़ने वाले वैकल्पिक रास्तों की खोज भी प्राथिमिकता होनी चाहिए. हालांकि, ये काम इंजीनियरिंग चुनौतियों से भरा होगा, लेकिन अपने दृढ़संकल्प और इनोवेशन के साथ इसे पूरा किया जा सकता है.”  

उन्होंने आगे कहा, “मोहम्मद यूनुस के इन भड़काऊ बयानों को हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि ये शब्दों तक ही सीमित नहीं है. बल्कि इसके पीछे उनके गहरे रणनीतिक विचार और दीर्घकालिक एजेंडे छिपे हो सकते हैं.”

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